मई 2024 | 12 Jun 2024

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स:

  • वित्त
    • फिनटेक क्षेत्र में स्व-नियामक संगठनों के लिये फ्रेमवर्क
    • स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के लिये मास्टर परिपत्र जारी
    • RBI ने परियोजना वित्त हेतु प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क पर टिप्पणियाँ आमंत्रित कीं
  • वाणिज्य
    • मसौदा विस्फोटक विधेयक, 2024 
  • जल संसाधन
    • बाँध सुरक्षा और निगरानी पर विनियम जारी

  वित्त  

फिनटेक क्षेत्र में स्व-नियामक संगठनों के लिये फ्रेमवर्क

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने फिनटेक क्षेत्र में स्व-नियामक संगठनों (SRO) के लिये एक फ्रेमवर्क अधिसूचित किया।

फ्रेमवर्क की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पात्रता और सदस्यता के मानदंड: 
    • SRO के लिये आवेदक की न्यूनतम नेटवर्थ दो करोड़ रुपए होनी चाहिये।
    • इसे RBI द्वारा मान्यता मिलने के एक साल के भीतर या SRO के रूप में परिचालन शुरू होने से पहले, जो भी पहले हो, हासिल किया जाना चाहिये। 
    • SRO की शेयरधारिता विविध होनी चाहिये, जिसमें किसी भी इकाई (या मिलकर काम करने वाली संस्थाएँ ) के पास 10% से अधिक शेयर न हों। 
    • SRO के सदस्यों में सभी आकारों, चरणों और गतिविधियों वाली संस्थाएँ शामिल होनी चाहिये तथा उसे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहिये। 
    • सदस्यता स्वैच्छिक होगी लेकिन RBI फिनटेक को किसी मान्यता प्राप्त SRO का सदस्य बनने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
  • SRO की विशेषताएँ: 
    • वस्तुनिष्ठ कार्यप्रणाली: SRO, RBI की निगरानी में वस्तुनिष्ठ रूप से कार्य करते हैं।
    • सतत् विकास: SRO का लक्ष्य क्षेत्र का विकास करना है और यदि आवश्यक हो तो चरणबद्ध विनियामक अनुपालन पथ की पहचान कर सकते हैं।
    • व्यापक प्रतिनिधित्व: SRO व्यापक सदस्यता समझौतों के माध्यम से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • स्वतंत्रता: वे किसी भी एक सदस्य या समूह के प्रभाव से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं।
    • विवाद समाधान: SRO सदस्यों के बीच विवादों में वैध मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं।
    • विनियामक अनुपालन: सदस्यों को विनियामक प्राथमिकताओं का अनुपालन करने के लिये प्रोत्साहित करना उनकी भूमिका का हिस्सा है।
  • कार्य:
    • नियम-निर्माण: SRO वस्तुनिष्ठ और परामर्शात्मक प्रक्रियाओं के माध्यम से नियम तथा मानक स्थापित करते हैं।
    • उद्योग मानक: वे उद्योग मानक और आधारभूत प्रौद्योगिकी मानक निर्धारित करते हैं।
    • निगरानी: SRO क्षेत्र की निगरानी करते हैं, अपवादों का पता लगाते हैं और मुद्दों को उजागर करते हैं।
    • आचरण मानक: वे आचरण के मानकों को परिभाषित करते हैं और उल्लंघन के लिये दंड लगाते हैं।
    • सदस्यता नियंत्रण: SRO किसी इकाई को सदस्य के रूप में प्रतिबंधित या हटा सकते हैं।
    • शिकायत समाधान: सदस्यों के लिये विवाद समाधान ढाँचा स्थापित करना आवश्यक है।

स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के लिये मास्टर परिपत्र जारी

  • भारतीय बीमा एवं विनियामक विकास प्राधिकरण (Insurance and Regulatory Development Authority of India- IRDAI) ने स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर एक मास्टर परिपत्र जारी किया।
    • यह परिपत्र 55 पिछले परिपत्रों का स्थान लेता है और तत्काल प्रभाव से लागू है। 
    • मास्टर परिपत्र की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

