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Sambhav-2023

  • 04 Feb 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस- 76

    प्रश्न.1 विश्व स्तर पर उन क्षेत्रों का परीक्षण कीजिये जहाँ पर आखेट और खाद्य संग्रहण, जीवन निर्वाह के प्रमुख साधन हैं। (250 शब्द)

    प्रश्न.2 भारत और विश्व में पेट्रोलियम उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    उत्तर 1:

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • आखेट (शिकार) और खाद्य संग्रहण के बारे में बताइये।
    • विश्व के उन विभिन्न स्थानों का उल्लेख कीजिये जहाँ आखेट और खाद्य संग्रहण का अभी भी प्रचलन है।
    • समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • विश्व के कुछ हिस्सों में आखेट और खाद्य संग्रहण का अभी भी प्रचलन है हालांकि प्राचीन काल की तुलना में इसमें काफी गिरावट आई है।
    • यह प्रथा मुख्य रूप से दूरस्थ क्षेत्रों में मिलती है जहाँ लोग प्राकृतिक संसाधनों के निकट रहते हैं तथा खाद्य उत्पादन के लिये आधुनिक तकनीकों तक उनकी पहुँच नहीं होती है।

    मुख्य भाग:

    • उन क्षेत्रों के कुछ उदाहरण जहाँ अभी भी शिकार और खाद्य संग्रहण का प्रचलन मिलता है जैसे:
      • आर्कटिक: आर्कटिक के स्थानीय लोग (जैसे कि इनुइट) निर्वाह हेतु पारंपरिक रूप से शिकार पर निर्भर रहते हैं। ये समुद्री स्तनधारियों, मछलियों का शिकार करते हैं और भोजन के लिये जंगली पौधों को इकट्ठा करते हैं।
      • अफ़्रीकी सवाना क्षेत्र: अफ़्रीका में कुछ समूह (जैसे हद्ज़ा और सैन लोग) अपने निर्वाह के मुख्य साधन के रूप में आखेट और खाद्य संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। ये शिकार करने के साथ जंगली फल, नट और जड़ें इकट्ठा करते हैं।
      • अमेज़न बेसिन क्षेत्र: अमेज़न बेसिन के स्थानीय समुदाय निर्वाह कृषि के कुछ रूपों के अलावा, आखेट और खाद्य संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। ये शिकार करने के साथ जड़ों, फलों एवं अन्य जंगली खाद्य पदार्थ इकट्ठा करते हैं।
      • कालाहारी रेगिस्तान: कालाहारी रेगिस्तान के स्थानीय लोग निर्वाह हेतु पारंपरिक रूप से शिकार पर निर्भर रहते हैं। ये शिकार करने के साथ जंगली फल और जड़ें इकट्ठा करते हैं।
      • अंडमान द्वीप समूह: बंगाल की खाड़ी में अंडमान द्वीप समूह के स्थानीय लोग जीवन निर्वाह के लिये शिकार, मछली पकड़ने के साथ खाद्य संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। ये शिकार करने के साथ जंगली फल और जड़ें इकट्ठा करते हैं।
      • पापुआ प्रायद्वीपीय क्षेत्र: न्यू गिनी की पापुआ उच्च भूमि के स्थानीय लोग निर्वाह के लिये शिकार, मछली पकड़ने के साथ खाद्य संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। ये शिकार करने के साथ जंगली फल और जड़ें इकट्ठा करते हैं।
      • पैसिफ़िक नॉर्थवेस्ट: उत्तरी अमेरिका के पैसिफ़िक नॉर्थवेस्ट के स्थानीय लोग, जैसे कि हैडा और टलिंगिट पारंपरिक रूप से निर्वाह हेतु शिकार, मछली पकड़ने के साथ खाद्य संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। ये समुद्री स्तनधारियों, मछलियों का शिकार करते हैं और जड़ों, फलों तथा मेवों जैसे जंगली खाद्य पदार्थ इकट्ठा करते हैं।

    निष्कर्ष:

    हालांकि जीवन की इस पारंपरिक पद्धति के समक्ष विभिन्न खतरों (जिसमें वनों की कटाई, संसाधनों का अतिदोहन और जबरन पुनर्वास करना शामिल है) के बावजूद कई स्थानीय समुदाय निर्वाह के साधन के रूप में आखेट और खाद्य संग्रहण पर निर्भर बने हुए हैं। इन समुदायों के कौशल एवं सांस्कृतिक परंपराओं को पहचानने के साथ उनका सम्मान करना एवं इनके कल्याण को सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।


    उत्तर 2:

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • पेट्रोलियम उद्योग एवं उसकी अवस्थिति का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • पेट्रोलियम उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिये।
    • समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • विश्व की ऊर्जा मांगों को पूरा करने में पेट्रोलियम उद्योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति कई कारकों से प्रभावित होती है जो इस उद्योग की स्थापना के लिये किसी विशेष क्षेत्र की उपयुक्तता निर्धारित करते हैं।
    • भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर प्रमुख तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की उपस्थिति, भौगोलिक पहुँच, राजनीतिक स्थिरता, कुशल कार्यबल, पर्यावरण नियम और बाजार की मांग ऐसे कुछ प्रमुख कारक हैं जो पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं।

    India

    मुख्य भाग:

    • ऐसे कई कारक हैं जो भारत में पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं जैसे:
      • तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार: पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति का निर्धारण करने में तेल और गैस भंडार सबसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं। किसी विशेष क्षेत्र में इस तरह के भंडार की उपस्थिति इसे अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों के लिये अनुकूल स्थान बनाती है।
      • भौगोलिक पहुँच: तेल और गैस के भंडार तक सुलभ पहुँच एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है। पेट्रोलियम की खोज और उत्पादन गतिविधियों के लिये अच्छे परिवहन और बुनियादी सुविधाओं वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।
      • राजनीतिक स्थिरता: पेट्रोलियम उद्योग के सुचारू संचालन हेतु स्थिर राजनीतिक वातावरण महत्त्वपूर्ण है। पेट्रोलियम उद्योगों की स्थापना के लिये तेल और गैस क्षेत्र के लिये स्थिर सरकार और अनुकूल नीतियों वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।
      • कुशल कार्यबल: कुशल कार्यबल की उपलब्धता पेट्रोलियम उद्योग के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • पर्यावरण नियम: सख्त पर्यावरण नियम, पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। उदार पर्यावरणीय नियमों वाले क्षेत्र में पेट्रोलियम उद्योग के लिये प्राथमिकता मिलती है जबकि कड़े नियमों वाले क्षेत्र इसके लिये कम आकर्षक हो सकते हैं।
      • बाजार में मांग: पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति का निर्धारण करने में प्रमुख बाजारों की निकटता भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है। परिवहन लागत को कम करने हेतु पेट्रोलियम उद्योगों की स्थापना के लिये प्रमुख बाजारों के पास के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।

    निष्कर्ष:

    भारत में पेट्रोलियम उद्योग की अवस्थिति तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की उपलब्धता, भौगोलिक पहुँच, राजनीतिक स्थिरता, कुशल कार्यबल, पर्यावरण नियमों और बाजार की मांग जैसे कारकों से प्रभावित होती है। इन कारकों से पेट्रोलियम उद्योग की स्थापना के लिये किसी विशेष क्षेत्र की उपयुक्तता को निर्धारित किया जाता है। भारत सरकार और संबंधित हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिये इन कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है कि पेट्रोलियम उद्योग इस तरह से स्थापित हो जिससे देश और इसके लोगों को लाभ हो।

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