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Sambhav-2023

  • 13 Dec 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    दिवस- 30

    प्रश्न.1 भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नववर्ष मनाने के तरीकों और उनके महत्त्व की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    प्रश्न.2 भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख धार्मिक त्योहारों की चर्चा करते हुए उनके महत्त्व का भी उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    उत्तर 1:

    दृष्टिकोण:

    • भारत के विभिन्न भागों में होने वाले नववर्ष उत्सव का परिचय दीजिये।
    • भारत में नववर्ष मनाने के विभिन्न तरीकों की चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारतीय समाज, त्योहारों और उत्सवों से समृद्ध है। भारतीय समाज में धार्मिक (होली, दीवाली, ईद, आदि), धर्मनिरपेक्ष (खजुराहो नृत्य महोत्सव, तीज, सैर-ए-गुल-फरोशां, आदि) और नववर्ष उत्सव आदि मनाए जाते हैं।

    मुख्य भाग:

    भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नववर्ष उत्सव:

    • बैसाखी :
      • बैसाखी पूरे उत्तर भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा फसल उत्सव है। पाँच नदियों की भूमि (पंजाब) बैसाखी का विशेष स्थान है। वैसाख महीने के इस पहले दिन को पंजाब का सिख समुदाय, सिख खालसा के गठन के रूप में मनाता है। यह मुख्य रूप से खालसा के उत्पत्ति स्थल और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मनाया जाता है।
      • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाई जाने वाली बैसाखी के रूप में भी उच्चारित किया जाता है। यह हिंदू सौर नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
    • विशु:
      • यह भारतीय राज्य केरल, कर्नाटक के तुलु नाडु क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी के माहे जिले, तमिलनाडु के संलग्न क्षेत्रों और यहाँ के प्रवासी समुदायों के बीच मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है।
      • यह त्योहार मेदम के पहले दिन को चिह्नित करता है,जो केरल में सौर कैलेंडर के नौवें महीने को संदर्भित करता है।
      • इसलिये यह हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के मध्य में 14 या 15 अप्रैल को पड़ता है।
    • पुथांडु:
      • इसे पुथुवरुडम या तमिल नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर वर्ष का पहला दिन है और पारंपरिक रूप से एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
      • इस त्योहार की तारीख तमिल महीने चिथिरई के पहले दिन के रूप में हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की जाती है।
      • इसलिये यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर वर्ष 14 अप्रैल को आता है।
    • बोहाग बिहू:
      • बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम सहित भारत के अन्य उत्तर-पूर्वी भागों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक आदिवासी त्योहार है।
      • यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
      • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आता है, ऐतिहासिक रूप से यह फसल कटाई के समय को दर्शाता है।
    • नाबा बरसा:
      • बंगाली कैलेंडर के अनुसार, पश्चिम बंगाल में नववर्ष को नाबा बरसा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
      • इसे पोइला बोइशाख के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है पहली बैसाखी (बंगालियों के चंद्र-सौर कैलेंडर में एक महीना)।
        • बंगाली लोग इस नए साल के त्योहार को साथ मिलकर अन्य बंगाली त्योहार की तरह जोर-शोर से मनाते हैं।
      • इस त्योहार को पूरे बंगाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगो द्वारा मनाया जाता है।
      • दुर्गा पूजा के बाद यह बंगाल में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित त्योहार है, यह त्योहार खासकर बंगाल के उन बंगाली लोगों को जोड़ता है, जो मूल रूप से हिंदू हैं।

    गुड़ी पड़वा और उगादि:

    • ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र में लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।
    • इन दोनों त्योहारों के समारोहों में भोजन, मीठे और कड़वे मिश्रण से तैयार किया जाता है।
    • इस दौरान दक्षिण में बेवु-बेला नामक गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जो यह दर्शाता है कि जीवन सुख और दुख दोनों का मिश्रण है।
    • गुड़ी महाराष्ट्र के घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
      • गुड़ी बनाने के लिये बाँस की छड़ी को हरे या लाल ब्रोकेड से सजाया जाता है। इस गुड़ी को घर में या खिड़की/दरवाजे के बाहर सभी को दिखाने के लिये प्रमुखता से रखा जाता है।
    • उगादि में घरों के दरवाजे आम के पत्तों से सजाए जाते हैं, जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।

    चेटी चंड:

