Q.2 भारत के लोक नृत्य रूपों की विविधता और समृद्धि का परीक्षण कीजिये। ये स्थानीय संस्कृति, रीति-रिवाज़ो एवं लोगों की मान्यताओं का प्रतिनिधित्व किस प्रकार करते हैं? भारत के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों के कुछ लोक नृत्य रूपों के उदाहरण दीजिये। (250 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत की विभिन्न लोक नृत्य परंपराओं का परिचय दीजिये।
- स्थानीय संस्कृति, रीति-रिवाज़ों और लोगों की मान्यताओं के संबंध में लोक नृत्यों पर चर्चा कीजिये।
- भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लोक नृत्य रूपों के उदाहरणों का उल्लेख कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
भारत विविध संस्कृतियों की भूमि है और यह विविधता इसके लोक नृत्य रूपों की समृद्ध विरासत के माध्यम से स्पष्ट रूप से व्यक्त होती है। ये लोक नृत्य, अक्सर स्थानीय परंपराओं में गहराई से निहित होते हैं तथा यह लोगों की सांस्कृतिक, रीति-रिवाज़ों और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुख्य भाग:
भारत के लोक नृत्य रूपों की विविधता और समृद्धि तथा उनके उदाहरण:
बिहू नृत्य:
- बिहू नृत्य असम के बिहू त्योहार का एक अभिन्न अंग है।
- इसमें कृषि जीवनशैली को दर्शाने के साथ बदलते मौसम का प्रदर्शन होता है।
- जीवंत और ऊर्जावान होने के साथ यह खुशी एवं प्रचुरता का प्रतीक है।
गरबा:
- नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा का जश्न मनाते हुए गरबा किया जाता है।
- गोलाकार संरचनाएँ बनाना तथा लयबद्ध ताली गरबा की विशेषताएँ है, जो जीवन की चक्रीय प्रकृति को दर्शाती हैं।
छऊ नृत्य:
- आदिवासी क्षेत्रों में विकसित छऊ एक मार्शल नृत्य है।
- इसमें स्थानीय लोककथाओं, मिथकों और पारंपरिक कहानियों को दर्शाया गया है, जिनमें अक्सर मुखौटा नृत्य शामिल होता है।
लावणी:
- लावणी एक पारंपरिक नृत्य शैली है जिसेक अक्सर ढोलकी की थाप पर किया जाता है।
- महाराष्ट्र की लोक संस्कृति को दर्शाते हुए कामुकता और अनुग्रह का संयोजन व्यक्त करता है।
भांगड़ा:
- भांगड़ा फसल उत्सव बैसाखी के दौरान किया जाने वाला एक जीवंत और ऊर्जावान नृत्य रूप है।
- यह पंजाब में फसल उत्पादन की खुशी एवं कृषि जीवन शैली को प्रदर्शित करता है।
यक्षगान:
- यक्षगान एक पारंपरिक नृत्य नाटक है जो नृत्य, संगीत और कथा के समन्वय पर आधारित है।
- अक्सर पौराणिक या ऐतिहासिक कहानियों पर आधारित, यह कर्नाटक की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
घूमर:
- घूमर त्योहारों और शादियों के दौरान महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक सुंदर नृत्य है।
- इसमें घूमने वाली गतिविधियाँ शामिल हैं, जो राजस्थान के जीवंत रंगों और पारंपरिक पोशाक का प्रतिनिधित्व करती हैं।
स्थानीय संस्कृति, रीति-रिवाज़ो और लोगों की मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करना:
- भारतीय लोक नृत्य रूपों की समृद्धि उनकी ऐतिहासिक जड़ों, जीवंत वेशभूषा, जटिल गतिविधियों और उनके साथ संबंधित संगीत में निहित है।
- पारंपरिक वाद्ययंत्रों, जीवंत पोशाकों और अभिव्यंजक चेहरे के भावों से इन नृत्य रूपों की समृद्धि को बढ़ावा मिलता है, जिससे एक दृश्यमान मनोरम अनुभव विकसित होता है।
- लोक नृत्य किसी क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति का जीवंत रूप हैं। हावभाव और अभिव्यक्ति के माध्यम से लोक नृत्य संबंधित क्षेत्र के इतिहास एवं दैनिक जीवन को प्रस्तुत करते हैं।
- उदाहरण के लिये गुजरात का गरबा नृत्य नवरात्रि उत्सव की जीवंत भावना को दर्शाता है जबकि असम में बिहू नृत्य द्वारा कृषि चक्र का प्रदर्शन होता है।
- समारोहों और धार्मिक त्योहारों के दौरान किये जाने वाले अनुष्ठानिक नृत्य विभिन्न मान्यताओं एवं प्रथाओं की अभिव्यक्ति हैं।
- गुजरात में नवरात्रि के दौरान किया जाने वाला डांडिया रास सिर्फ एक नृत्य नहीं है बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व भी है।
- लोक नृत्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक परंपराओं के हस्तांतरण के माध्यम के रूप में कार्य करते हैं। सांस्कृतिक प्रथाओं की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए, जटिल नृत्य चरण, अद्वितीय वेशभूषा और संगीत जैसी विशेषताओं के साथ पीढ़ियों से चले आ रहे हैं।
- परंपराओं का यह संरक्षण देश भर में समुदायों की सांस्कृतिक अखंडता एवं पहचान बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
लोक नृत्य न केवल मनोरंजक होते हैं बल्कि व्यक्तियों को अपनी मूल विरासत से जोड़ने का भी कार्य करते हैं। इनकी वेशभूषा एवं संगीत से स्थानीय संस्कृति, रीति-रिवाज़ों एवं मान्यताओं का प्रदर्शन होता है। इन नृत्यों के माध्यम से विभिन्न समुदाय अपनी पहचान, इतिहास तथा सामाजिक मूल्यों को व्यक्त करते हैं, जिससे लोक नृत्य भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन जाता है।