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Sambhav-2023

  • 16 Feb 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस- 86

    प्रश्न.1 विभिन्न प्रकार के मुद्रा बाज़ार उपकरणों की चर्चा कीजिये। भारत में मुद्रा बाज़ार के विस्तार हेतु आवश्यक सुधारों पर चर्चा कीजिये? (250 शब्द)

    प्रश्न.2 म्युचुअल फंड और इसके प्रकारों पर चर्चा करते हुए बताइये कि म्यूचुअल फंड बाज़ार में सुधार हेतु आप क्या उपाय सुझाएंगे? (250 शब्द)

    उत्तर

    उत्तर 1:

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मुद्रा बाज़ार और मुद्रा बाज़ार उपकरणों के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • मुद्रा बाज़ार में आवश्यक सुधारों की चर्चा कीजिये।
    • समग्र निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • मुद्रा बाज़ार वित्तीय बाज़ार का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ उच्च तरलता और कम परिपक्वता वाले वित्तीय उपकरणों का व्यापार होता है। मुद्रा बाज़ार का प्राथमिक उद्देश्य सरकारों, वित्तीय संस्थानों और अन्य संगठनों के लिये अल्पकालिक वित्त पोषण प्रदान करना है। ट्रेजरी बिल, जमा प्रमाणपत्र (CDs) और वाणिज्यिक पत्र आदि मुद्रा बाज़ार के उपकरण हैं।
    • मुद्रा बाज़ार उपकरण ऐसे वित्तीय साधन हैं जिनका उपयोग अल्पकालिक तरलता का प्रबंधन करने और अतिरिक्त नकदी का निवेश करने के लिये किया जाता है। इन उपकरणों को कम जोखिम वाला निवेश विकल्प माना जाता है।

    मुख्य भाग:

    • मुद्रा बाज़ार के कुछ सामान्य उपकरण निम्नलिखित हैं:
      • ट्रेजरी बिल: ट्रेजरी बिल सरकार द्वारा जारी अल्पकालिक ऋण प्रतिभूतियाँ हैं। इनकी एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि होती है और इन्हें सबसे सुरक्षित प्रकार का मुद्रा बाज़ार उपकरण माना जाता है।
      • वाणिज्यिक पत्र: वाणिज्यिक पत्र, कार्यशील पूंजी या निवेश उद्देश्यों हेतु धन जुटाने के लिये निगमों द्वारा जारी एक अल्पकालिक ऋण उपकरण है। वाणिज्यिक पत्र की परिपक्वता अवधि आमतौर पर एक से लेकर 270 दिनों तक होती है।
      • जमा प्रमाणपत्र (CDs): यह बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सावधि जमा सुविधा है। इनकी एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक महीने से लेकर पाँच साल तक) और एक निश्चित ब्याज दर होती है।
      • पुनर्खरीद समझौते (रेपो): रेपो का आशय सरकारी प्रतिभूतियों या अन्य बंधक संपत्ति के तहत लिये जाने वाले सुरक्षित अल्पकालिक ऋण हैं। इनको आमतौर पर वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनी तरलता का प्रबंधन करने के लिये उपयोग किया जाता है और इन्हें कम जोखिम वाला निवेश विकल्प माना जाता है।
      • मुद्रा बाज़ार फंड: मुद्रा बाज़ार फंड, म्यूचुअल फंड होते हैं जिनका निवेश मुद्रा बाज़ार उपकरण में किया जाता है जैसे कि ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाणपत्र। इन फंडों को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जिनसे पारंपरिक बचत खातों की तुलना में अधिक रिटर्न मिलता है।
      • फेडरल फंड्स: फेडरल फंड, बैंकों के बीच के अल्पकालिक ऋण होते हैं जिनका उपयोग तरलता के प्रबंधन के लिये किया जाता है। ये आमतौर पर ओवरनाइट ऋण होते हैं तथा इन्हें कम जोखिम वाला निवेश विकल्प माना जाता है।
    • विभिन्न प्रकार के मुद्रा बाज़ार उपकरण में जोखिम, रिटर्न, परिपक्वता अवधि और जारीकर्ता के रूप में भिन्नताएँ होती हैं लेकिन इन सभी से निवेशकों के लिये अल्पकालिक तरलता और स्थिरता प्राप्त होती है।
    • भारत में मुद्रा बाज़ार के विस्तार हेतु निम्नलिखित सुधार किये जा सकते हैं जैसे:
      • उत्पादों का विविधीकरण करना: भारत में मुद्रा बाज़ार के प्रति निवेशकों और उधारकर्ताओं को आकर्षित करने के लिये इसके उत्पादों में विविधता लाने की आवश्यकता है। इसमें ग्रीन बॉन्ड, इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड और शॉर्ट-टर्म कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे नए उत्पादों की शुरुआत शामिल हो सकती है।
      • द्वितीयक बाज़ारों का विकास करना: द्वितीयक बाज़ार की मुद्रा बाज़ार उपकरणों के व्यापार और तरलता को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इन बाज़ारों के विकास से अधिक पारदर्शिता, दक्षता और निवेशक सुरक्षा मिलने से भारत में मुद्रा बाज़ार के विस्तार में मदद मिलेगी।
      • विनियमों को सुव्यवस्थित करना: इसको स्पष्टता और स्थिरता प्रदान करने के लिये भारत में मुद्रा बाज़ार के लिये नियामक ढाँचे को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। इसमें बाज़ार के विभिन्न क्षेत्रों में विनियमों को सुसंगत बनाना और मुद्रा बाज़ार उपकरणों को जारी करने एवं इसके व्यापार की प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल हो सकता है।
      • बेहतर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना: नई तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म के विकास से मुद्रा बाज़ार उपकरणों को जारी करने, व्यापार करने और व्यवस्थित करने के तरीके में बदलाव आ सकता है। बुनियादी ढाँचे में सुधार से इसकी दक्षता बढ़ाने के साथ इसके बाज़ार विस्तार में मदद मिलेगी।
      • वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना: मुद्रा बाज़ार की वृद्धि और विकास के लिये वित्तीय साक्षरता महत्त्वपूर्ण है। विभिन्न प्रकार के मुद्रा बाज़ार उपकरणों, उनकी विशेषताओं और इन उपकरणों में निवेश के लाभों के बारे में जागरूकता से निवेशकों को आकर्षित करने के साथ इसके बाज़ार विस्तार में मदद मिलेगी।