    • सिंधी ‘चेटी चंड’ को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। चैत्र माह को सिंधी में 'चेत' कहा जाता है।
    • यह दिन सिंधियों के संरक्षक संत उदयलाल/झूलेलाल की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

    नवरेह:

    • यह कश्मीर में मनाया जाने वाला चंद्र नववर्ष है।
    • संस्कृत के शब्द 'नववर्ष'से 'नवरेह' शब्द की व्युत्पत्ति हुई है।
      • यह चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आयोजित किया जाता है।
    • इस दिन कश्मीरी पंडित चावल के एक कटोरे के दर्शन करते हैं, जिसे धन और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है।

    निष्कर्ष:

    • त्यौहार और मेले हमारी आस्थाओं और भावनाओं के प्रवाह का माध्यम होने के कारण भारतीय संस्कृति का आंतरिक सार तत्त्व हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ विभिन्न धर्मों और समुदायों से संबंधित विभिन्न त्योहारों के लिए छुट्टियाँ घोषित की जाती हैं। विभिन्न प्रकार के त्यौहार, भारत की संस्कृति और परंपरा को प्रतिबिंबित करते हैं।

    उत्तर 2:

    दृष्टिकोण:

    • भारत के धार्मिक त्योहारों का परिचय दीजिये।
    • भारत के प्रमुख धार्मिक त्योहारों एवं उनके महत्त्व की चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत को त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है। भारत में धार्मिक त्योहारों का सामाजिक-आर्थिक और परंपरागत प्रासंगिकता के कारण लोगों के बीच काफी महत्त्व है।

    विशेष धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा धार्मिक त्यौहार मनाए जाते हैं। अधिकांश धार्मिक संप्रदायों में ऐसे विशेष त्यौहार होते हैं जो उनकी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिए, विश्व भर में हिंदू समुदाय द्वारा दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

    मुख्य भाग:

    • ये ऐसे त्यौहार होते हैं जो विशिष्ट समुदायों द्वारा मनाए जाते हैं लेकिन विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा इन्हें मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। भारत में मनाए जाने वाले कई धार्मिक त्योहारों को संबंधित धर्म के अनुसार विभाजित किया गया है।

    हिंदू त्यौहार:

    • दीवाली या दीपावली: इसे आमतौर पर ‘प्रकाश के त्योहार' के रूप में जाना जाता है, जो कार्तिक (अक्टूबर या नवंबर) के महीने में 'अमावस्या' के शुभ दिन पर होता है। इसे 'कृष्ण चतुर्दशी' भी कहा जाता है।
      • यह दिन दो कारणों से पवित्र है: इस दिन भगवान राम अपने चौदह साल के लंबे वनवास से अयोध्या वापस आए थे। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
        • धन के प्रतीक के रुप में शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
    • होली: इसे 'रंगों का त्योहार' कहा जाता है। यह त्योहार फाल्गुन के महीने में या फरवरी के अंत और मार्च की शुरुआत के दौरान आता है। यह वसंत की शुरुआत और सर्दियों के अंत का भी प्रतीक है।
      • पौराणिक कथाओं के अनुसार होली को 'होलिका दहन' या राक्षसी 'होलिका' जलाने का दिन भी कहा जाता है।
      • होली के दिन से जुड़ी एक और कथा भगवान कृष्ण और राधा के शाश्वत प्रेम की है। रंग और उत्सव 'प्रेम के देवता' या काम के पर्याय होते हैं।
      • पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में इसे बसंत उत्सव या ढोल जात्रा कहा जाता है। कुछ लोग इस दिन भांग या ठंडाई का भी सेवन करते हैं।
    • जन्माष्टमी: यह भगवान कृष्ण की जयंती है और इसे पूरे देश में हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इसे श्रावण (जुलाई/अगस्त) के महीने में मनाया जाता है।
      • महाराष्ट्र में इस त्योहार को दही-हांडी कहा जाता है और इसे उल्लास से मनाया जाता है।
    • छठ: छठ वैदिक काल से मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है। यह सूर्य देव (सूर्य) को समर्पित है जो पृथ्वी पर सभी जीव का आधार हैं। यह कार्तिक मास के चंद्र पखवाड़े के छठे दिन यानी दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। यह बिहार का राजकीय पर्व है।

    मुस्लिम त्यौहार:

