Sambhav-2023

दिवस- 77

प्रश्न.1 भारतीय रेलवे का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के आलोक में इस कथन की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

प्रश्न.2 वैश्विक व्यापार में भारतीय नौवहन उपकरण (Indian fleet) की क्षमता और हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

06 Feb 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

उत्तर 1:

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में भारतीय रेलवे के महत्त्व का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
  • प्रभावी और समग्र निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • भारतीय रेलवे देश भर में लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को जोड़ने के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • रेलवे नेटवर्क ने रोज़गार के अवसर प्रदान करके, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर और वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही को सुगम बनाकर भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • रेलवे नेटवर्क ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को पाटने में भी मदद की है। इसने दूरस्थ क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा है और इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान दिया है।
  • आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के साथ भारतीय रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था में और भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने, विकास को गति देने, यात्रियों की सुविधा में सुधार करने और देश के समग्र विकास में योगदान देने के लिये अग्रसर है।

मुख्य भाग:

  • भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई तरह से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जैसे:
    • दक्षता में वृद्धि: कम्प्यूटरीकृत टिकटिंग, जीपीएस-आधारित ट्रेन ट्रैकिंग और वस्तु परिवहन के लिये ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसी उन्नत तकनीकों की शुरुआत से लोगों को लाभ हुआ है। इससे रेलवे सेवाओं की मांग में वृद्धि होने तथा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के साथ सरकार के लिये राजस्व प्राप्त होता है।
    • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर को कम करना: भारतीय रेलवे ने सुदूर क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़कर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर को कम करने में मदद की है। इससे नए बाज़ारों और उद्योगों का विकास हुआ है जिससे इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास तथा जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
    • लागत दक्षता में वृद्धि: इस क्षेत्र के डिजिटलीकरण ने भारतीय रेलवे के परिचालन को सुव्यवस्थित करने, लागत कम करने और लाभप्रदता बढ़ाने में मदद की है। इससे बुनियादी ढाँचे को और आधुनिक बनाने तथा सेवाओं में सुधार करने में सहायता मिली है।
    • रोज़गार के अवसर: भारतीय रेलवे भारत में लाखों लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान कराती है। इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण से प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर सृजित होने की उम्मीद है जिससे आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा मिलेगा।
    • वस्तुओं का बेहतर परिवहन: भारतीय रेलवे के डिजिटलीकरण से वस्तुओं के परिवहन में सुधार हुआ है, पारगमन समय कम हुआ है और वैश्विक व्यापार में भारतीय अर्थव्यवस्था की समग्र प्रतिस्पर्धा में सुधार हुआ है।

निष्कर्ष:

भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इससे परिवहन दक्षता में वृद्धि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर में कमी और रोज़गार सृजन के साथ वस्तुओं के परिवहन में सुलभता आई है। यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ विकास को गति दे रहा है और देश के समग्र विकास में योगदान दे रहा है। भारत सरकार और निजी क्षेत्र को यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है कि इस क्षेत्र का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण जारी रहे और आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता बना रहे।


उत्तर 2:

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारतीय नौवहन उपकरण और उसके महत्त्व का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • भारतीय नौवहन उपकरण की क्षमता बढ़ाने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये जो अंततः वैश्विक व्यापार में इसके योगदान को बढ़ावा देते हैं।
  • समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • भारतीय नौवहन उपकरण के रूप में जहाज और जलयान की भारतीय अर्थव्यवस्था एवं वैश्विक व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • लंबी तटरेखा, बड़ी आबादी और वृद्धिशील अर्थव्यवस्था के आलोक में वैश्विक शिपिंग उद्योग में भारत के पास प्रमुख भूमिका निभाने की क्षमता है।
  • भारत में (आर्थिक सर्वेक्षण,2022 के अनुसार) 1,463 जहाज हैं। इसका मतलब यह है कि भारत के जहाजों की वैश्विक व्यापार में प्रमुख भूमिका है।

मुख्य भाग:

  • वैश्विक व्यापार में भारतीय बेड़े की क्षमता और हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए जा सकते हैं जैसे:
    • आधुनिक बुनियादी ढाँचे में निवेश:
      • भारतीय नौवहन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिये भारत सरकार आधुनिक बंदरगाहों, शिपयार्ड और अन्य समुद्री बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश कर सकती है।
      • 13 प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता जो मार्च 2014 के अंत में 871.52 मिलियन टन प्रति वर्ष थी, मार्च 2021 के अंत तक 79 प्रतिशत बढ़कर 1,560.61 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई।
      • यह परिवहन लागत को कम करने, दक्षता बढ़ाने और विदेशी व्यापार के विस्तार में सहायक होगा।
    • निजी निवेश को प्रोत्साहन:
      • शिपिंग उद्योग में निजी क्षेत्र के निवेश को कर प्रोत्साहन, सब्सिडी और वित्तीय सहायता के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा सकता है।
      • इससे नए जहाजों के विकास, मौजूदा बेड़े के विस्तार और नई प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण के लिये पूंजी की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
    • नौवहन उपकरण संबंधी उद्योगों को बढ़ावा देना:
      • भारत सरकार नौवहन उपकरण संबंधी उद्योगों के विकास को बढ़ावा दे सकती है, जैसे जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत और रखरखाव संबंधित सेवाएँ आदि।
      • यह भारतीय नौवहन उपकरण के आकार को बढ़ाने और वैश्विक व्यापार में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करेगा।
      • वर्ष 2035 तक सागरमाला कार्यक्रम के तहत कार्यान्वयन हेतु 5.54 लाख करोड़ रुपये के निवेश की 802 परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं।
      • इसमें से 94,712 करोड़ रुपये की 181 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और 2.11 लाख करोड़ रुपये की 223 परियोजनाएँ कार्यान्वयन के क्रम में हैं।
    • कुशल कार्यबल का विकास:
      • भारत सरकार शिपिंग उद्योग हेतु कुशल कार्यबल विकसित करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश कर सकती है।
      • इससे अधिक निवेश आकर्षित करने और भारतीय बेड़े की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
    • नियमों और नीतियों को सुव्यवस्थित करना:
      • भारत सरकार प्रशासनिक बोझ को कम करने और भारतीय नौवहन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिये नियमों और नीतियों को सुव्यवस्थित कर सकती है।
      • सरकार की महत्त्वाकांक्षी सागरमाला परियोजना का उद्देश्य भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ 14,500 किलोमीटर के संभावित नौगम्य जलमार्गों की क्षमता का दोहन करके देश में आर्थिक विकास को गति देना है।
      • इसमें लालफीताशाही को कम करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और निर्णय लेने में पारदर्शिता को बढ़ावा देना शामिल है।
    • सामरिक भागीदारी और सहयोग:
      • भारतीय नौवहन उपकरण की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिये भारत सरकार अन्य देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी और सहयोग कर सकती है। उदाहरण के लिये भारत अन्य देशों के साथ नई तकनीकों के विकास के साथ जहाज निर्माण हेतु संयुक्त उद्यम स्थापित करने हेतु सहयोग कर सकता है।

निष्कर्ष:

वैश्विक व्यापार में भारतीय नौवहन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है और इसकी क्षमता और हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए जा सकते हैं। आधुनिक बुनियादी ढाँचे में निवेश करके, निजी निवेश को प्रोत्साहित करके,कुशल कार्यबल का विकास करके, नौवहन उपकरण संबंधी उद्योगों को बढ़ावा देकर, रणनीतिक साझेदारी और सहयोग को विकसित कर एवं नियमों तथा नीतियों को सुव्यवस्थित करके, भारत सरकार भारतीय नौवहन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के साथ अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी को मजबूत कर सकती है।