-
07 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस 16
प्रश्न.1 अक्सर निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जाते हैं। भारत निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और जवाबदेही को बढ़ाने के संदर्भ में विभिन्न समितियों और विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों तथा सुधारों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के बारे में संक्षेप में परिचय दीजिये।
- उन मुद्दों पर प्रकाश डालिये जो ECI की कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं।
- ECI की स्वतंत्रता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिये विभिन्न समितियों और विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों तथा सुधारों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत निर्वाचनआयोग (ECI) भारत के संविधान के अनुच्छेद–324 के तहत एक स्थायी, स्वतंत्र और संवैधानिक निकाय है जो भारत में संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन कराने के लिये ज़िम्मेदार है।
ECI को चुनावी प्रक्रिया के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति सौंपी गई है तथा उससे देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है।
मुख्य भाग:
यद्यपि संविधान द्वारा निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुनिश्चित किया गया है लेकिन ECI को ऐसी कई चुनौतियों तथा मुद्दों का सामना करना पड़ता है जो इसके कार्यों एवं विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं। जैसे–
- संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की योग्यता (कानूनी, शैक्षणिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई है।
- संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों का कार्यकाल निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
- संविधान द्वारा सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा किसी भी आगे की नियुक्ति से नहीं रोका गया है।
- CEC और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति और निष्कासन पारदर्शी नहीं है तथा सत्तारूढ़ दल से प्रभावित है।
- राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के विनियमन की शक्ति अपर्याप्त एवं अप्रभावी है।
- ECI के पास राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने या उनकी मान्यता रद्द करने या आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने या राजनीति के अपराधीकरण की जाँच करने की कोई शक्ति नहीं है।
- दलों के व्यय और अभियान प्रबंधन की उचित निगरानी और नियंत्रण नहीं किया जाता है। ECI के पास राजनीतिक दलों के खर्च पर सीमा लगाने या मीडिया और सोशल मीडिया के उपयोग को विनियमित करने या मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये नकदी एवं उपहारों के वितरण को रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
इन चुनौतियों और मुद्दों के समाधान के लिये विभिन्न समितियों और विशेषज्ञों ने ECI की स्वतंत्रता तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिये कई उपाय एवं सुधार सुझाए हैं। जैसे–
- CEC और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति और निष्कासन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश वाले कॉलेजियम या संसदीय समिति द्वारा किया जाना चाहिये।
- उन्हें हटाने के आधार और प्रक्रिया को संविधान या कानून में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाना चाहिये।
- आंतरिक लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही के मानदंडों का उल्लंघन करने या आपराधिक तत्त्वों के साथ संबंध रखने के लिये राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने या उनकी मान्यता रद्द करने की शक्ति ECI को देकर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के विनियमन को मज़बूत किया जाना चाहिये।
- ECI के पास गलत जानकारी देने या भ्रष्ट आचरण में शामिल होने या आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति भी होनी चाहिये।
- राजनीतिक दलों के खर्च पर सीमा लगाकर और उन्हें अपने धन के स्रोतों तथा मात्रा का खुलासा करने के लिये बाध्य करके व्यय एवं अभियान प्रबंधन को अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनाया जाना चाहिये।
- ECI के पास मीडिया और सोशल मीडिया के उपयोग को विनियमित करने के साथ पेड न्यूज़, फेक न्यूज़ और हेट स्पीच जैसे कदाचारों पर अंकुश लगाने का भी अधिकार होना चाहिये।
- मतदाता सूची को प्रौद्योगिकी और बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग करके समय-समय पर अद्यतन तथा सत्यापित किया जाना चाहिये। ECI को मतदाताओं के सार्वभौमिक और आसान नामांकन के साथ मतदाता पहचान पत्रों की समय पर तथा सुविधाजनक डिलीवरी सुनिश्चित करनी चाहिये।
- ECI को मतदाता सूची को ऑनलाइन और सुलभ बनाना चाहिये एवं मतदाताओं को अपने विवरण को सत्यापित तथा सही करने की अनुमति देनी चाहिये।
निष्कर्ष:
भारत में ECI लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि इसे कई चुनौतियों और मुद्दों का सामना करना पड़ता है जो इसकी स्वतंत्रता तथा जवाबदेही को कमज़ोर करते हैं। इसलिये इन चुनौतियों और मुद्दों का समाधान करने तथा ECI की दक्षता एवं विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये निर्वाचन प्रणाली में सुधारों की आवश्यकता है। ऐसे सुधारों से न केवल ECI बल्कि भारत में लोकतंत्र भी मज़बूती मिलेगी।