    • ईद-उल-फितर: यह त्योहार रमजान (रमजान) के पवित्र महीने के आखिरी दिन आता है जो इस्लामिक कैलेंडर का नौवाँ महीना होता है।
      • रमजान के महीने में सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन लोग रोजा रखते हैं।
      • यह महीना मुस्लिम कैलेंडर के लिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से पैगंबर मुहम्मद ने बद्र के युद्ध के दौरान जीत हासिल की थी जिसके कारण मक्का शहर की जीत हुई थी।
    • शब-ए-बारात: इसे 'मुक्ति की रात' के रूप में भी जाना जाता है और इसे शाबान महीने के 14वें और 15वें दिन के बीच की रात को मनाया जाता है। इस रात को हर व्यक्ति का भाग्य निर्धारित होता है। इमाम मुहम्मद अल-महदी, बारहवें इमाम को विश्व को उत्पीड़न और अन्याय से छुटकारा दिलाने का श्रेय दिया जाता है।

    ईसाई त्यौहार:

    • क्रिसमस: इस दिन को पूरी दुनिया में ईसा मसीह के जन्म की वर्षगाँठ के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल 25 दिसंबर को होता है। इस दिन लोग चर्च जाते हैं जहाँ भक्तों के लिए मसीह के अच्छे काम को याद करने के लिए कई कार्यक्रमों की व्यवस्था की जाती है। लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
      • इस त्योहार से जुड़ी दो अन्य परंपराएँ हैं, पहला क्रिसमस वृक्ष है जिसे हर किसी के घर में लगाया जाता है। इसे दीयों, रोशनी और उपहारों से सजाया जाता है।
      • दूसरा मिथक सांता क्लॉज का है, जिन्हें उपहारों का अग्रदूत माना जाता है। लोग इस दिन ईसाई भजन गाते हैं एवं मिठाई और केक वितरित करते हैं।
    • ईस्टर और गुड फ्राइडे: इस दिन को ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है। बाइबिल के अनुसार, यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद, वह फिर से जीवित हो गए थे इसलिये ईस्टर को मृत्यु पर जीवन की विजय के प्रतीक के रुप में भी मनाया जाता है।
      • गुड फ्राइडे का त्योहार ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने की याद में मनाया जाता है। यह हर साल अप्रैल के महीने में होता है। यीशु की मृत्यु को उनके पुनर्जन्म के लिए आवश्यक माना जाता है और एक संकेत के रुप में यह मनुष्य को नई आशा देता है।

    जैन त्यौहार:

    • महावीर जयंती: इसे भगवान महावीर की जयंती के रुप में आयोजित किया जाता है जो 24वें तीर्थंकर और जैन धर्म के संस्थापकों में से एक थे। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन होता है।
      • यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन सभी जैन मंदिरों को भगवा ध्वजों से सजाया जाता है। महावीर की मूर्ति को दूध से स्नान और अनुष्ठानिक स्नान (अभिषेक) कराया जाता है। फिर इसे एक यात्रा के रुप में ले जाया जाता है।
    • वर्षी तप या अक्षय तृतीया तप: यह त्योहार पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव से संबंधित है, जिन्होंने लगातार 13 महीने और 13 दिनों तक उपवास किया था।
    • मौन-अगियारा: इस पर्व को जैन कैलेंडर के मगसर (महीने) के 11 वें दिन मनाया जाता है। इस दिन पूर्ण मौन रखा जाता है और उपवास रखा जाता है। साथ ही ध्यान भी किया जाता है।
    • नवपद ओली: नौ दिवसीय ओली अर्द्ध-उपवास की अवधि है। इस अवधि के दौरान जैन, दिन में केवल एक बार बहुत सादा भोजन करते हैं। यह साल में दो बार मार्च/अप्रैल और सितंबर/अक्टूबर के दौरान मनाया जाता है।

    सिख त्योहार:

    • गुरुपर्व: यह सभी 10 सिख गुरुओं की जयंती के रुप में मनाया जाता है लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण गुरु नानक और गुरु गोबिंद सिंह हैं।
    • प्रकाश उत्सव: इसे 10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इसका अर्थ 10वें दिव्य प्रकाश या दिव्य ज्ञान के जन्म उत्सव से भी है।

    निष्कर्ष:

    भारत में धार्मिक त्यौहार आनंद, खुशी और आशावादी शुभकामनाओं का संकेत होते हैं। ये त्यौहार पीढ़ी-दर-पीढ़ी सामाजिक मूल्यों को विकसित करते हुए एक स्वस्थ और सामाजिक रूप से समन्वयकारी माहौल स्थापित करते हैं।

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