Sambhav-2024

दिवस 29

Q2. भारत में बौद्धिक, जैविक और भौगोलिक संकेतक (GIs) वाली संपत्तियों को संरक्षित करने के लिये कौन से वैधानिक एवं नीतिगत उपाय किये गए हैं? (250 शब्द)

22 Dec 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | संस्कृति

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • उत्तर की शुरुआत परिचय से कीजिये जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
  • भारत में बौद्धिक, भौगोलिक एवं जैविक संपत्तियों के संरक्षण के उपायों पर चर्चा करें।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

भारत ने अपनी बौद्धिक, जैविक और भौगोलिक विशेषताओं को संरक्षित करने के लिये एक व्यापक कानूनी ढाँचा और नीतियाँ बनाई हैं। ये उपाय न केवल देश की सांस्कृतिक और जैविक विविधता की रक्षा करते हैं, बल्कि निष्पक्ष व्यापारिक प्रथाओं को भी बढ़ावा देते हैं तथा सतत् विकास एवं जैव विविधता संरक्षण हेतु वैश्विक प्रयासों में योगदान करते हैं।

मुख्य भाग:

भारत में बौद्धिक, जैविक और भौगोलिक संकेत (GI) संपत्तियों के संरक्षण के प्रमुख उपायों में शामिल हैं:

  • बौद्धिक संपदा के संरक्षण के उपाय:
    • पेटेंट अधिनियम (1970): पेटेंट अधिनियम बौद्धिक संपदा की सुरक्षा, नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
    • कॉपीराइट अधिनियम (1957): साहित्यिक, कलात्मक और संगीत कार्यों की रक्षा करता है, बौद्धिक कृतियों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
    • ट्रेडमार्क अधिनियम (1999): विशिष्ट चिह्नों, लोगो और प्रतीकों को सुरक्षा प्रदान करता है, अनधिकृत उपयोग को रोकता है तथा ब्रांड पहचान के संरक्षण को सुनिश्चित करता है।
    • बौद्धिक संपदा अधिकारों (ट्रिप्स) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौता: भारत द्वारा ट्रिप्स मानकों का पालन देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों की वैश्विक मान्यता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • भौगोलिक संकेतक (GI) संरक्षण के उपाय:
    • माल का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999: यह GI के पंजीकरण और संरक्षण के लिये एक रूपरेखा स्थापित करता है, जो उसके भौगोलिक मूल से संबंधित अद्वितीय गुणों वाले उत्पादों की सुरक्षा करता है।
    • GI टैगिंग और प्रमाणन: GI टैगिंग और प्रमाणन प्रणाली का कार्यान्वयन यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ता विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति वाले उत्पादों की प्रामाणिकता की पहचान कर सकें तथा उन पर भरोसा कर सकें।
  • जैविक विविधता संरक्षण के उपाय:
    • जैवविविधता अधिनियम (2002): इसका उद्देश्य जैविक विविधता का संरक्षण करना, इसके घटकों का सतत् उपयोग करना और जैविक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को समान रूप से साझा करना है।
    • राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (NBA): जैविक संसाधनों और संबंधित ज्ञान तक पहुँच को विनियमित करने, लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण सुनिश्चित करने के लिये NBA की स्थापना करना है।
    • जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD): CBD सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जैव विविधता संरक्षण और आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच में सहयोग को बढ़ाती है।
  • पारंपरिक ज्ञान संरक्षण के उपाय:
    • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): यह विशेष रूप से चिकित्सा और आयुर्वेदिक क्षेत्र में पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेज़ीकरण करने तथा उसके दुरुपयोग को रोकने के लिये एक सक्रिय उपाय है।
    • पौधों की किस्मों एवं किसानों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम: यह अधिनियम पौधों की किस्मों के संरक्षण हेतु किसानों के अधिकारों की रक्षा करता है और पारंपरिक बीजों तथा कृषि पद्धतियों के संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

निष्कर्ष:

भारत अपने विविध बौद्धिक, जैविक और भौगोलिक कोष का संरक्षक तथा रक्षक बनने की आकांक्षा रखता है, जिसमें नवप्रवर्तन परंपरा मज़बूती से निहित हो। इस दृष्टि से, संरक्षण एक सामूहिक ज़िम्मेदारी बन जाती है, जिसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लाभ के लिये इन अमूल्य संपत्तियों की सुरक्षा करना है।