फरवरी 2019 | 06 May 2019
पीआरएस की प्रमुख हाइलाइट्स
- अंतरिम केंद्रीय बजट 2019-20
- अंतरिम केंद्रीय बजट
- कैबिनेट
- पाँच अध्यादेशों और संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) संशोधन आदेश, 2019 को मंज़ूरी
- वित्त
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019
- आयकर लोकपाल और अप्रत्यक्ष कर लोकपाल व्यवस्था को समाप्त करने को मंज़ूरी
- कृषि
- पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना
- कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष के निर्माण को मंज़ूरी
- राष्ट्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलीय-कृषि नीति का मसौदा जारी
- वाणिज्य
- राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा
- कानून एवं न्याय
- अनिवासी भारतीय (प्रवासी) विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019
- जनजातीय मामले
- 125वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक
- अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन के लिये ‘संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2019’
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
- मंत्रिमंडल द्वारा हरियाणा में नए एम्स (AIIMS) की स्थापना को मंज़ूरी
- संस्कृति
- प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल व अवशेष (संशोधन) विधेयक पर रिपोर्ट
- श्रम
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना
- सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण
- गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों हेतु बोर्ड
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल में तीन वर्षों का विस्तार
- खाद्य प्रसंस्करण
- राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019
- सूचना प्रौद्योगिकी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 को मंज़ूरी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति, 2019 को मंज़ूरी
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस
- इथेनॉल आपूर्ति बढ़ाने के लिये प्रधानमंत्री 'जी-वन योजना' को मंज़ूरी
- ऊर्जा
- किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM-कुसुम) को मंज़ूरी
- विदेश मंत्रालय
- अर्जेंटीना के राष्ट्रपति और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा
- भारत के प्रधानमंत्री द्वारा कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया) का दौरा
अंतरिम केंद्रीय बजट 2019-20
अंतरिम केंद्रीय बजट
केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2019-20 के लिये अंतरिम केंद्रीय बजट (Interim Union Budget) पेश किया।
प्रमुख बिंदु:
- सरकार ने वर्ष 2019-20 में 27,84,200 करोड़ रुपए के परिव्यय का प्रस्ताव किया है, जो वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान (24,57,235 करोड़ रुपए) से 13.3 प्रतिशत अधिक है।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) और आयकर से उच्च अनुमानित राजस्व के कारण कुल प्राप्तियों (बिना उधार के) में वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान (18,22,837 करोड़ रुपए) से 14.1 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है।
- वर्ष 2019-2020 के लिये अनुमानित सांकेतिक GDP वृद्धि दर 11.5% है।
- राजकोषीय घाटा (7,03,999 करोड़ रुपए) और राजस्व घाटा (4,70,214 करोड़ रुपए) GDP के क्रमशः 3.4 प्रतिशत और 2.2 प्रतिशत पर लक्षित हैं, जो वर्ष 2018-19 के लिये संशोधित अनुमानों के समान ही हैं।
बजट भाषण में शामिल प्रमुख नीति प्रस्ताव:
- कृषि: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि/पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना शुरू की जाएगी, जिसके तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपए दो हेक्टेयर तक कृषि योग्य भूमि धारण करने वाले किसानों को प्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित किये जाएंगे।
- इस राशि का भुगतान तीन किस्तों में किया जाएगा।
- इसके लिये वर्ष 2018-19 में 20,000 करोड़ रुपए और 2019-20 में 75,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2 प्रतिशत ब्याज उपदान (Interest Subvention) और शीघ्र पुनर्भुगतान पर 3 प्रतिशत प्रोत्साहन (Incentive), जो कृषि क्षेत्र के लिये उपलब्ध हैं, का विस्तार पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र में किया जाएगा।
