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18 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस 25
Q.2 भारत में दृश्य और कथात्मक रंगमंच के रूप में पुतली का काफी महत्त्व है। पुतली के विभिन्न प्रकार क्या हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में पुतली कला का परिचय दीजिये।
- भारत में विभिन्न प्रकार की पुतली परंपराओं पर चर्चा कीजिये।
- भारत में दृश्य और कथात्मक रंगमंच के रूप में पुतली के महत्त्व को विस्तार से बताइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में दृश्य तथा कथात्मक रंगमंच के रूप में पुतली का अत्यधिक महत्त्व है, जो सांस्कृतिक परंपराओं एवं कथात्मक शैली में गहराई से निहित है। यह देश की विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पुतली परंपरा मौजूद हैं, प्रत्येक की अपनी अनूठी शैली होती है।
मुख्य भाग:
धागा पुतली:
- इसमें अनेक जोड़युक्त अंगों का धागों द्वारा संचालन किया जाता है, जिस कारण ये पुतलियाँ काफी लचीली होती हैं।
- राजस्थान अपनी कठपुतली परंपरा के लिये प्रसिद्ध है, जहाँ चमकीले रंग की लकड़ी की कठपुतलियाँ लोक कथाओं और किंवदंतियों को दर्शाती हैं।
छाया पुतली:
- छाया पुतलियाँ चपटी होती हैं और चमड़े से बनाई जाती हैं। इसमें पर्दे को पीछे से प्रदीप्त किया जाता है और पुतली का संचालन प्रकाश स्रोत तथा पर्दे के बीच से किया जाता है। ये छायाकृतियाँ रंगीन भी हो सकती हैं।
- केरल थोलपावकुथु के लिये जाना जाता है, जहाँ पर रामायण जैसे महाकाव्य से संबंधित कहानियों को जीवंत छाया नाटक के माध्यम से दर्शाया जाता है।
दस्ताना पुतली:
- दस्ताना पुतली में छोटी कठपुतलियाँ हाथ में पहनी जाती हैं और कहानियाँ कहने हेतु उनका उपयोग किया जाता है। इसमें अक्सर संयुक्त प्रदर्शन शामिल होते हैं।
- केरल में पावाकुथु, दस्ताना पुतली का एक रूप है जहाँ कलाकार अपनी उंगलियों पर चमड़े की पुतलियाँ पहनकर जीवंत गतिविधियों के माध्यम से प्रदर्शन करता है।
छड़ पुतली:
- छड़ पुतली में छड़ों से जुड़ी पुतलियाँ शामिल होती हैं, जिससे नियंत्रित गतिविधियों को करने में सहायता मिलती है। प्रदर्शन के दौरान पुतली की विभिन्न प्रकार की गतियों का सहारा लेते हुए संदेश दिया जाता है।
- पश्चिम बंगाल का पुतुल नाच छड़ पुतली का रूप है, जिसमें पुतलियाँ द्वारा पौराणिक कथाओं एवं सामाजिक मुद्दों का प्रदर्शन किया जाता है।
निष्कर्ष:
भारत में पुतली के ये विभिन्न रूप न केवल मनोरंजन की दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति एवं संचार के शक्तिशाली माध्यम की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। ये कलाएँ पारंपरिक कहानियों, लोककथाओं और सांस्कृतिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संरक्षित एवं प्रसारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।