    निष्कर्ष:

    मुद्रा बाज़ार में विभिन्न प्रकार के कम जोखिम वाले, कम रिटर्न वाले वित्तीय उपकरण शामिल होते हैं जो निवेशकों के लिये अल्पकालिक तरलता और स्थिरता प्रदान करते हैं। भारत की मुद्रा बाज़ार में बैंकों और वित्तीय संस्थानों का वर्चस्व रहा है लेकिन अब इसमें अधिक विविध और नवीन उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इस क्षेत्र में सुधारों से मुद्रा बाज़ार को व्यापक हितधारकों के लिये अधिक सुलभ और आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी।


    उत्तर 2:

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • म्यूचुअल फंड का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • म्यूचुअल फंड के प्रकारों को बताते हुए इसमें आवश्यक सुधारों पर चर्चा कीजिये।
    • समग्र निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • म्यूचुअल फंड एक ऐसा निवेश फंड है जिसमें कई निवेशकों से धन एकत्र कर इसका निवेश स्टॉक, बॉन्ड और अन्य सिक्योरिटीज जैसी संपत्तियों में किया जाता है। इस फंड का प्रबंधन एक पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा किया जाता है जो फंड के निवेशकों की ओर से निवेश संबंधी निर्णय लेता है।
    • म्यूचुअल फंड के माध्यम से व्यक्तिगत निवेशकों को विभिन्न प्रकार की संपत्तियों और निवेश रणनीतियों में शामिल होने का सुविधाजनक तरीका मिलता है।

    मुख्य भाग:

    • कई प्रकार के म्यूचुअल फंड होते हैं जैसे:
      • स्टॉक फंड्स: इसके तहत मुख्य रूप से शेयरों में निवेश करने के साथ लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न प्राप्त करने का लक्ष्य रखा जाता है।
      • बॉन्ड फंड्स: इसके तहत मुख्य रूप से बॉन्ड्स में निवेश करने के साथ आय और स्थिरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा जाता है।
      • बैलेंस्ड फंड: संवृद्धि और आय दोनों प्रदान करने के लिये इसके तहत स्टॉक और बॉन्ड में निवेश किया जाता है।
      • इंडेक्स फंड्स: इसके तहत इंडेक्स (जैसे कि एस एंड पी 500) में शामिल स्टॉक या बॉन्ड में निवेश किया जाता है।
      • मनी मार्केट फंड: इसके तहत अल्पकालिक, कम जोखिम वाली ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करने के साथ सुरक्षा और तरलता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा जाता है।
      • स्पेशलिटी फंड: इसके तहत विशिष्ट उद्योगों या बाज़ारों पर बल दिया जाता है जैसे रियल एस्टेट या अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक।
    • यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि म्यूचुअल फंड में शुल्क और अन्य व्यय शामिल होते हैं, जिसमें प्रबंधन शुल्क, बिक्री शुल्क और अन्य शुल्क शामिल होते हैं। इनका निवेश की वापसी पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले फंड के निवेश उद्देश्य, जोखिम, शुल्क और इसके आउटकम इतिहास पर सावधानीपूर्वक विचार करना महत्त्वपूर्ण है।
    • म्यूचुअल फंड बाज़ार हेतु सुझाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार:
      • पारदर्शिता बढ़ाना: निवेशकों को फंड के आउटकम, शुल्क और अन्य प्रमुख व्यय के बारे में स्पष्ट और संक्षिप्त जानकारी प्रदान करने से उन्हें अधिक सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
      • निवेशकों के हितों का ध्यान रखना: संपत्ति-आधारित शुल्क के बजाय प्रदर्शन-आधारित शुल्क के माध्यम से फंड मैनेजरों और निवेशकों के हितों पर बल देने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि फंड के प्रबंधक, निवेशकों के लिये मजबूत रिटर्न देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
      • निवेशकों का बेहतर संरक्षण करना: निवेशकों को धोखाधड़ी और अन्य प्रकार के दुरुपयोग से बचाने हेतु सख्त नियमों और निरीक्षण को लागू करने से म्यूचुअल फंड बाज़ार की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
      • उत्पादों का सरलीकरण करना: प्रस्तावित म्यूचुअल फंडों की संख्या को सुव्यवस्थित करने और उनके निवेश उद्देश्यों की स्पष्टता में सुधार करने से निवेशकों को अधिक सूचित निर्णय लेने के साथ इस संबंध में किसी भी भ्रम से बचने में मदद मिल सकती है।
      • वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना: निवेशकों को म्यूचुअल फंड बाज़ार की जटिलताओं को समझने में मदद करने के लिये संसाधन और उपकरण प्रदान करने से उन्हें बेहतर निवेश निर्णय लेने और गलतियों से बचने में मदद मिल सकती है।
      • फंड की लागतों को स्पष्ट किया जाना: निवेशकों को म्यूचुअल फंड से जुड़ी लागतों के बारे में विस्तृत जानकारी (जिसमें सभी शुल्क और व्यय शामिल हैं) प्रदान करने से उन्हें अधिक स्पष्ट निवेश निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
      • बेहतर जोखिम प्रबंधन करना: बेहतर जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं को लागू करने से निवेशकों को नुकसान से बचाने के साथ म्यूचुअल फंड बाज़ार की स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
      • मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर बल देना: कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रक्रियाओं (जैसे कि स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और स्पष्ट नीतियों और प्रक्रियाओं की स्थापना) को मजबूत करने से म्यूचुअल फंड बाज़ार की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिल सकती है।

    निष्कर्ष:

    म्यूचुअल फंड एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है जिसके द्वारा विविधीकरण और पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो में निवेश की सुविधा मिलती है। इक्विटी, बॉन्ड और मनी मार्केट फंड सहित विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड मौजूद हैं। म्यूचुअल फंड बाज़ार में सुधार हेतु पारदर्शिता को बढ़ावा देने तथा इसके बेहतर विनियमन के साथ वित्तीय साक्षरता जैसी पहल करने से बाज़ार की दक्षता में सुधार होने तथा इसके प्रति निवेशकों के आकर्षण को बढ़ावा मिल सकता है।

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