- श्रम: 15,000 रुपए तक की मासिक आय वाले असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना शुरू की जाएगी।
- इसके तहत 60 वर्ष की आयु से 3,000 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान की जाएगी।
- साथ ही कामगार के मासिक योगदान के बराबर राशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
अंतरिम बजट में घोषित प्रमुख कर परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
दर (Rates): आयकर पर अधिभार (Surcharge) 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है।
कटौती (Deductions): वेतनभोगी व्यक्तियों के लिये मानक कर कटौती 40,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए की गई है।
- पाँच लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना होगा।
स्रोत पर कर कटौती (TDS): किराए (रेंटल इनकम) पर टीडीएस से छूट 1.8 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.4 लाख रुपए प्रतिवर्ष की गई है।
- बैंक और डाकघर जमा के मामले में ब्याज पर टीडीएस की सीमा 10,000 रुपए से बढ़ाकर 40,000 रुपए कर दी गई है।
कैबिनेट
पाँच अध्यादेशों और संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) संशोधन आदेश, 2019 को मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पाँच अध्यादेशों तथा संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) संशोधन आदेश, 2019 को मंज़ूरी प्रदान की, जो इस प्रकार हैं:
1. आधार एवं अन्य विधियाँ (संशोधन) अध्यादेश, 2019
(The Aadhar and other law (Amendment) Bill, 2019)
- यह अध्यादेश आधार संख्या धारक की सहमति से प्रमाणीकरण या ऑफ़लाइन सत्यापन द्वारा आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देने का उद्देश्य रखता है।
- यह अध्यादेश आधार संख्या धारक बच्चों के अठारह वर्ष की आयु तक पहुँचने पर उनके आधार संख्या को रद्द करने का विकल्प प्रदान करता है।
2. होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2019
(The Homoeopathy Central Council (Amendment) Bill, 2019)
- यह अध्यादेश केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने का प्रावधान करता है।
3. नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019
(The New Delhi International Arbitration Centre Bill, 2019)
- अध्यादेश नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (New Delhi International Arbitration Centre- NDIAC) की स्थापना का लक्ष्य रखता है ताकि संस्थागत मध्यस्थता के लिये एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था का निर्माण हो सके।
4. विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) अध्यादेश, 2019
[Special Economic Zones (Amendment) Ordinance, 2019]
- अन्य प्रावधानों के साथ ही यह अध्यादेश विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 में संशोधन का लक्ष्य रखता है ताकि ट्रस्टों को विशेष आर्थिक क्षेत्र में इकाई स्थापित करने के लिये अनुमति दी जा सके।
5. जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019
(Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Ordinance, 2019)
- यह अध्यादेश जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन का लक्ष्य रखता है।
- यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा के 6 किलोमीटर के दायरे में निवास करने वाले लोगों को राज्य सरकार की नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है।
- अध्यादेश इस दायरे का विस्तार अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों तक करने का लक्ष्य रखता है।
संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) संशोधन आदेश, 2019
[Amending the Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019]
- यह आदेश संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954 में संशोधन का लक्ष्य रखता है।
- यह आदेश भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधानों को जम्मू और कश्मीर पर प्रवर्तनीय बनाता है।
- 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक रोज़गार में दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संशोधन आदेश इस आरक्षण का विस्तार जम्मू और कश्मीर राज्य में भी करने का प्रावधान करता है।
- संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में प्राप्त लाभ का विस्तार जम्मू और कश्मीर राज्य में भी किया जाएगा।
वित्त
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019
(The International Financial Services Centres Authority Bill, 2019)
- यह विधेयक भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में वित्तीय सेवा बाज़ार के विकास और विनियमन के लिये एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
विधेयक की मुख्य बातें:
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority) का गठन:
- विधेयक में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- प्राधिकरण में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), इरडा (IRDA), PFRDA और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधित्व के साथ कुल नौ सदस्य शामिल होंगे।
- प्राधिकरण के कार्य: प्राधिकरण अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) में वित्तीय उत्पादों, सेवाओं और संस्थानों को विनियमित करेगा।
आयकर लोकपाल और अप्रत्यक्ष कर लोकपाल व्यवस्थाओं की समाप्ति को मंज़ूरी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयकर लोकपाल (Income Tax Ombudsman)) और अप्रत्यक्ष कर लोकपाल (Indirect Tax Ombudsman) व्यवस्थाओं की समाप्ति के प्रस्ताव को मंज़ूरी प्रदान की है।
- आयकर और अप्रत्यक्ष कर के मामलों में शिकायतों के निपटान से संबंधित सार्वजनिक समस्या से निपटने के लिये कर लोकपाल व्यवस्था की स्थापना की गई थी।
- लोगों द्वारा शिकायत निपटान के लिये केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System- CPGRAMS) और आयकर सेवा केंद्रों जैसे वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र को वरीयता देने और इन समानांतर माध्यमों की तुलना में लोकपाल संस्थानों की कम प्रभावशीलता के कारण इन्हें समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
कृषि
पीएम-किसान (PM-KISAN) योजना का आरंभ
- केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना को लॉन्च किया है।
- इस योजना के तहत छोटे और सीमांत भूमिधारक किसान परिवारों, यानी दो हेक्टेयर तक की कुल खेती योग्य भूमि वाले किसान परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपए की आय सहायता प्रदान की जाएगी।
- यह योजना उपयुक्त फसल स्वास्थ्य और पैदावार के लिये आवश्यक आदानों (इनपुट्स) की खरीद में उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने का लक्ष्य रखती है।
- यह भुगतान बैंक खातों में सीधे लाभ हस्तांतरण के माध्यम से प्रत्येक चार माह पर तीन समान किश्तों में देय है।
- पात्रता: वे किसान परिवार जो सामूहिक रूप से दो हेक्टेयर (संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के भूमि रिकॉर्ड के अनुसार) कृषि योग्य भूमि धारण करते हैं, इस योजना के पात्र होंगे। हालाँकि उच्च आर्थिक स्थिति वाले निम्नलिखित वर्ग के लाभार्थियों को योजना के दायरे से बाहर रखा गया है:
- संस्थागत भूमि धारक।
- किसान परिवार, जिसके एक या अधिक सदस्य सरकारी नौकरी में हों।
- किसान परिवार, जिसके एक या अधिक सदस्य आयकरदाता हों।
- वित्तपोषण: इस योजना को केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा और इस पर प्रतिवर्ष 75,000 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है।
कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष के निर्माण को मंज़ूरी
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने 2,000 करोड़ रुपए के कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष (Agri-Market Infrastructure Fund) के निर्माण को मंज़ूरी दी है।
- यह कोष 10,000 ग्रामीण कृषि बाज़ारों और 585 विनियमित थोक बाज़ारों में बुनियादी ढाँचे के विकास और उन्नयन के लिये अनुमोदित किया गया है।
- यह कोष राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD; नाबार्ड) की सहायता से स्थापित किया जाएगा।
- इसका उपयोग राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ग्रामीण कृषि बाज़ारों और विनियमित थोक बाज़ारों में बुनियादी ढाँचे के विकास के उनके प्रस्तावों के अनुरूप रियायती ऋण प्रदान करने के लिये किया जाएगा।
- नवीन एकीकृत बाज़ार अवसंरचना परियोजनाओं हेतु राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करने के लिये भी इस कोष का उपयोग किया जा सकता है।
