14 Nov 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संसदीय और राष्ट्रपति प्रकार की सरकार के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी देकर अपना जवाब शुरू करें।
- भारत के संदर्भ में राष्ट्रपति सरकार के पक्ष और विपक्ष में तर्क दीजिये।
- भारत के लिये सरकार के संसदीय रूप के लाभों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
सरकार के दो रूप होते हैं, संसदीय प्रणाली और राष्ट्रपति प्रणाली। संसदीय प्रणाली में, संसद में बहुमत सीटें जीतने वाला राजनीतिक दल सरकार बनाता है और आपस में से किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में चुनता है जो सरकार का प्रमुख होता है।
दूसरी ओर, सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली में, राष्ट्रपति मुख्य कार्यकारी होता है, जिसे सीधे लोगों द्वारा या निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
मुख्य बिन्दु
भारत के लिये राष्ट्रपति प्रणाली के पक्ष में तर्क:
- स्थिर कार्यकारी: यह एक स्थिर कार्यपालिका स्थापित करता है जो विशेष रूप से गठबंधन सरकारों के मामले में विधायिका की उतार-चढ़ाव वाली इच्छा पर निर्भर नहीं करता है।
- चुनाव योग्यता से ऊपर छमताओं का ज्यादा महत्व: कैबिनेट पद उन लोगों तक सीमित नहीं होंगे जो निर्वाचित हैं, न कि उन लोगों तक जो सक्षम हैं। राष्ट्रपति किसी को भी सचिव (मंत्री के समकक्ष) नियुक्त कर सकता है।
- प्रभावी जाँच और संतुलन: यह राष्ट्रपति पद और विधायिका को दो समानांतर संरचनाओं के रूप में स्थापित करता है। यह प्रत्येक संरचना को दूसरे की निगरानी और जाँच करने की अनुमति देता है, इसलिये शक्ति के दुरुपयोग को रोकता है।
- नागरिकों की भूमिका: एक निश्चित अवधि के अंत में, जनता सरकार को कार्यालय में रखने में राजनीतिक कौशल के बजाय व्यक्ति के प्रदर्शन का न्याय करने में सक्षम होगी।
राष्ट्रपति प्रणाली के विपक्ष में तर्क:
- सहयोग का अभाव: कानून निर्माताओं और प्रशासकों के बीच सामजस्य की कमी , इस प्रणाली का एक बड़ा दोष है।।
- निरंकुश: एक राष्ट्रपति प्रणाली संसदीय प्रणाली के विपरीत एक व्यक्ति में सत्ता को केंद्रीकृत करती है, जहाँ प्रधानमंत्री समकक्षों में पहला होता है। एक व्यक्ति के अधिकार के लिये आत्मसमर्पण, जैसा कि राष्ट्रपति प्रणाली में है, लोकतंत्र के लिये खतरनाक है।
- शक्तियों के पृथक्करण पर चिंताएँ: यदि विधायिका में उसी पार्टी का वर्चस्व है जिससे राष्ट्रपति संबंधित है, तो वह विधायिका से किसी भी कदम को रोक सकता है।
भारत की संसदीय प्रणाली के लाभ:
- विविध प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है: विविधता और विभिन्न राज्यों की पार्टियों की संख्या को देखते हुए, भारत को लाखों लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये एक विविध कैबिनेट की आवश्यकता है। इसलिये, संसदीय प्रणाली देश के विभिन्न हिस्सों से उम्मीदवारों का चयन करके क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।
- संविधान की मूल संरचना: यह संविधान के मूल ढाँचे का हिस्सा है। संसदीय प्रणाली में बदलाव के लिये कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।
- अधिनायकवाद को रोकता है: चूँकि कार्यपालिका विधायिका के प्रति ज़िम्मेदार है और अविश्वास प्रस्ताव में इसे वोट दे सकती है, इसलिये यहाँ कोई अधिनायकवाद नहीं है। इसके अलावा, राष्ट्रपति प्रणाली के विपरीत, शक्ति एक हाथ में केंद्रित नहीं है, बल्कि व्यक्तियों के एक समूह (मंत्रिपरिषद) में केंद्रित है।
- बेहतर तालमेल: चूँकि कार्यपालिका विधायिका का एक हिस्सा है और आम तौर पर विधायिका का बहुमत सरकार का समर्थन करता है, इसलिये कानून पारित करना और उन्हें लागू करना आसान होता है।
- परिपक्वव प्रणाली: यह एक पुरानी प्रणाली है और लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपने अनुभव के साथ नये विचार प्रदान कर सकती है।
निष्कर्ष
संविधान सभा की बहस के दौरान, इसने ब्रिटिश काल के समय से ही प्रणाली से परिचित होने और सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली के तानाशाही प्रणाली में बदलने के डर के कारण सरकार के संसदीय रूप को सबसे अच्छा माना। सरकार के संसदीय स्वरूप से जुड़ी सकारात्मकताओं को ध्यान में रखते हुए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह भारत के लिये सरकार के राष्ट्रपति रूप से कहीं बेहतर है।