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Sambhav-2024

  • 07 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 16

    प्रश्न.2 कल्याण और सामाजिक न्याय के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों की पहचान करने तथा उन्हें इस श्रेणी में शामिल करने तथा बाहर करने की सिफारिश करने में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की भूमिका एवं कार्यों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • NCBC की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • NCBC की भूमिका और कार्यों पर चर्चा कीजिये।
    • कल्याण और सामाजिक न्याय के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों की पहचान करने तथा उन्हें इस श्रेणी में शामिल करने एवं बाहर करने की सिफारिश करने में NCBC के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) भारतीय संविधान के अनुच्छेद–338(B) के तहत एक संवैधानिक निकाय है। 102वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की शिकायतों और कल्याण उपायों की जाँच करने का अधिकार दिया गया।

    • पहले यह राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत एक वैधानिक निकाय था, जिसे वर्ष 1992 के इंद्रा साहनी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसरण में अधिनियमित किया गया था।

    मुख्य भाग:

    NCBC में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होते हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद–340 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर द्वारा नियुक्त किया जाता है। उनकी सेवा शर्तें और कार्यकाल को राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।

    संविधान के अनुच्छेद–338(B) और 342(A) (अनुच्छेद–342(A) को 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा शामिल किया गया था) के अनुसार NCBC की निम्नलिखित भूमिका और कार्य हैं:

    • यह संविधान या किसी अन्य कानून के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच और निगरानी करने के साथ ऐसे सुरक्षा उपायों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
    • यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के साथ संघ और किसी भी राज्य में उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करता है।
    • यह राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से और अन्य समय पर (जब वह उचित समझे) इनके सुरक्षा उपायों की प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
    • यह कल्याण और सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों को इस श्रेणी में शामिल करने तथा बाहर करने के संबंध में केंद्र सरकार को कानूनी सलाह देता है।
    • इसमें सिविल न्यायालय की सभी शक्तियाँ हैं, जैसे– किसी भी व्यक्ति को समन देना और उसकी उपस्थिति को सुनिश्चित करना, शपथ पत्रों के संदर्भ में साक्ष्य प्राप्त करना, गवाहों और दस्तावेज़ो की जाँच करना आदि।
    • यह अपनी प्रक्रिया को स्वयं नियंत्रित करता है।

    NCBC विभिन्न पिछड़े वर्गों को इस श्रेणी में शामिल करने और बाहर करने की सिफारिश करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे–

    • किसी भी वर्ग के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिये मानदंड निर्धारित करना। जैसे– सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और अन्य संकेतक।
    • विभिन्न क्षेत्रों और सेवाओं में पिछड़े वर्गों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों तथा प्रतिनिधित्व पर डेटा एवं जानकारी एकत्र करने के लिये समय-समय पर सर्वेक्षण व अध्ययन करना।
    • संविधान के अनुच्छेद–342(A) के अनुसार, संबंधित राज्य के राज्यपाल के परामर्श से विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पिछड़े वर्गों की सूची की राष्ट्रपति को सिफारिश करना।
    • शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, सार्वजनिक रोज़गार और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के मामलों में पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण एवं रियायतों की सीमा की केंद्र और राज्य सरकारों को सिफारिश करना।
    • पिछड़े वर्गों की मौजूदा सूची की समीक्षा करना और बदलती परिस्थितियों एवं ज़रूरतों के अनुसार इसमें संशोधन का सुझाव देना।

    निष्कर्ष:

    NCBC ने निसंदेह भारतीय समाज में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों तथा कल्याण की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, लोगों की समस्याओं को समय पर हल करने के लिये इसकी संवैधानिक और वैधानिक संरचना को अधिक मज़बूत एवं सक्रिय करने की आवश्यकता है।

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