राष्ट्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलीय नीति का मसौदा
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलीय नीति का मसौदा (Draft National Inland Fisheries and Aquaculture Policy) जारी किया है।
- जलीय कृषि (एक्वाकल्चर या एक्वा-फार्मिंग) मछली, शैवाल और अन्य जलीय जीवों एवं जलीय पौधों की खेती को संदर्भित करती है।
मसौदा नीति की प्रमुख बातों निम्नलिखित हैं:
- अंतर्देशीय मत्स्य पालन (Inland Fisheries): अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिये अनुशंसित नीतिगत उपायों में शामिल हैं:
- स्वदेशी संसाधनों का संरक्षण और नदियों के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार।
- वैज्ञानिक संवर्द्धन और बेहतर शासन के लिये मानव निर्मित जलाशयों में मत्स्य पालन का प्रबंधन राज्य के मत्स्य विभागों को स्थानांतरित करना।
- प्राकृतिक आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और सुधार।
- हिमालय क्षेत्र के राज्यों और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मत्स्य पालन के विकास के लिये संरक्षण कार्यक्रम।
- जलीय कृषि (Aquaculture): जलीय कृषि के विकास के लिये सुझाए गए उपायों में शामिल हैं:
- राज्य और क्षेत्र-विशिष्ट कार्ययोजना का विकास करना।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि को कृषि के घटकों के रूप में शामिल करने के लिये भूमि उपयोग श्रेणियों को फिर से परिभाषित करना।
- छोटे किसानों के लिये अलग कार्यक्रम विकसित करना।
- खेतों के पंजीकरण और पट्टे (Leasing) की प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
- आवश्यक विनियामक ढाँचे का विकास करना।
अन्य नीतिगत उपायों में शामिल हैं:
- सभी जलीय कृषि आदानों (Inputs) का पंजीकरण अनिवार्य करना।
- विदेशी प्रजातियों को विनियमित करना।
- प्रजातियों का विविधीकरण।
- पोस्ट-हार्वेस्ट और विपणन अवसंरचनाओं (Post-Harvest and Marketing Infrastructure) का विकास करना।
- मत्स्य सहकारी समितियों को मज़बूत करना।
वाणिज्य
राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने परामर्श के लिये राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा (‘Draft National e-Commerce Policy: India’s Data for India’s Development’) जारी किया है।
- यह राष्ट्रीय नीति ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र के छह व्यापक मुद्दों को संबोधित करती है:
- डेटा
- अवसंरचना विकास
- ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस
- विनियामक मुद्दे
- घरेलू डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
- ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देना
ई-कॉमर्स नीति की प्रमुख बातों में शामिल हैं:
डेटा:
- निर्दिष्ट स्रोतों (ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और सर्च इंजन पर भारत में उपयोगकर्त्ताओं द्वारा उत्पन्न डेटा सहित) से सीमा पार डेटा प्रवाह पर नियंत्रण के लिये एक कानूनी और तकनीकी ढाँचे का निर्माण करना।
- यह स्थानीय स्तर पर संवेदनशील डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा इसे देश के बाहर भंडारित करने से संबंधित व्यवसायों के लिये कुछ शर्तों को निर्दिष्ट करता है, जो निम्नलिखित हैं:
- विदेशों में भंडारित सभी डेटा को भारत से बाहर की व्यापारिक संस्थाओं को उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, यहाँ तक कि ग्राहक की सहमति लेकर भी ऐसा नहीं किया जा सकता।
- ऐसा कोई भी डेटा किसी तीसरे पक्ष को उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
- इस तरह के डेटा को भारतीय प्राधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना, किसी विदेशी सरकार के साथ साझा नहीं किया जा सकता।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:
- इसका एकमात्र उद्देश्य 'मार्केटप्लेस' मॉडल में विदेशी निवेश को आमंत्रित करना और प्रोत्साहित करना है।
- इसका तात्पर्य है कि एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जिसमें विदेशी निवेश किया गया है, अपने प्लेटफॉर्म पर बेची गई वस्तुसूची (इन्वेंट्री) पर स्वामित्व या नियंत्रण का दावा नहीं कर सकता है।
सीमा शुल्क (Custom duties): मसौदा नीति की सिफारिश है कि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के हस्तांतरण पर सीमा शुल्क आरोपित नहीं करने की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा की जानी चाहिये।
निर्यात प्रोत्साहन: निर्यात को प्रोत्साहित करने और निर्यातित नौवहन (आउटबाउंड शिपमेंट) के लिये प्रशासनिक आवश्यकताओं एवं लागतों को कम करने की आवश्यकता है।
- 25,000 रुपए की मौजूदा सीमा (जिसके ऊपर उत्पादों को कार्गो मोड के माध्यम से निर्यात किया जाता है) में वृद्धि की जानी चाहिये।
- इससे कूरियर मोड के माध्यम से उच्च मूल्य वाले शिपमेंट के लिये भी भारतीय ई-कॉमर्स निर्यात को आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी।
विधि और न्याय
अनिवासी भारतीय (प्रवासी) विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019
अनिवासी भारतीय (प्रवासी) विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019 (The Registration of Marriage of Non-Resident Indian Bill) राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक की मुख्य बातों में शामिल हैं:
विवाह का पंजीकरण: भारतीय नागरिक से विवाह करने वाले प्रत्येक अनिवासी भारतीय (NRI) को विवाह के तीस दिनों के अंदर भारत में अपनी शादी का पंजीकरण कराना होगा।
- प्रत्येक अनिवासी भारतीय जो भारतीय नागरिक या भारत के बाहर किसी अन्य अनिवासी भारतीय से विवाह करता है, उसे विवाह के तीस दिनों के अंदर विवाह अधिकारी के समक्ष इसे पंजीकृत कराना होगा।
- विवाह अधिकारी (Marriage Officer) की नियुक्त दूसरे देशों में नियुक्ति राजनयिक अधिकारियों में से की जाती है
पासपोर्ट का परिबंधन: यदि भारतीय नागरिक या भारत के बाहर किसी अन्य अनिवासी भारतीय से विवाह करने वाला अनिवासी भारतीय तीस दिनों के अंदर अपना विवाह पंजीकृत कराने में विफल रहता है तो पासपोर्ट प्राधिकरण उसके पासपोर्ट का परिबंधन कर सकता है अथवा इसे रद्द कर सकता है।
तीन तलाक पर अध्यादेश पुनः प्रख्यापित
21 फरवरी, 2019 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) द्वितीय अध्यादेश, 2019 [Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Second Ordinance, 2019] प्रख्यापित किया गया।
- यह अध्यादेश लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित सहित तलाक की सभी घोषणाओं को निष्प्रभावी (यानी कानून में लागू नहीं होने योग्य) और गैरकानूनी घोषित करता है।
- अपराध और दंड: यह अध्यादेश तलाक को एक संज्ञेय अपराध घोषित करता है जिसके लिये अर्थदंड सहित तीन वर्ष का कारावास दिया जा सकता है।
- भत्ता: एक मुस्लिम महिला, जिसे तलाक दिया जा चुका है, वह अपने और अपने आश्रित बच्चों के लिये पति से निर्वाह भत्ता पाने की हकदार है।
- भत्ते की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित की जाएगी।
जनजातीय मामले
125वाँ संविधान संशोधन विधेयक
125वाँ संविधान संशोधन विधेयक (125th Amendment Bill of Indian Constitution) राज्यसभा में पेश किया गया। संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
- छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
विधेयक की मुख्य बातों में शामिल हैं:
- ग्राम और नगर परिषद: छठी अनुसूची में कहा गया है कि इन चार राज्यों के कुछ निश्चित क्षेत्रों में जनजातीय इलाके 'स्वायत्त ज़िले' के रूप में होंगे, जिनमें से प्रत्येक ज़िला परिषद द्वारा प्रशासित होगा।
- इसके अलावा राज्यपाल एक 'स्वायत्त ज़िले' को स्वायत्त क्षेत्रों में विभाजित कर सकता है जिनमें से प्रत्येक को एक क्षेत्रीय परिषद द्वारा प्रशासित किया जाएगा।
- विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करके ज़िला और क्षेत्रीय परिषदों के अलावा ग्राम और नगर परिषदों का प्रावधान करता है।
- वित्त आयोग: विधेयक चारों राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में ज़िला परिषदों, ग्राम परिषदों और नगर परिषदों को संसाधन प्रदान करने के लिये राज्य के समेकित निधि में वृद्धि के उपायों पर सिफारिश करने हेतु आयोग को अधिकार प्रदान करता है।
अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन के लिये ‘संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2019’
अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन के लिये ‘संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2019’ (The Constitution (Scheduled Tribes) order (Second Amendment) Bill, 2019) राज्यसभा द्वारा पारित किया गया।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं की शुरुआत:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य और मूल्यवर्द्धन की योजनाएँ: इस योजना के तहत जनजातियों हेतु 50 व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य वस्तुओं (लघु वन उत्पाद; MFP-Minor Forest Produce) के लिये लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाएगा।