बीमा उत्पादों के प्रकार: 

  • बीमाकर्त्ताओं को ग्राहकों को व्यापक विकल्प प्रदान करने के लिये उत्पाद पेश करने चाहिये। 
  • उन्हें निम्नलिखित की आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये: 
    • सभी उम्र के लोग।
    • सभी प्रकार की चिकित्सीय स्थितियाँ।
    • पहले से मौजूद और पुरानी स्थितियाँ।
    • चिकित्सकीय और उपचार की सभी प्रणालियाँ।
    • सभी प्रकार के अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता। 
  • इन उत्पादों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017, सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और एचआईवी तथा एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 सहित प्रासंगिक कानूनों का पालन करना होगा।
  • दावों का निपटान: 
    • बीमाकर्त्ताओं को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर 100% कैशलेस दावों का निपटान करने का प्रयास करना चाहिये। 
    • कैशलेस निपटान पर निर्णय अनुरोध के एक घंटे के भीतर होना चाहिये। 
    • कैशलेस अनुरोधों को सक्षम करने के लिये आवश्यक प्रणालियाँ 31 जुलाई, 2024 तक लागू होनी चाहिये। 
    • अस्पताल से छुट्टी मिलने के तीन घंटे के भीतर अंतिम प्राधिकरण प्रदान किया जाना चाहिये। 
    • देरी के कारण होने वाले किसी भी अतिरिक्त शुल्क का वहन बीमाकर्त्ता को अपने शेयरधारक कोष से करना होगा।
  • कस्टमर इनफॉरमेशन शीट: 
    • बीमा कंपनियों को ग्राहकों को CIS प्रदान करना चाहिये, जिसमें पॉलिसी की विशेषताओं को सरल भाषा में समझाया जाना चाहिये। 
    • CIS में बीमा का प्रकार, बीमा राशि, बहिष्करण, कटौती योग्य राशि और उप-सीमा जैसे विवरण शामिल होते हैं।
  • बोर्ड द्वारा मंज़ूर नीति: बीमाकर्त्ताओं के पास निम्नलिखित पर बोर्ड-अनुमोदित नीतियाँ होनी चाहिये: 
    • अंडरराइटिंग
    • अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का पैनल बनाना। 
    • उनके पास सुस्पष्ट दावा निपटान प्रक्रियाएँ होनी चाहिये।

RBI ने परियोजना वित्त हेतु प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने ड्राफ्ट निर्देश जारी किये हैं जो विनियमित संस्थाओं द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर, नॉन-इंफ्रास्ट्रक्चर और वाणिज्यिक रियल एस्टेट परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करते हैं। 
  • विनियमित संस्थाओं में बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ शामिल हैं।

मसौदा निर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • परियोजना वित्त पोषण की शर्तें: 
    • परियोजना वित्तपोषण ऋण चुकौती के लिये परियोजना राजस्व पर निर्भर करता है, जिसमें परियोजना स्वयं संपार्श्विक के रूप में होती है।
    • ऋणदाताओं के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित तनाव समाधान नीति होनी चाहिये।
    • निधि परियोजना के पूरा होने के अनुपात में वितरित की जानी चाहिये, जिसे किसी स्वतंत्र वास्तुकार या इंजीनियर द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिये।
  • कंसोर्टियम द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं में एक्सपोज़र की सीमाएँ होंगी। 
    • 1,500 करोड़ रुपए तक के कुल जोखिम वाली परियोजनाओं के लिये ऋणदाताओं के पास कम-से-कम 10% जोखिम होना चाहिये। 
    • उच्च समग्र जोखिम वाली परियोजनाओं के लिये कम-से-कम 150 करोड़ रुपए या कुल जोखिम का 5% व्यक्तिगत जोखिम की आवश्यकता होती है।
  • स्ट्रेस रेज़ोल्यूशन: 
    • ऋणदाता परियोजना तनाव की निगरानी करते हैं और ऋण घटनाओं (जैसे- वाणिज्यिक संचालन तिथि का विस्तार, अतिरिक्त ऋण की आवश्यकता) की रिपोर्ट करते हैं।
    • ऋण घटना के 30 दिनों के भीतर देनदार की समीक्षा की जाती है, जिससे संभावित समाधान योजनाएँ बनती हैं।
  • स्टैंडर्ड एसेट्स के लिये प्रावधान: 
    • ऋणदाता निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिये बकाया निधियों का 5% प्रावधान करते हैं।
    • एक बार चालू होने के बाद यह प्रावधान विशिष्ट शर्तों के अधीन 2.5% और फिर 1% तक कम हो सकता है। इनमें सकारात्मक शुद्ध परिचालन नकदी प्रवाह एवं परियोजना शुरू होने से ऋण में कमी शामिल है।

