Sambhav-2023

दिवस- 87

प्रश्न.1 सहकारी बैंकों तथा इनके प्रकारों की चर्चा कीजिये। सहकारी बैंकों की नियामक संरचना का उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)

प्रश्न.2 नियो बैंक क्या है? भारत में फिनटेक से संबंधित संभावनाएँ और चुनौतियाँ क्या हैं? (250 शब्द)

17 Feb 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

उत्तर 1:

हल करने का दृष्टिकोण:

  • सहकारी बैंकों का परिचय दीजिये।
  • सहकारी बैंकों के प्रकार और इनकी नियामक संरचना पर चर्चा कीजिये।
  • समग्र और प्रभावी निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • सहकारी बैंक एक प्रकार का ऐसा वित्तीय संस्थान है जिसका स्वामित्व और नियंत्रण उसके सदस्यों के पास होता है, जो बैंक के ग्राहक भी होते हैं। सहकारी बैंक का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना और उनके आर्थिक और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना है। इस प्रकार की बैंक द्वारा उत्पन्न लाभ को सदस्यों के बीच वितरित किया जाता है, न कि बाहरी शेयरधारकों को आवंटित किया जाता है।
  • सहकारी बैंक समन्वय, आपसी सहयोग और स्वयं सहायता के सिद्धांतों पर कार्य करते हैं। ये आमतौर पर वाणिज्यिक बैंकों से छोटे होते हैं जो अक्सर विशिष्ट समुदायों या समूहों (जैसे किसानों, छोटे व्यवसायों या स्थानीय निवासियों) को सेवा प्रदान करते हैं।
  • सहकारी बैंक उन व्यक्तियों और समुदायों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिन्हें वाणिज्यिक बैंकों द्वारा पर्याप्त सेवाएँ नहीं मिल पाती हैं। यह अपने सदस्यों को बचत खाता, ऋण और अन्य वित्तीय उत्पादों जैसी सेवाओं को प्रदान करते हैं।

मुख्य भाग:

  • सहकारी बैंकें कई प्रकार की होती हैं जैसे:
    • क्रेडिट यूनियन्स: इस प्रकार के सहकारी बैंक का स्वामित्व और नियंत्रण इसके सदस्यों के पास होता है, जो आमतौर पर रोजगार, भौगोलिक स्थिति या किसी विशेष संगठन में सदस्यता के आधार पर समानता रखते हैं। क्रेडिट यूनियन बचत खातों एवं ऋण सहित अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • कृषि सहकारी बैंक: यह बैंक किसानों और कृषि उद्योग की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित होते हैं। यह कृषि उत्पादन और कृषि उपकरणों की खरीद के साथ-साथ अन्य वित्तीय सेवाओं के लिए ऋण प्रदान करते हैं।
    • आवास सहकारी बैंक: यह बैंक आवास सहकारी समितियों को वित्तीय सेवाएँ (जैसे कि आवास इकाइयों के निर्माण और नवीनीकरण के लिए वित्तपोषण प्रदान करना) देने के साथ ऋण देने पर केंद्रित होते हैं।
    • उपभोक्ता सहकारी बैंक: यह बैंक उपभोक्ता सहकारी समितियों (जैसे कि किराना स्टोर और खुदरा दुकानों से संबंधित) की वित्तीय जरूरतों को पूरा करता करने पर केंद्रित होते हैं। यह इन सहकारी समितियों के संचालन हेतु वित्तपोषण प्रदान करने के साथ अपने सदस्यों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • श्रमिक सहकारी बैंक: यह बैंक छोटे व्यवसायों जैसे श्रमिक-स्वामित्व वाली सहकारी समितियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित होते हैं। यह इन सहकारी समितियों के विकास और संवृद्धि हेतु ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • सहकारी बैंकों की विनियामक संरचना:
    • भारत में सहकारी बैंकों की नियामक संरचना कई कानूनों और विनियमों द्वारा शासित होती है जिसमें सहकारी समिति अधिनियम, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम और बैंकिंग विनियमन अधिनियम शामिल हैं।
    • भारत में सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिक नियामक प्राधिकरण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) है, जो सहकारी बैंकों के संचालन की निगरानी और विनियमन के साथ-साथ उनकी वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। आरबीआई न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं, ऋण नीतियों और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं सहित सहकारी बैंकों के प्रबंधन और संचालन के लिए मानक निर्धारित करता है।
    • भारतीय रिजर्व बैंक के अलावा भारत में सहकारी बैंक राज्य स्तर के सहकारी विभागों के निरीक्षण के अधीन भी होती हैं, जो राज्य स्तर पर सहकारी समितियों के पंजीकरण और पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार हैं। ये विभाग यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि सहकारी बैंक राज्य-स्तरीय सहकारी कानूनों और विनियमों का पालन करें तथा साथ ही यह सहकारी बैंकों को तकनीकी और वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं।
    • भारत में सहकारी बैंकों को भी बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना आवश्यक होता है, जिसमें भारत में बैंकों के संचालन के लिए नियमों और विनियमों को निर्धारित किया गया है। इसमें पूंजी के न्यूनतम स्तर को बनाए रखने, नियमित वित्तीय रिपोर्ट जमा करने और ऋण तथा ऋण नीतियों का पालन करने की आवश्यकताएँ शामिल हैं।