- वन धन योजना:
- वर्तमान में जनजातियों को लघु वन उत्पादों की मूल्य श्रृंखला का केवल 20-30 प्रतिशत भाग ही प्राप्त होता है। वन धन योजना का लक्ष्य इस हिस्से को 70 से 80 प्रतिशत तक ले जाना है।
- लगभग 6000 वन धन विकास केंद्र स्थापित किये जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
- इन केंद्रों का उद्देश्य लगभग 45 लाख जनजातीय लोगों (आदिवासियों) को रोज़गार प्रदान करना है।
- प्रत्येक केंद्र में 300 जनजातीय संग्रहकर्त्ता शामिल होंगे।
ट्राईफूड योजना (TRIFOOD Scheme)
- यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED) की एक संयुक्त पहल है।
- इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और महाराष्ट्र के रायगढ़ में तृतीयक मूल्य संवर्द्धन केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- इस परियोजना के तहत पारंपरिक आदिवासी पेय ‘महुआ’ का पूरे देश में प्रसार और विपणन किया जाएगा।
- "फ्रेंड्स ऑफ ट्राइब्स" (आदिवासी मित्र) पहल के तहत ट्राइफेड (TRIFED) ने आदिवासियों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिये नियमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) से वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु समझौता किया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
हरियाणा में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना को मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हरियाणा में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना को मंज़ूरी दी गई।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हरियाणा के मनेठी (रेवाड़ी) में एक नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना को मंज़ूरी प्रदान की।
संस्कृति
प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2018
प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2018 [Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (Amendment) Bill] पर प्रवर समिति की रिपोर्ट पेश की गई।
- यह विधेयक प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम,1958 में संशोधन करता है।
- समिति के प्रमुख अवलोकनों और सिफारिशों में शामिल हैं:
- निषिद्ध क्षेत्र: कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर संरक्षित स्मारक के आसपास निषिद्ध क्षेत्र (100 मीटर का क्षेत्र) में निर्माण की अनुमति नहीं है, विधेयक सार्वजनिक प्रयोजनों के लिये निषिद्ध क्षेत्रों में सार्वजनिक कार्यों के निर्माण की अनुमति देने की मंशा रखता है।
- सार्वजनिक कार्य: विधेयक में सार्वजनिक प्रयोजनों के लिये केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किसी भी अवसंरचनात्मक कार्य को ‘सार्वजनिक कार्य’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
- समिति ने उपरोक्त परिभाषा के अंतर्गत जनता को सुविधा प्रदान करने वाली सार्वजनिक उपयोगिता वाली परियोजनाओं को भी शामिल करने की सिफारिश की है।
श्रम
प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना
श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने एक स्वैच्छिक पेंशन योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन, 2019 (Pradhan Mantri Shram Yogi Maan-dhan Yojna- PMSYM) को अधिसूचित किया है।
- यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन प्रदान करने की मंशा रखती है।
योजना की मुख्य बातों में शामिल हैं:
- पात्रता: यह योजना 15,000 रुपए तक की मासिक आय वाले 18 से 40 वर्ष की आयु-वर्ग के असंगठित श्रमिकों पर लागू होगी।
- इसका लाभार्थी राष्ट्रीय पेंशन योजना, कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना या कर्मचारी भविष्य निधि योजना के दायरे से बाहर हो।
- न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन: योजना के तहत 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद प्रत्येक अभिदाता को न्यूनतम 3000 रुपए प्रतिमाह की निश्चित पेंशन प्रदान की जाएगी।
- केंद्र सरकार अभिदाता द्वारा किये गए अंशदान के बराबर अंशदान करेगी।
