Q.1 विभिन्न ऐतिहासिक कालों के दौरान भारत में हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- विभिन्न ऐतिहासिक कालों के दौरान भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्राचीन काल से ही भारत की संस्कृति एवं सभ्यता का अभिन्न अंग रहे हैं। भारत ने ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों जैसे गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, धातु विज्ञान एवं वास्तुकला में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
मुख्य भाग:
विभिन्न ऐतिहासिक कालखंडों में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास:
- प्राचीन काल (600 ईसा पूर्व तक):
- प्राचीन भारतीय सभ्यता में गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई।
- लगभग 1500 ईसा पूर्व के वेदों में गणितीय और खगोलीय ज्ञान के साक्ष्य मिलते हैं।
- शास्त्रीय काल (600 ईसा पूर्व - 1200 ई.):
- इस काल में तक्षशिला और नालंदा जैसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्रों की स्थापना हुई थी।
- 5वीं शताब्दी में आर्यभट्ट ने साइन और त्रिकोणमिति की अवधारणा सहित गणित तथा खगोल विज्ञान में योगदान दिया था।
- गणित और खगोल विज्ञान के लिये आवश्यक शून्य और दशमलव प्रणाली की अवधारणा प्राचीन भारत में विकसित हुई।
- चरक और सुश्रुत ने चिकित्सा एवं शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान दिया।
- मध्यकाल (1200 - 1700 ई.):
- मध्यकाल में विदेशी आक्रमणों के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति देखी गई।
- 14वीं से 16वीं शताब्दी में केरल स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स ने कैलकुलस के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
- मुगल सम्राट अकबर ने सैन्य प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये "बारूद प्रयोग" पर बल दिया था।
- औपनिवेशिक काल (1700 - 1947):
- सर जगदीश चन्द्र बोस और सी.वी. रमन ने 20वीं सदी की शुरुआत में भौतिकी में अभूतपूर्व योगदान दिया।
- जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा दिल्ली, मथुरा (उनके आगरा प्रांत में), बनारस, उज्जैन (उनके मालवा प्रांत की राजधानी) और जयपुर में पाँच वेधशालाएँ बनवाई गई।
- उन्होंने लोगों को खगोलीय अवलोकन करने में सक्षम बनाने के लिये जिज-ए-मुहम्मदशाही नामक तालिकाओं का एक सेट तैयार किया।
- वर्ष 1909 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे संस्थानों की स्थापना एक मील का पत्थर साबित हुई।
- स्वतंत्रता के बाद की अवधि (1947 के बाद में):
- वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना से अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई।
- भारत ने परमाणु प्रौद्योगिकी में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए वर्ष 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया।
- समसामयिक काल (1990 से वर्तमान तक):
- 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण से IT क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिला, जिससे भारत एक वैश्विक IT केंद्र के रूप में उभरा।
- मार्स ऑर्बिटर मिशन, चंद्रयान 3 और आदित्य L1 सहित ISRO के सफल अंतरिक्ष अभियानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
- भारत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने पर बल दिया।
निष्कर्ष:
भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास प्राचीन काल से लेकर आज तक ज्ञान एवं नवाचार के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। देश ने समसामयिक चुनौतियों से निपटने एवं वैश्विक प्रगति में योगदान देने के लिये पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों के साथ मिश्रित करते हुए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण को अपनाया है।