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Sambhav-2024

  • 21 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    दिवस 28

    Q2. प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारत में हुए सिक्कों (मुद्राओं) के विकास पर चर्चा कीजिये। भारत में विभिन्न कालों की विभिन्न प्रकार की मुद्राओं के उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भारत में सिक्का प्रणाली के विकास पर चर्चा कीजिये।
    • भारत में विभिन्न कालखंडों के सिक्कों के प्रकार के उदाहरण दीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    इतिहास में सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र कहा जाता है। भारत में सिक्कों का विकास एक आकर्षक यात्रा है, जो प्रत्येक युग की सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक गतिशीलता को दर्शाती है।

    मुख्य भाग:

    • प्राचीन भारत:
      • आहत सिक्के (छठी शताब्दी ईसा पूर्व - दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व): इनमें से सबसे पुराने सिक्के हिंद-यवन, शक-पहलव और कुषाणों से संबंधित हैं, जिनमें शासकों एवं क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों के साथ आहत सिक्कों का निर्माण शामिल है।
      • मौर्य साम्राज्य: मौर्य साम्राज्य में चाँदी एवं ताँबे के सिक्के प्रस्तुत किये गए, जिनमें बैल और हाथी जैसे प्रतीक अंकित थे।
      • गुप्त साम्राज्य: गुप्त साम्राज्य में सोने के सिक्के की जटिल कलात्मकता उस समय की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक थी।
    • मध्यकाल:
      • दिल्ली सल्तनत: इस दौरान फारसी लेखों के साथ इस्लामी सिक्कों की शुरुआत हुई। इसके साथ ज्यामितीय डिज़ाइनों की विशेषता वाले चाँदी के टंका और ताँबे के जीतल प्रमुख सिक्के बन गए।
      • मुगल साम्राज्य: अकबर ने सिक्का प्रणाली का मानकीकरण किया और रुपया नाम का चाँदी का सिक्का चलाया।
    • औपनिवेशिक काल:
      • यूरोपीय शक्तियाँ: पुर्तगाली और डचों द्वारा जारी किये गए सिक्कों में भारतीय और पश्चिमी डिज़ाइन तत्त्वों का मिश्रण शामिल था।
      • ईस्ट इंडिया कंपनी: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मानकीकृत सिक्कों की शुरुआत की।
    • स्वतंत्रता पश्चात:
      • दशमलव प्रणाली: भारत में वर्ष 1957 में दशमलव प्रणाली को अपनाया गया। आधिकारिक मुद्रा के रूप में भारतीय रुपए (INR) की शुरुआत की गई।
      • आधुनिक विषय-वस्तु: स्वतंत्रता के बाद के सिक्कों में महात्मा गांधी एवं अशोक स्तंभ के रूप में विभिन्न सांस्कृतिक रूपांकन शामिल किये गए।
      • डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल लेनदेन के बढ़ने के साथ, भौतिक से आभासी मुद्रा या कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा मिल रहा है।

    निष्कर्ष:

    प्राचीन काल के प्रतीकात्मक आहत सिक्कों से लेकर आज के तकनीकी रूप से उन्नत एवं विविध सिक्कों तक, भारत का मौद्रिक इतिहास इसकी समृद्ध विरासत एवं बदलते समय के अनुसार अनुकूलन के प्रमाण के रूप में स्थापित है।

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