- सरकार ने योजना में शामिल होने की आयु के आधार पर विभिन्न मासिक अंशदान राशियों को अधिसूचित किया है। उदाहरण के लिये, 29 वर्ष की आयु में योजना में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को प्रतिमाह 100 रुपए का अंशदान करने की आवश्यकता होगी।
परिवार को पेंशन:
- यदि पेंशन प्राप्ति के दौरान अभिदाता की मृत्यु हो जाती तो उसे प्राप्त होने वाली पेंशन की 50 प्रतिशत राशि उसके जीवनसाथी को पारिवारिक पेंशन के रूप में प्राप्त होगी।
- यदि अभिदाता की मृत्यु पेंशन अर्जित करने से पहले हो जाती है (अर्थात 60 वर्ष की आयु से पहले) तो उसका जीवनसाथी या तो योजना में शामिल होकर अंशदान करते हुए योजना को जारी रख सकता है अथवा अर्जित ब्याज के साथ अभिदाता के अंशदान को प्राप्त करके योजना से बाहर निकल सकता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता
गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के लिये बोर्ड के प्रस्ताव को मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों (De-notified, Nomadic and Semi-Nomadic Communities) के लिये एक विकास और कल्याण बोर्ड (Development and Welfare Board) के गठन को मंज़ूरी प्रदान की है।
- नीति आयोग का उपाध्यक्ष इस बोर्ड की अध्यक्षता करेगा और बोर्ड अब तक औपचारिक रूप से वर्गीकृत नहीं किये गए गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्द्ध -घुमंतू समुदायों की पहचान की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये उत्तरदायी होगा।
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल में तीन वर्षों का विस्तार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल में तीन वर्षों के विस्तार (31 मार्च, 2019 से) को मंज़ूरी दी।
- सफाई कर्मचारी में वे व्यक्ति शामिल हैं जो मानव मल को ढोने, सफाई या निपटान कार्य अथवा अन्य सफाई कार्यों में संलग्न हैं।
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में इस आयोग की स्थापना की गई थी।
- यह अधिनियम फरवरी, 2004 से अप्रभावी हो गया, लेकिन ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013 MS Act)’ के तहत एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में आयोग के कार्यकाल में वृद्धि जारी रही।
आयोग के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- कार्यान्वयन की निगरानी।
- एमएस अधिनियम, 2013 के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की जाँच।
- अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देना।
- अधिनियम के गैर-कार्यान्वयन से संबंधित मामलों का स्वयं संज्ञान लेना।
खाद्य प्रसंस्करण
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019 (The National Institutes of Food Technology, Entrepreneurship and Management Bill) राज्यसभा में पेश किया गया।
- विधेयक खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन के कुछ संस्थानों को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों के रूप में घोषित करता है। ये संस्थान निम्नलिखित हैं:
- राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान, कुंडली (हरियाणा)
- भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, तंजावुर (तमिलनाडु)।
सूचना प्रौद्योगिकी
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 (National Policy on Electronics) को मंज़ूरी प्रदान कर दी है।
- नीति का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाकर भारत को ‘इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली डिज़ाइन और विनिर्माण (Electronics System Design and Manufacturing- ESDM)’ के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
अनुमोदित नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
उद्देश्य:
- इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली डिज़ाइन और विनिर्माण (ESDM) में विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देकर वर्ष 2025 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का टर्नओवर प्राप्त करना।
- ESDM उद्योग के लिये ‘व्यापार सुगमता’ (Ease of Doing Business) में सुधार।
- इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी उप-क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय नीति घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहित करके एक प्रतिस्पर्द्धी ESDM क्षेत्र के निर्माण का लक्ष्य रखती है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- ESDM क्षेत्र को उपयुक्त कर लाभ प्रदान करना।
