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11 Mar 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस- 106
प्रश्न.1 भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा हाल ही में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज की गई है। इस खोज के निहितार्थ और भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
प्रश्न.2 "भारत में हरित हाइड्रोजन के प्रति बढ़ती रुचि में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को निर्णायक रूप से कम करने की क्षमता है। भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग से संबंधित लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। भारत, हरित हाइड्रोजन को अपनाने को बढ़ावा देने के लिये अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लाभ किस प्रकार उठा सकता है? " (250 शब्द)
उत्तर
उत्तर 1:
हल करने का दृष्टिकोण:
- जम्मू और कश्मीर में लिथियम की खोज के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- जम्मू और कश्मीर में लिथियम की खोज से जुड़े निहितार्थ पर चर्चा कीजिये।
- समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया ने जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज की है।
- यह खोज महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा पहली बार है जब देश में लिथियम संसाधन का पता चला है।
- लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य अनुप्रयोगों में उपयोग की जाने वाली रिचार्जेबल बैटरी का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
मुख्य भाग:
जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज के कई निहितार्थ हैं जैसे:
- लिथियम के आयात में कमी आएगी:
- भारत वर्तमान में अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिये आयातित लिथियम पर बहुत अधिक निर्भर है। घरेलू लिथियम संसाधनों की उपलब्धता, लिथियम के आयात पर निर्भरता को कम करने और देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
- यह इलेक्ट्रिक वाहनों सहित विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। घरेलू लिथियम संसाधनों की उपलब्धता इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने, भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और इसके सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी आना:
- इसके अलावा भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर काफी बल दिया जा रहा है क्योंकि सरकार का उद्देश्य देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के साथ सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है। घरेलू लिथियम संसाधनों की उपलब्धता से लिथियम-आयन बैटरी के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिल सकता है जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता को कम करने में सहायता मिलेगी।
- भारत की ऊर्जा सुरक्षा:
- इससे ऊर्जा के बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होने के साथ भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है। यह देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों और वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों की अस्थिरता के प्रकाश में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलना:
- जम्मू और कश्मीर में लिथियम संसाधनों की खोज से नए आर्थिक अवसर सृजित होने के साथ रोज़गार सृजित हो सकते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने के साथ भारत के समग्र आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है।
निष्कर्ष:
जम्मू और कश्मीर में लिथियम संसाधनों की खोज भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सतत् विकास लक्ष्यों की ओर एक सकारात्मक कदम है। हालांकि इस अनुमान की सीमाओं एवं लिथियम निष्कर्षण तथा प्रसंस्करण के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों को स्वीकार करना महत्त्वपूर्ण है। इन संसाधनों के दोहन का कोई भी प्रयास जिम्मेदार और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन की प्रतिबद्धता द्वारा निर्देशित होना चाहिये।
उत्तर 2:
हल करने का दृष्टिकोण:
- हरित हाइड्रोजन के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- हरित हाइड्रोजन और भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता से जुड़े लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- समग्र और उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- हरित हाइड्रोजन (जिसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है) को देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों और इसके कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के आलोक में भारत में लोकप्रियता मिल रही है।
- पारंपरिक हाइड्रोजन के विपरीत, हरित हाइड्रोजन के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन नहीं होता है जिससे यह भारत के लिये अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
- इससे भारत में नीति निर्माताओं, उद्योग के हितधारकों और निवेशकों के बीच हरित हाइड्रोजन में रुचि बढ़ गई है।
मुख्य भाग:
- भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के लाभ:
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी आना: हरित हाइड्रोजन के उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है जो भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के साथ जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है।
- ऊर्जा सुरक्षा: आयातित जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के साथ कम किया जा सकता है जिससे ऊर्जा सुरक्षा मिलने के साथ बाहरी स्रोतों पर निर्भरता में कमी आ सकती है।
- रोज़गार सृजन: हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग से भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नौकरी के नए अवसर सृजित हो सकते हैं।
- भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग की चुनौतियाँ:
- उच्च लागत आना: हरित हाइड्रोजन का उत्पादन वर्तमान में उपलब्ध पारंपरिक हाइड्रोजन उत्पादन विधियों की तुलना में अधिक महंगा है। हालाँकि समय के साथ प्रौद्योगिकी की उन्नति से लागत कम होने की उम्मीद है।
- अवसंरचना: भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव है। इस बुनियादी ढाँचे को स्थापित करने के लिये काफी निवेश की आवश्यकता होगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा की सीमित उपलब्धता: हरित हाइड्रोजन का उत्पादन सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। हालाँकि भारत में वर्तमान में यह ऊर्जा क्षमता सीमित है।
- तकनीकी चुनौतियाँ: हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में उन्नत प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है जो भारत में आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकती है।
- हरित हाइड्रोजन को अपनाने के लिये भारत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लाभ कैसे उठा सकता है:
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि करना: भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के प्रोत्साहन हेतु अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में काफी वृद्धि करने की आवश्यकता है।
- सहायक नीतियों और विनियमों का विकास करना: भारत सरकार को ऐसी नीतियों और नियमों को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे हरित हाइड्रोजन से संबंधित बुनियादी ढाँचे और इसके उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके।
- निजी निवेश को प्रोत्साहित करना: भारत सरकार कर प्रोत्साहन के माध्यम से हरित हाइड्रोजन उत्पादन और बुनियादी ढाँचे के विकास में निजी निवेश को प्रोत्साहित कर सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को प्रोत्साहन देना: भारत, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन से संबंधित प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता हेतु अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और सहयोग का लाभ उठा सकता है।
निष्कर्ष:
हरित हाइड्रोजन में भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता है। इसके उत्पादन और उपयोग से संबंधित चुनौतियाँ होने के बावजूद भारत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाने के साथ हरित हाइड्रोजन को प्रोत्साहन देने के लिये सहायक नीतियों और नियमों को विकसित कर सकता है। यदि इसे प्रभावी रूप से अपनाया जाता है तो हरित हाइड्रोजन की भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।