Warning (2): Invalid argument supplied for foreach() [APP/Controller/QuizController.php, line 582]Code Context $submittedAnswersMap = [];
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'question' => '<p>योगाचार या विज्ञानवाद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः<br />1. शून्यवाद के समान यह भी बाह्य वस्तु की सत्ता को अस्वीकार करता है, किंतु चित्त की सत्ता की मानता है।<br />2. यह चित्त को विज्ञान मानता है।<br />3. चित्त की प्रवृत्ति ही पुनर्जन्म का कारण है और योग एवं आचार के माध्यम से चित्त की निवृत्ति संभव है। इसलिये इसे योगाचार भी कहते हैं।<br />4. इसके प्रमुख विद्वान असंग, वसुबंधु, धर्मकीर्ति दिंगनाथ आदि हैं।<br />उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?</p>',
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<ul>
<li>उपर्युक्त सभी कथन सही हैं।</li>
<li>विज्ञानवाद तीसरी शताब्दी ई. में मैत्रेय द्वारा स्थापित किया गया।</li>
<li>असंग की पुस्तक सूत्रालंकार है।</li>
<li>दिंगनाथ को बौद्ध तर्कशास्त्र का जनक कहा जाता है।</li>
</ul>',
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'question' => '<p>बौद्ध धर्म के प्रमुख पंथों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा सही नहीं है?</p>',
'answer1' => '<p>महासंघिक मानते थे कि प्रत्येक व्यक्ति में बुद्धत्व प्राप्ति की स्वाभाविक शक्ति है। इसका केन्द्र मगध था। महासंघिक ने ही महायान के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।</p>',
'answer2' => '<p>स्थविरवादी मानते थे कि बुद्धत्व सबकों प्राप्त नहीं हो सकता, इसकी मुख्य पीठ कश्मीर में थी।</p>',
'answer3' => '<p>वैभाषिक अनुयायियों का मानना था कि प्रत्येक वस्तु का निर्माण परमाणुओं से जुड़ा है, अतः वस्तु का अस्तित्व है, जिसका ज्ञान प्रत्यक्ष सम्भव है।</p>',
'answer4' => '<p>सौतांत्रिक भी वैभाषिक के समान चित्त तथा बाह्य जगत की सत्ता को स्वीकार करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि प्रत्यक्ष ज्ञान सम्भव है।</p>',
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'explanation' => '<p>व्याख्याः</p>
<ul>
<li>सौतांत्रिक ने वैभाषिक के प्रतिकूल सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार चित्त एवं बाह्य जगत की सत्ता विद्यमान है किंतु इसका प्रत्यक्ष ज्ञान संभव नहीं।</li>
<li>द्वितीय बौद्ध संगीति के बाद स्थविर को ही महासंघिक हीनयानी कहने लगे।</li>
<li>हीनयान का प्रचार श्रीलंका, बर्मा, कम्बोडिया में जबकि महायान का प्रचार मध्य एशिया व चीन में किया गया।</li>
<li>वैभाषिक को बाह्य प्रत्यक्षवाद भी कहा जाता है।</li>
</ul>',
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'question' => '<p>निम्नलिखित बौद्ध पंथों में से किसे ‘बोधिसत्वयान’ भी कहा जाता हैः</p>',
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'answer4' => '<p>सौतांत्रिक</p>',
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'explanation' => '<p>व्याख्याःमहायान को बोधितसत्वयान या वृहतयान भी कहा जाता है। इसका अर्थ है वृहतयान (अधिकाधिक प्राणियों को निर्वाण सुख की प्राप्ति का महापथ) गृहस्थों के लिये भी संभव है। कालांतर में ये मूर्ति पूजा करने लगे। इसमें सुखावति (स्वर्ग) की परिकल्पना भी उभर कर आई जिसके अभिभावक अमिताभ हैं।</p>',
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'question' => '<p>जैन सम्मेलनों के विषय में कौन-सा कथन असत्य है?</p>',
'answer1' => '<p>प्रथम सम्मेलन-पाटलिपुत्र में, चतुर्थ सदी में, अध्यक्ष-स्थूलभद्र थे।</p>',
'answer2' => '<p>द्वितीय सम्मेलन- कर्नाटक, चौथी सदी में, इसकी अध्यक्षता भद्रबाहु ने की।</p>',
'answer3' => '<p>प्रथम सम्मलेन में जैन धर्म का विभाजन हो गया।</p>',
'answer4' => '<p>जैन सम्मेलन आगमों को सुव्यवस्थित करने के लिये आयोजित किये गए।</p>',
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<ul>
<li>द्वितीय जैन सम्मेलन का आयोजन वल्लभी (गुजरात) में हुआ। इस सम्मलेन की अध्यक्षता-क्षमाश्रमण ने की थी।</li>
<li>प्रथम सम्मेलन में भद्रबाहु के अनुयायियों ने भाग नहीं लिया। यहाँ जैन धर्म का विभाजन श्वेताम्बर तथा दिंगबर में हो गया।</li>
</ul>',
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<table cellspacing="0" cellpadding="5" border="0">
<tbody>
<tr>
<td>सूची-I<br />(बौद्ध दार्शनिक)</td>
<td>सूची-II<br />(संबंधित कार्य)</td>
</tr>
<tr>
<td>A. अश्वघोष</td>
<td>1. बुद्धचरित</td>
</tr>
<tr>
<td>B. असंग</td>
<td>2. सर्वास्तिवाद</td>
</tr>
<tr>
<td>C. धर्मकीर्ति</td>
<td>3. भाषा वैज्ञानिक</td>
</tr>
<tr>
<td>D. बुद्धघोष</td>
<td>4. विशुद्ध मग्ग</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<p>कूटः </p>',
'answer1' => '<table>
<tbody>
<tr>
<td>A</td>
<td>B</td>
<td>C</td>
<td>D</td>
</tr>
<tr>
<td>1</td>
<td>3</td>
<td>2</td>
