Q.1 भारत की लोक चित्रकला की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। इससे भारतीय समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता एवं समृद्धि किस प्रकार प्रदर्शित होती है? (250 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में लोक चित्रकला की अवधारणा का संक्षेप में परिचय देने के साथ उनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- भारतीय लोक चित्रकला की प्रमुख विशेषताओं और उनमें सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के प्रतिबिंब पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
भारत की लोक चित्रकलाएँ ग्रामीण और आदिवासी समुदायों (जिनकी कला और संस्कृति की एक लंबी और समृद्ध परंपरा रही है) की परंपराओं की दृश्य अभिव्यक्तियाँ हैं। इनकी विशेषताओं में प्राकृतिक रंगों, सरल रूपों, ज्यामितीय पैटर्न के उपयोग के साथ पौराणिक कथाओं, धर्म और प्रकृति से प्रेरित होना शामिल है।
मुख्य भाग:
भारतीय लोक चित्रकला की कुछ प्रमुख विशेषताएँ और उनमें सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का प्रतिबिंब:
- क्षेत्रीय भिन्नता:
- मधुबनी (बिहार), वरली (महाराष्ट्र), और पटचित्र (ओडिशा): प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट शैली होती है, जो अक्सर स्थानीय रीति-रिवाज़ों, पौराणिक कथाओं एवं अनुष्ठानों से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिये मधुबनी चित्रकला मुख्य रूप से धार्मिक विषयों को दर्शाती है, जबकि वर्ली कला आदिवासी समुदाय के दैनिक जीवन पर केंद्रित है और पटचित्र पौराणिक कहानियाँ बताता है।
- विषय-वस्तु और रूपांकन:
- धार्मिक और पौराणिक चित्रण: कई लोक चित्र धार्मिक और पौराणिक विषयों से गहराई से प्रेरित हैं जो विभिन्न समुदायों की आध्यात्मिक मान्यताओं को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये राजस्थान की पिछवाई चित्रकला भगवान कृष्ण के जीवन दृश्यों को दर्शाती है।
- प्रकृति और दैनिक जीवन: कुछ चित्रकला प्रकृति की सुंदरता और रोजमर्रा की जिंदगी की सादगी को दर्शाती हैं। मध्य प्रदेश की गोंड चित्रकला अक्सर वनस्पतियों एवं जीवों के जीवंत चित्रण पर आधारित है।
- रंगों और तकनीकों का उपयोग:
- जीवंत रंग योजना: लोक चित्रकला को अपनी जीवंत रंग योजनाओं के लिये जाना जाता है, जिसमें कलाकार स्थानीय स्रोतों से प्राप्त प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं। प्रत्येक रंग प्रतीकात्मक महत्त्व रखता है जिसका कथा में योगदान होता है।
- विभिन्न तकनीकें: विभिन्न क्षेत्र अलग-अलग तकनीकों का उपयोग करते हैं जैसे राजस्थान में मांडना कला की जटिल बिंदु चित्रकला या पश्चिम बंगाल की कालीघाट चित्रकला में ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग हुआ है।
- सामाजिक सहभाग:
- एक सामाजिक गतिविधि के रूप में कला: लोक चित्रकला में अक्सर पूरा समुदाय शामिल होता है। यह कला समुदाय और साझा सांस्कृतिक पहचान की भावना को बढ़ावा देती हैं।
- प्रतीकवाद और कहानी प्रदर्शित करने का तरीका:
- कथात्मक तत्व: लोक चित्रकला कहानी प्रदर्शित करने हेतु एक दृश्य माध्यम के रूप में कार्य करती है। प्रतीकों, रूपांकनों और रचनाओं के माध्यम से कलाकार नैतिक, सामाजिक या सांस्कृतिक संदेश देते हैं। उदाहरण के लिये मध्य प्रदेश की भील चित्रकला आदिवासी जीवन और मान्यताओं की कहानियों का प्रदर्शन करती है।
निष्कर्ष:
भारत में लोक चित्रकला सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। ये भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक समृद्धि के बारे में हमारी समझ को गहरा करते हुए विश्वासों, रीति-रिवाज़ों और जीवनशैली के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। इन कला रूपों से विरासत के संरक्षण के साथ पहचान एवं सामुदायिक एकजुटता का प्रदर्शन होता है।