-
19 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
संस्कृति
दिवस 26
Q.1 भारत की धार्मिक विविधताओं से उत्पन्न चुनौतियों एवं अवसरों का मूल्यांकन कीजिये। विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने में धर्मनिरपेक्षता की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में धार्मिक विविधता का परिचय दीजिये।
- भारत में धार्मिक विविधता द्वारा उत्पन्न चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा कीजिये।
- विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने में धर्मनिरपेक्षता की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
भारत अपनी समृद्ध धार्मिक विविधता के लिये जाना जाने वाला देश है, जहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी सदियों से एक रहते हैं। यह विविधता राष्ट्र के लिये चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता, विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुख्य भाग:
धार्मिक विविधता द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ:
- भारत में धर्मों की विविधता कभी-कभी सांप्रदायिक तनाव का कारण बन जाती है, जिसे विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष तथा हिंसा में देखा जा सकता है।
- धार्मिक पहचान के राजनीतिकरण के परिणामस्वरूप कुछ समुदायों को हाशिये पर धकेलने के साथ राजनीतिक लाभ के लिये धार्मिक भावनाओं का शोषण किया जा सकता है।
- धर्म पर आधारित भेदभाव अभी भी समाज के विभिन्न पहलुओं में प्रचलित है, जो सामाजिक एकजुटता तथा समावेशिता को प्रभावित कर रहा है।
- यह विविधता धार्मिक प्रथाओं एवं मान्यताओं में अंतर सांस्कृतिक टकराव का कारण बन सकती है, जिससे सामाजिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
धार्मिक विविधता द्वारा प्रस्तुत अवसर:
- धार्मिक विविधता से भारत की समग्र संस्कृति समृद्ध होती है तथा बहुलवाद एवं परंपराओं तथा रीति-रिवाजों के समन्वय को बढ़ावा मिलता है।
- विभिन्न धार्मिक समुदाय से कार्यबल में विविध कौशल और दृष्टिकोण शामिल होने से देश के आर्थिक विकास में योगदान मिलता है।
- विविध धार्मिक दर्शन आध्यात्मिक ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत हैं, जो देश की बौद्धिक एवं दार्शनिक विरासत में योगदान करते हैं।
- भारत की धार्मिक विविधता पर्यटकों के लिये एक प्रमुख आकर्षण है जिससे देश के आर्थिक विकास में योगदान मिलता है।
सद्भाव बनाए रखने में धर्मनिरपेक्षता की भूमिका:
- धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का एक मूलभूत सिद्धांत है, जो सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार एवं सुरक्षा प्रदान करने पर आधारित है।
- शासन में धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित होता है कि नीतियाँ और कानून किसी विशेष धर्म के प्रति पक्षपाती न हों, जिससे समावेशिता को बढ़ावा मिल सके।
- धर्मनिरपेक्षता से अंतरधार्मिक संवाद को प्रोत्साहन मिलता है तथा विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समझ एवं सहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है।
- धर्मनिरपेक्षता गलतफहमियों और पूर्वाग्रहों को दूर करने एवं अधिक सहिष्णु समाज को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निष्कर्ष:
भारत की धार्मिक विविधता चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। धर्मनिरपेक्षता, एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में, विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिये आवश्यक है। इससे उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करके और अवसरों को बढ़ावा देकर भारत एक विविध एवं समावेशी राष्ट्र के रूप में विकास की ओर अग्रसर हो सकता है।