<td>4</td>
</tr>
</tbody>
</table>',
'answer2' => '<table>
<tbody>
<tr>
<td>A</td>
<td>B</td>
<td>C</td>
<td>D</td>
</tr>
<tr>
<td>4</td>
<td>3</td>
<td>2</td>
<td>1</td>
</tr>
</tbody>
</table>',
'answer3' => '<table>
<tbody>
<tr>
<td>A</td>
<td>B</td>
<td>C</td>
<td>D</td>
</tr>
<tr>
<td>1</td>
<td>2</td>
<td>3</td>
<td>4</td>
</tr>
</tbody>
</table>',
'answer4' => '<table>
<tbody>
<tr>
<td>A</td>
<td>B</td>
<td>C</td>
<td>D</td>
</tr>
<tr>
<td>3</td>
<td>2</td>
<td>1</td>
<td>4</td>
</tr>
</tbody>
</table>',
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'explanation' => '<p>व्याख्याः</p>
<ul>
<li>अश्वघोष कवि, नाटककार, संगीतकार और तर्कशास्त्री थे। सारिपुत्रप्रकरण (नाटक) इनकी प्रमुख रचना थी।</li>
<li>सर्वास्तिवाद को वैभाषिक भी कहते हैं। ये तीनो कालों से संबंधित है। ये सभी वस्तुओं की अनुभूति होने के कारण उनको प्रत्यक्ष मानते हैं जबकि इसके विपरीत सौत्रान्तिक वास्तु के क्षणिक होने के आधार पर उनको प्रत्यक्ष नहीं मानते।</li>
<li>असंग तथा वसुबंध दोनों भाई तथा पंजाब के बौद्धभिक्षु थे। वसुबंधु ने अभिधम्म कोष तथा त्रिशंका की रचना की थी। </li>
<li>विशुद्ध मग्ग को त्रिपिटक की कुंजी माना जाता है।</li>
</ul>',
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'question' => '<p>निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन असत्य है?</p>',
'answer1' => '<p>बिंबिसार, अजातशत्रु, प्रसेनजित, प्रद्योत आदि ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया।</p>',
'answer2' => '<p>बौद्ध विद्वान अश्वघोष, वसुमित्र और पार्श्व कनिष्क के समकालीन थे।</p>',
'answer3' => '<p>चीनी यात्री फाह्यान, ह्वेनसांग, शुंगयून और इत्सिंग बौद्ध धर्म से प्रभावित थे।</p>',
'answer4' => '<p>पाल शासक बौद्ध धर्म के अंतिम महान संरक्षक थे। इन्हीं के समय तंत्रवाद का विकास हुआ। देवपाल ने विक्रमशिला तथा धर्मपाल ने नालंदा विश्वविद्यालय को संरक्षण प्रदान किया।</p>',
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<ul>
<li>धर्मपाल ने विक्रमशिला की स्थापना की, जबकि देवपाल नालंदा महाविद्यालय का संरक्षक था।</li>
<li>ह्वेनसांग के अनुसार नालंदा में मुख्यतः महायान की शिक्षा प्रदान की जाती थी।</li>
<li>बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया।</li>
</ul>',
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<ul>
<li>बौद्ध दर्शन में माना गया है कि बोधिसत्वों में अवलोकितेश्वर की स्थिति महत्त्वपूर्ण है। उन लोगों ने यह निश्चय किया था कि वे तब तक बुद्ध नहीं बनेंगे जब तक सभी मनुष्यों को निर्वाण प्राप्त नहीं हो जाता।</li>
<li>वस्तुतः बौद्ध धर्म पर हिन्दू धर्म का प्रभाव परिलक्षित होता है। बोधिसत्व ‘अवलोकितेश्वर या पद्मपाणि’ वैदिक युगीन देवता विष्णु हैं।</li>
</ul>',
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<div>
<p>1. तप और भोग की अति का परिहार<br />2. प्राणियों की हिंसा का निषेध<br />3. वेद-प्रामाण्य के प्रति अनास्था<br />4. कर्मकांडों की फलवत्ता का निषेध<br />उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?</p>
</div>',
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Cake\Http\Server::run() - CORE/src/Http/Server.php, line 81
[main] - ROOT/webroot/index.php, line 58
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Cake\Http\ResponseEmitter::emit() - CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48
Cake\Http\Server::emit() - CORE/src/Http/Server.php, line 106
[main] - ROOT/webroot/index.php, line 58
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /var/www/drishtiias.com/public_html/hindi/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:850) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]Code Context $response->getStatusCode(),
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Cake\Http\Server::emit() - CORE/src/Http/Server.php, line 106
[main] - ROOT/webroot/index.php, line 58
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /var/www/drishtiias.com/public_html/hindi/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:850) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 177]Code Context foreach ($values as $value) {
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Cake\Http\Server::emit() - CORE/src/Http/Server.php, line 106
[main] - ROOT/webroot/index.php, line 58
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /var/www/drishtiias.com/public_html/hindi/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:850) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 177]Code Context foreach ($values as $value) {
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