निष्कर्ष:

सहकारी बैंक बैंकरहित और बैंक सुविधा के अभाव वाले लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बैंक अपने सदस्यों के स्वामित्व और नियंत्रण में संचालित होते हैं, जो स्वयं इसके ग्राहक भी होते हैं। विभिन्न प्रकार के सहकारी बैंक हैं जिनमें क्रेडिट यूनियन, बचत और ऋण संघ तथा खुदरा बैंक शामिल हैं। सहकारी बैंकों की विनियामक संरचना एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है, लेकिन इनका विनियमन आमतौर पर केंद्रीय बैंक या वित्तीय विनियमन के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसी द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर सहकारी बैंक पारंपरिक बैंकों के संदर्भ में महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करने के साथ वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं।


उत्तर 2:

हल करने का दृष्टिकोण:

  • नियो बैंकों के बारे में बताइये।
  • भारत में फिनटेक की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
  • समग्र और प्रभावी निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • नियो बैंक डिजिटल बैंक होती हैं जिनका संचालन विशुद्ध रूप से मोबाइल ऐप या वेबसाइट के माध्यम से होता है। यह पारंपरिक बैंकों के समान ही कई सेवाएं प्रदान करती हैं जैसे कि बचत खाते, डेबिट कार्ड और कुछ मामलों में ऋण और निवेश की सुविधा। हालाँकि अधिक आधुनिक, उपयोगकर्ताओं के अनुकूल और प्रौद्योगिकी-संचालित बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करने के रूप में यह अन्य बैंक की तुलना में अलग होती हैं।
  • नियो बैंकों के प्रमुख लाभों में से एक उनकी सुलभ पहुंच होना है। पूरी तरह से डिजिटल होने के कारण इसमें ग्राहक केवल स्मार्टफोन या कंप्यूटर का उपयोग करके कहीं से भी, किसी भी समय अपने वित्त का प्रबंधन कर सकते हैं। इनके बचत खातों पर कम शुल्क के साथ उच्च ब्याज दरें होती हैं क्योंकि इन्हें भौतिक शाखाओं से संबंधित लागत वहन नहीं करनी होती है। इसके अतिरिक्त ग्राहकों को वित्तीय सलाह और अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए इनके द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाता है।

मुख्य भाग:

  • भारत में फिनटेक की संभावना:
    • देश की व्यापक और वृद्धिशील अर्थव्यवस्था (जिसमें बड़ी संख्या में बैंक रहित लोग शामिल हैं) के आलोक में भारत में फिनटेक के विस्तार की काफी संभावनाएँ क्षमता बहुत हैं। भारत सरकार सक्रिय रूप से देश में फिनटेक के विकास को बढ़ावा दे रही है, जैसे कि व्यक्तियों के वित्तीय लेनदेन के एक केंद्रीकृत डेटाबेस की स्थापना करना और फिनटेक कंपनियों के लिए अपने उत्पादों का परीक्षण और परिशोधन करने के लिए एक नियामक सैंडबॉक्स का निर्माण करना।
    • फिनटेक से वित्तीय समावेशन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। भारत में काफी लोगों की अभी भी पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच नहीं है। फिनटेक कंपनियां ऐसे लोगों को डिजिटल वित्तीय सेवाएँ (जैसे मोबाइल भुगतान और सूक्ष्म ऋण) प्रदान कर इस अंतराल को भर रही हैं।
    • फिनटेक से लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। फिनटेक कंपनियां एसएमई को डिजिटल रूप से ऋण प्रदान कर रही हैं, जो आमतौर पर पारंपरिक बैंकों से वित्तपोषण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करते हैं। वैकल्पिक डेटा स्रोतों और अत्याधुनिक जोखिम मूल्यांकन एल्गोरिदम का उपयोग करके, फिनटेक कंपनियां व्यक्तिगत एसएमई की आवश्यकताओं के लिए अनुकूलित ऋण उत्पादों की पेशकश करने में सक्षम हैं।
    • इसके अतिरिक्त फिनटेक में बीमा क्षेत्र को अधिक सुलभ और किफायती बनाकर भारत में बीमा उद्योग में क्रांति लाने की क्षमता है। फिनटेक कंपनियां बीमा खरीदने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के साथ अधिक व्यक्तिगत बीमा उत्पाद विकसित करने के लिए डेटा और एनालिटिक्स का लाभ उठा रही हैं।
  • भारत में फिनटेक के समक्ष चुनौतियाँ:
    • भारत में फिनटेक के विस्तार की काफी संभावनाएँ होने के बावजूद इसकी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए कई चुनौतियाँ हैं जैसे:
      • विनियमन: भारत में फिनटेक के लिए नियामक ढांचा अभी भी विकास की अवस्था में है और इसके संदर्भ में स्पष्ट और सुसंगत दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिनटेक के कुछ पहलुओं को विनियमित करने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी इसमें एक अधिक व्यापक नियामक ढांचे की आवश्यकता है जो उपभोक्ता संरक्षण के साथ नवाचार को संतुलित करे।
      • डेटा गोपनीयता: भारत में फिनटेक कंपनियों के लिए ग्राहकों के डेटा की गोपनीयता की रक्षा करना एक बड़ी चुनौती है। यहाँ आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी डिजिटल वित्तीय सेवाओं से अपरिचित है इसीलिये डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के महत्व पर उपभोक्ताओं को शिक्षित करने की आवश्यकता है।
      • वित्तीय साक्षरता: भारत में वित्तीय साक्षरता अभी भी अपेक्षाकृत काफी कम है और बहुत से लोग फिनटेक कंपनियों द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं से अपरिचित हैं। यह फिनटेक कंपनियों के समक्ष एक चुनौती है क्योंकि इससे इन्हें उपभोक्ताओं को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लाभों के बारे में शिक्षित करने और उनकी किसी भी चिंता को दूर करने में मदद करने की आवश्यकता होती है।
      • इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी विकास की अवस्था में है और बैंक रहित आबादी तक पहुंचने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच की आवश्यकता है। यह फिनटेक कंपनियों के लिए एक चुनौती है, क्योंकि उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनकी सेवाएं देश के सभी हिस्सों में लोगों के लिए सुलभ हो सकें।
      • प्रतिस्पर्धा: भारत में फिनटेक उद्योग तेजी से प्रतिस्पर्धी होता जा रहा है, जिसमें कई नए भागीदार बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। यह फिनटेक कंपनियों के लिए एक चुनौती है, क्योंकि उन्हें ग्राहकों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए खुद को विशिष्ट बनाने की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष:

नियो बैंक पूरी तरह से डिजिटल बैंक होते हैं हैं जो मोबाइल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से वित्तीय सेवाएँ प्रदान करते हैं। यह पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं से वंचित ग्राहकों के लिए सुविधाजनक और अभिनव समाधान प्रदान करते हैं। व्यापक आबादी, डिजिटल क्षेत्र के विस्तार और वित्तीय समावेशन की आवश्यकता को देखते हुए, भारत में फिनटेक की व्यापक संभावनाएँ है। हालाँकि नियामक बाधाएँ, स्थापित भागीदारों से प्रतिस्पर्धा के साथ ग्राहकों के बीच इसके संदर्भ में विश्वास को मजबूत बनाने की चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में फिनटेक के विकास की व्यापक संभावनाओं के साथ इसमें देश के वित्तीय परिदृश्य को बदलने की क्षमता है।