Sambhav-2024

दिवस 18

प्रश्न.1: मानवाधिकार उल्लंघनों की शिकायतों की जाँच और निवारण में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की शक्तियों एवं सीमाओं का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

09 Dec 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • मानवाधिकारों की सुरक्षा में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(NHRC) की भूमिका और महत्त्व के संक्षिप्त परिचय के साथ उत्तर की शुरुआत करें।
  • NHRC की शक्तियों और कार्यों एवं इसके जनादेश को पूर्ण करने में इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें।
  • तद्नुसार उचित से निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत वर्ष 1993 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिये ज़िम्मेदार है, जैसा कि भारत के संविधान और अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों द्वारा परिभाषित किया गया है, जिसमें भारत एक पक्ष है।

मुख्य भाग:

NHRC के पास निम्नलिखित शक्तियाँ एवं कार्य हैं:

  • यह किसी लोक सेवक द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन या ऐसे उल्लंघन की रोकथाम में लापरवाही की किसी भी शिकायत की स्वप्रेरणा से या याचिका पर जाँच कर सकता है।
  • यह ऐसी अदालत की मंज़ूरी से अदालत के समक्ष लंबित मानवाधिकारों के उल्लंघन के किसी भी आरोप से जुड़ी किसी भी कार्यवाही में हस्तक्षेप कर सकता है।
  • यह सरकार को सूचित करते हुए कैदियों के रहने की स्थिति का अध्ययन करने और उस पर सिफारिशें करने के लिये राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित किसी भी जेल या अन्य संस्थान का दौरा कर सकता है, जहाँ लोगों को उपचार, सुधार या सुरक्षा के प्रयोजनों के लिये निगरानी/हिरासत में लिया या रखा गया है।
  • यह मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिये संविधान या उस समय लागू किसी भी कानून द्वारा या उसके तहत प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिये उपायों की सिफारिश कर सकता है।
  • यह मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान कर सकता है और उसे बढ़ावा दे सकता है।
  • यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार कर सकता है तथा प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये उपलब्ध आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दे सकता है।
  • यह मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों और संस्थानों के प्रयासों को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • यह ऐसे अन्य कार्य भी कर सकता है जिन्हें यह मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक समझे।

हालाँकि NHRC को कुछ सीमाओं और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ हैं:

  • NHRC द्वारा की गई सिफारिशें सरकार या संबंधित अधिकारियों पर बाध्यकारी नहीं हैं। NHRC मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिये उपायों की केवल सलाह, सुझाव और अनुशंसा कर सकता है, लेकिन यह उन्हें लागू नहीं कर सकता।
  • सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों पर NHRC का अधिकार क्षेत्र सीमित है। वह ऐसे मामलों पर केंद्र सरकार से सिर्फ रिपोर्ट मांग सकती है, लेकिन सीधे तौर पर उनकी जाँच नहीं कर सकती।
  • NHRC उस तारीख से एक वर्ष की समाप्ति के बाद किसी भी मामले की जाँच नहीं कर सकता है, जिस तारीख को मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
  • मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के प्रयासों में NHRC को जनता, मीडिया, नागरिक समाज एवं सरकार से जागरूकता तथा सहयोग की कमी का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष:

NHRC के पास मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जाँच और निवारण करने की शक्तियाँ तथा सीमाएँ दोनों हैं। यह लोगों की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसे उन चुनौतियों एवं बाधाओं को भी दूर करने की ज़रूरत है जो इसके कामकाज तथा प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं।