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Sambhav-2024

  • 20 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    दिवस 27

    Q.2 देश के प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को संरक्षित करने तथा बढ़ावा देने में सरकार द्वारा क्या पहल की गई हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को संरक्षित रखने तथा बढ़ावा देने में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों का उल्लेख कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारत का वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति का एक समृद्ध इतिहास रहा है, यह इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित है। इस विरासत के मूल्य को पहचानते हुए सरकार ने इसे संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने हेतु विभिन्न पहलें की हैं।

    मुख्य भाग:

    कुछ प्रमुख पहल:

    • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI): ASI देश की सांस्कृतिक विरासत के अनुसंधान एवं संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है। यह 20 विश्व धरोहर संपत्तियों सहित 3,600 से अधिक स्मारकों एवं राष्ट्रीय महत्त्व के स्थलों के रखरखाव एवं संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है।
    • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान (PRASAD): इस योजना का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे के विकास, वित्तपोषण एवं स्थलों के उन्नयन की सुविधा प्रदान करके देश भर में तीर्थ स्थलों का विकास और सौंदर्यीकरण करना है।
    • राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशन (NMMA): इसे देश की मूर्त और अमूर्त विरासत का दस्तावेज़ीकरण, सुरक्षा और संरक्षण करने के लिये 2007 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना और संवेदनशील बनाना है।
    • भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR): ICHR भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इतिहास पर अनुसंधान परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, जिससे विद्वानों को प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के योगदान का पता लगाने तथा उनका दस्तावेज़ीकरण करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC): NCSTC प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) और आधुनिक विश्व के बीच अंतर को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विज्ञान मेले, प्रदर्शनियाँ और कार्यशालाएँ छात्रों एवं आम लोगों के बीच IKS के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सहायक हैं।
    • भौगोलिक संकेतक (GI टैग): इससे विशिष्ट क्षेत्रीय मूल वाले उत्पादों को बढ़ावा मिलने से स्थानीय संस्कृति का विकास होता है जिससे उत्पादक एवं उपभोक्ता हितों की रक्षा होती है। उदाहरण के लिये दार्जिलिंग चाय एवं कांचीपुरम सिल्क।
    • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM): यह संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है जो भारत की समृद्ध पांडुलिपि विरासत को संरक्षित करने एवं राष्ट्रीय डेटाबेस स्थापित करने तथा अनुसंधान को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
    • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): यह आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और योग से संबंधित ज्ञान के डिजिटलीकरण एवं इस तक पहुँच प्रदान करके भारत के समृद्ध एवं विविध पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण करने पर केंद्रित है।

    निष्कर्ष:

    सरकार अनुसंधान, डिजिटलीकरण, शिक्षा सुधार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान को सक्रिय रूप से संरक्षित करने और बढ़ावा देने पर बल दे रही है। ये पहलें विज्ञान में भारत के ऐतिहासिक योगदान को प्रदर्शित करने के साथ इसकी समृद्ध वैज्ञानिक विरासत के महत्त्व को उजागर करती हैं।

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