Q2. हड़प्पा शहरों की भौगोलिक स्थिति ने किस प्रकार से उनकी समृद्धि में योगदान दिया था? (150 शब्द)
23 Dec 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय:
हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, लगभग 3300 से 1300 ईसा पूर्व तक उस क्षेत्र में फली-फूली जो आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत में स्थित है। हड़प्पाकालीन शहरों की भौगोलिक स्थिति ने उसकी समृद्धि में योगदान देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निकाय:
यहाँ कुछ तरीके दिये गए हैं, जिनसे हड़प्पाकालीन शहरों की भौगोलिक स्थिति उनकी समृद्धि में योगदान करती है:
नदियों से निकटता:
सिंधु जैसी नदियों की निकटता ने शहरों के निवासियों के लिये जल का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान किया।
यह जल न केवल कृषि सिंचाई के लिये बल्कि घरेलू उपयोग और विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों, जैसे मृद्भांड और धातुकर्म के लिये भी आवश्यक था।
उपजाऊ जलोढ़ मृदा:
इस क्षेत्र की जलोढ़ मृदा अत्यधिक उपजाऊ थी, जो इसे कृषि के लिये आदर्श बनाती थी।
उपजाऊ भूमि और उन्नत सिंचाई प्रणाली की उपलब्धता से अधिशेष फसलों की खेती संभव हो सकी।
सौम्य जलवायु:
क्षेत्रीय सौम्य जलवायु ने वर्ष भर कृषि गतिविधियों का समर्थन किया।
हड़प्पा शहरों में शहरी नियोजन ने पर्यावरण की एक परिष्कृत समझ को प्रतिबिंबित किया और शहरों के कुशल कामकाज में योगदान दिया।
सामरिक व्यापार स्थल:
हड़प्पाकालीन शहरों की भौगोलिक स्थिति, विशेष रूप से मोहनजो-दारो और हड़प्पा, व्यापार मार्गों पर स्थित थी। ये शहर मेसोपोटामिया और मध्य एशिया सहित विभिन्न क्षेत्रों के बीच व्यापार के केंद्र बन गए।
वस्तुओं और विचारों के आदान-प्रदान ने आर्थिक समृद्धि में योगदान दिया।
निष्कर्ष:
सिंधु घाटी सभ्यता के विकास में स्पष्ट पर्यावरण और मानव नवाचार के बीच सहजीवी संबंध, इसके प्राचीन निवासियों की उल्लेखनीय अनुकूलन क्षमता और संसाधनशीलता के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।