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05 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस 14
प्रश्न .2 शहरी विकास, सामाजिक कल्याण और स्थानीय लोकतंत्र के क्षेत्र में स्थानीय शहरी सरकार की भूमिकाओं तथा ज़िम्मेदारियों की जाँच कीजिये। उन तंत्रों का अन्वेषण कीजिये जिनके माध्यम से वे समाज में हाशिये पर मौजूद वर्गों की भागीदारी एवं प्रतिनिधित्व को सुविधाजनक बनाते हैं। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- स्थानीय शहरी सरकार को परिभाषित कीजिये।
- शहरी विकास, सामाजिक कल्याण और स्थानीय लोकतंत्र में स्थानीय शहरी सरकार की भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों की व्याख्या कीजिये।
- उन प्रक्रियाओं पर चर्चा कीजिये जिनके माध्यम से स्थानीय शहरी सरकार समाज में हाशिये पर रहने वाले वर्गों को भागीदारी और प्रतिनिधित्व की सुविधा प्रदान करती है।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
स्थानीय शहरी सरकार का तात्पर्य शहर या कस्बे के स्तर पर स्वशासन की संस्थाओं जैसे नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत से है। इनकी स्थापना 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को मज़बूत करना तथा उन्हें अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी एवं भागीदारीपूर्ण बनाना है।
स्थानीय शहरी सरकार की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ इस प्रकार हैं:
- शहरी विकास: स्थानीय शहरी सरकार शहरी बुनियादी ढाँचे, जैसे जल आपूर्ति, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क, परिवहन, आवास, झुग्गी-झोपड़ी सुधार आदि से संबंधित विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं की योजना तथा कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार है।
- उन्हें शहर विकास योजना तैयार करने और क्रियान्वित करने का काम भी सौंपा गया है, जो शहर के समग्र एवं सतत विकास के लिये दृष्टिकोण, लक्ष्य तथा रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करता है।
- समाज कल्याण: स्थानीय शहरी सरकार शहरी निर्धनों और समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्गों को स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, सामाजिक सुरक्षा आदि जैसी बुनियादी सेवाएँ एवं सुविधाएँ प्रदान करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- उनसे केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों, जैसे स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन आदि को लागू करने की भी उम्मीद की जाती है।
- उनसे यह अपेक्षा भी की जाती है कि वे महिलाओं, बच्चों, बुज़ुर्गों, विकलांगों, अल्पसंख्यकों आदि जैसे कमज़ोर वर्गों के समावेश और सशक्तीकरण को सुनिश्चित करके सामाजिक न्याय एवं समानता को बढ़ावा दें।
- स्थानीय लोकतंत्र: स्थानीय शहरी सरकार शासन और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिकों की भागीदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- उससे नियमित और निष्पक्ष चुनाव कराने तथा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार महिलाओं तथा SC/ST के लिये सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है।
- उससे वार्ड समितियों, क्षेत्र सभाओं और अन्य भागीदारी मंचों का गठन करने की भी अपेक्षा की जाती है, जहाँ नागरिक अपनी राय, शिकायतें एवं सुझाव दे सकते हैं।
- उससे उचित रिकॉर्ड बनाए रखने, ऑडिट करने और जनता के सामने जानकारी का खुलासा करके पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ावा देने की भी अपेक्षा की जाती है।
वे प्रक्रिया जिनके माध्यम से स्थानीय शहरी सरकार समाज में हाशिये पर मौजूद वर्गों की भागीदारी और प्रतिनिधित्व की सुविधा प्रदान करती है, वे इस प्रकार हैं:
- सीटों का आरक्षण: संविधान कहता है कि ULB में कुल सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिये आरक्षित होनी चाहिये और संबंधित क्षेत्रों में उनकी आबादी के आधार पर SC/ST के लिये आनुपातिक आरक्षण दिया जाना चाहिये।
- यह सुनिश्चित करता है कि हाशिये पर रहने वाले वर्गों को स्थानीय शहरी सरकार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व और महत्त्व मिले।
- शक्तियों एवं कार्यों का विकेंद्रीकरण: संविधान यह भी आदेश देता है कि राज्य सरकारों को ULB की शक्तियों और कार्यों को सबसे निचले स्तर तक, यानी वार्ड समितियों में स्थानांतरित करना चाहिये जहाँ नागरिक सीधे भाग ले सकते हैं तथा स्थानीय मामलों को प्रभावित कर सकते हैं।
- यह सुनिश्चित करता है कि हाशिये पर मौजूद वर्गों को अपनी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को व्यक्त करने तथा स्थानीय शहरी सरकार के प्रदर्शन की निगरानी व मूल्यांकन करने के लिये अधिक अवसर एवं मंच मिलें।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय शहरी सरकार विभिन्न समुदाय-आधारित पहलों, जैसे स्वयं सहायता समूहों, सामुदायिक विकास समितियों, पड़ोस समूहों आदि के माध्यम से हाशिये पर रहने वाले वर्गों की भागीदारी की सुविधा भी प्रदान करती है।
- ये पहल हाशिये पर मौजूद वर्गों को खुद को संगठित करने, विभिन्न संसाधनों और सेवाओं तक पहुँचने तथा विभिन्न विकास गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम बनाती हैं।
- वे उन्हें स्थानीय शहरी सरकार और अन्य हितधारकों के साथ संबंध तथा साझेदारी बनाने एवं अपने अधिकारों व हकदारियों की मांग करने में भी सक्षम बनाते हैं।
निष्कर्ष:
स्थानीय शहरी सरकारें शहरी विकास, सामाजिक कल्याण और लोकतंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। वे संवैधानिक तंत्र के माध्यम से हाशिये पर रहने वाले समुदाय की भागीदारी को सुविधाजनक बनाते हैं। उनके महत्त्व के बावजूद, सीमित धन, क्षमता, स्वायत्तता तथा समन्वय जैसी चुनौतियाँ उनकी प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं। इन मुद्दों को संबोधित करके इन निकायों को मज़बूत करना उनकी भूमिकाओं को पूरा करने, समावेशी एवं टिकाऊ शहरी विकास सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक है।