  वाणिज्य  

मसौदा विस्फोटक विधेयक, 2024 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं के लिये विस्फोटक विधेयक, 2024 का मसौदा जारी किया। इस विधेयक का उद्देश्य विस्फोटक अधिनियम, 1884 को प्रतिस्थापित करना है, जो वर्तमान में वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिये विस्फोटकों के निर्माण, कब्ज़े, उपयोग, बिक्री, परिवहन, आयात एवं निर्यात को नियंत्रित करता है। 

  • लाइसेंस प्रदान करना: अधिनियम के अनुसार, विस्फोटकों का विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, निर्यात या आयात करने के इच्छुक व्यक्तियों को लाइसेंस प्राधिकारी के पास लाइसेंस के लिये आवेदन करना होगा। 
    • अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि विस्फोटकों के विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, निर्यात या आयात में शामिल किसी भी व्यक्ति को लाइसेंसिंग प्राधिकरण के समक्ष लाइसेंस के लिये आवेदन करना होगा। 
    • लाइसेंसिंग प्राधिकरण, जैसे कि विस्फोटकों का मुख्य नियंत्रक, निर्दिष्ट अवधि के लिये लाइसेंस प्रदान करता है और विस्फोटकों की स्वीकार्य मात्रा निर्दिष्ट करता है।
  • अपराध के लिये सज़ा: मसौदा विधेयक में विभिन्न अपराधों के लिये ज़ुर्माना बढ़ाया गया है। 
    • उदाहरण के लिये विस्फोटकों के अवैध निर्माण, आयात या निर्यात पर अधिकतम ज़ुर्माना पाँच हज़ार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया है।

  जल संसाधन  

बाँध सुरक्षा और निगरानी पर विनियम जारी

  • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण ने "निर्दिष्ट बाँधों की निगरानी, ​​निरीक्षण और हाइड्रोमेटोरोलॉजिकल स्टेशन विनियमन, 2024" जारी किया है। ये विनियमन सुरक्षा के लिये बाँधों और जल प्रवाह संकेतकों की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बाँधों की निगरानी: 
    • राज्य बाँध सुरक्षा संगठन (State Dam Safety Organisations- SDSO) अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बाँधों की लगातार निगरानी करते हैं। 
    • बाँध के ढाँचे में दरारें, रिसाव या उपकरण से संबंधित किसी भी समस्या जैसी किसी भी विसंगति का निरीक्षण करने के लिये निगरानी की आवश्यकता होती है।
    • विशिष्ट निरीक्षण उदाहरणों में मानसून से पहले/बाद, बाढ़ के बाद और भूकंप के बाद के मामले शामिल हैं।
  • हाइड्रोमेटोरोलॉजिकल स्टेशन: 
    • प्रत्येक बाँध के पास एक हाइड्रोमेटोरोलॉजिकल स्टेशन वर्षा, जल स्तर, निर्वहन, तापमान और हवा को मापता है।
    • दैनिक निगरानी सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
    • बाँध मालिकों को बाढ़ के पूर्वानुमान और चेतावनी के लिये एक इंस्ट्रूमेंटेशन नेटवर्क भी स्थापित करना चाहिये।