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Sambhav-2024

  • 09 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 18

    प्रश्न.2: भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के प्रदर्शन और चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। NDMA की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु उपाय और सुझाव दीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • NDMA का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • NDMA की उपलब्धियों के साथ NDMA के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये तथा NDMA की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु कुछ उपाय बताइये।
    • तद्नुसार उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष वैधानिक निकाय है, जिसे वर्ष 2006 में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया था। इसका दृष्टिकोण एक समग्र, सक्रिय, प्रौद्योगिकी-संचालित और टिकाऊ विकास रणनीति द्वारा एक सुरक्षित तथा आपदा प्रतिरोधी भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारक शामिल हों तथा जिससे रोकथाम, तैयारी एवं शमन की संस्कृति को बढ़ावा मिले।

    मुख्य भाग:

    NDMA की कुछ उपलब्धियाँ:

    • इसने आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, जैसे– घटना प्रतिक्रिया प्रणाली, चिकित्सा तैयारी, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन, शहरी बाढ़, रासायनिक आपदाएँ आदि पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश तैयार किये हैं।
    • इसने हितधारकों की तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिये विभिन्न स्तरों पर मॉक अभ्यास एवं क्षमता-निर्माण कार्यक्रम आयोजित किये हैं।
    • इसने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये कई परियोजनाएँ और योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे– राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना, राष्ट्रीय भूकंप जोखिम शमन परियोजना, स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम आदि।
    • इसने आपदा प्रतिक्रिया और राहत कार्यों के लिये एक विशेष बल के रूप में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की स्थापना की है।
    • इसने आपदाओं पर जानकारी और डेटा साझा करने के लिये एक वेब-आधारित मंच के रूप में एक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली (NDMIS) विकसित की है।

    NDMA के समक्ष आने वाली कुछ चुनौतियाँ:

    • आपदा प्रबंधन में शामिल विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय एवं एकीकरण की कमी के कारण प्रयासों तथा संसाधनों का दोहराव होता है।
    • आपदा प्रबंधन योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने के लिये पर्याप्त धन तथा संसाधनों का अभाव होना (विशेषकर राज्य एवं ज़िला स्तर पर)।
    • आपदा प्रबंधन गतिविधियों में समुदाय और नागरिक समाज की जागरूकता तथा भागीदारी की कमी, जिसके परिणामस्वरूप लचीलेपन के साथ आपदा का मुकाबला करने की क्षमता कम होती है।
    • आपदा जोखिम मूल्यांकन, प्रारंभिक चेतावनी, पूर्वानुमान और शमन के लिये वैज्ञानिक तथा तकनीकी इनपुट एवं नवाचारों का अभाव होना।
    • आपदा प्रबंधन हस्तक्षेपों के परिणामों और प्रभावों को मापने के लिये प्रभावी निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र का अभाव होना।

    NDMA की कार्यप्रणाली में सुधार के लिये कुछ उपाय और सुझाव:

    • आपदा प्रबंधन के लिये संस्थागत और कानूनी ढाँचे को मज़बूत करना, भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों की स्पष्टता, जवाबदेही तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
    • आपदा प्रबंधन के लिये वित्तीय और मानवीय संसाधनों को बढ़ाना, समय पर तथा पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित करना, उपयोग एवं धन का ऑडिट सुनिश्चित करना।
    • आपदा प्रबंधन के लिये समुदाय-आधारित और भागीदारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना, आपदा प्रबंधन गतिविधियों की योजना, कार्यान्वयन तथा निगरानी में स्थानीय लोगों, गैर सरकारी संगठनों एवं अन्य हितधारकों को शामिल करना।
    • आपदा जोखिम में कमी के लिये वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का लाभ उठाना, आपदा जोखिम मूल्यांकन, प्रारंभिक चेतावनी, पूर्वानुमान व शमन के लिये विश्वसनीय तथा उपयोगकर्त्ता के अनुकूल जानकारी एवं उपकरण विकसित करना व प्रसारित करना।

    निष्कर्ष:

    NDMA ने आपदा प्रबंधन में प्रगति की है, लेकिन समन्वय चुनौतियों का समाधान करना, संसाधनों को सुनिश्चित करना और समुदायों को शामिल करना सुधार के लिये महत्त्वपूर्ण है। नियमित मूल्यांकन और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता से भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली में वृद्धि होगी।

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