- ESDM क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को सहायता प्रदान करना।
- भारत में निर्मित नहीं होने वाले पूंजीगत उपकरणों पर आयात शुल्क में छूट।
मानक: इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस के लिये वैश्विक बेंचमार्क के आधार पर एक मानक विकास ढाँचा स्थापित किया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिये मानकों का अनुपालन अनिवार्य करने हेतु इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक संस्थागत तंत्र की स्थापना की जाएगी।
अनुसंधान और नवाचार: यह नीति निम्नलिखित माध्यमों से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती हैः
- अभिकल्प (डिज़ाइन) और बौद्धिक संपदा (IP) को बढ़ावा देने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
- पेटेंट के सृजन के लिये समर्थन प्रदान करना।
- 5G और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान और स्टार्टअप को बढ़ावा देना।
साइबर सुरक्षा: साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रस्ताव निम्नलिखित है-
- इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों से संबंधित साइबर सुरक्षा मुद्दों की समझ बढ़ाना।
- सुरक्षित चिप्स के उपयोग को बढ़ावा देना।
- साइबर सुरक्षा उत्पादों के विकास के लिये एक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति, 2019 को मंज़ूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति, 2019 (National Policy on Software Products 2019) को मंज़ूरी प्रदान की है।
- नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक सॉफ्टवेयर उत्पाद केंद्र के रूप में विकसित करना है जिसके लिये निम्नलिखित क्षेत्रो में प्रयास किये जाएंगे:
- नवाचार
- बेहतर व्यावसायीकरण
- सतत् बौद्धिक संपदा
- प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को बढ़ावा देना
नीति के निम्नलिखित पाँच लक्ष्य/मिशन हैं:
- बौद्धिक संपदा द्वारा प्रेरित एक सतत् भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग के निर्माण को प्रोत्साहन देना।
- टियर II और टियर III शहरों में 1,000 स्टार्टअप सहित सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 10,000 प्रौद्योगिकी स्टार्टअप का पोषित करना।
- सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग के लिये निम्नलिखित के माध्यम से एक प्रतिभा समूह का निर्माण करना:
- 10 लाख आईटी पेशेवरों का अद्यतन प्रशिक्षण (अप-स्किलिंग)
- स्कूल और कॉलेजों के एक लाख छात्रों को प्रेरित करना
- नेतृत्व प्रदान करने के लिये 10,000 विशेषज्ञ पेशेवरों को तैयार करना
- 20 क्षेत्रीय और रणनीतिक रूप से अवस्थित सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास समूहों का विकास कर एक क्लस्टर आधारित नवाचार संचालित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
- इस नीति के कार्यान्वयन के लिये योजनाओं और कार्यक्रमों की निगरानी हेतु सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग की भागीदारी के साथ एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद मिशन स्थापित किया जाएगा।
- अगले सात वर्षों में इस नीति के तहत कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने के लिये 1,500 करोड़ रुपए के परिव्यय का अनुमान है। यह राशि दो कोषों में विभाजित की जाएगी:
- सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष।
- अनुसंधान और नवाचार कोष।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस
प्रधानमंत्री जी-वन (JI-VAN) योजना को मंज़ूरी
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने प्रधानमंत्री जी-वन (JI-VAN: Jaiv Indhan - Vatavaran Anukool fasal awashesh Nivaran/जैव ईंधन– वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना को मंज़ूरी दी है।
- इस योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (Viability Gap Funding- VGF) के रूप में एकीकृत बायोएथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो सूखे पौधों के बायोमास और अन्य नवीकरणीय कच्चे पदार्थों का उपयोग करके इथेनॉल का उत्पादन करती हैं।
- व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण/वायबिलिटी गैप फंडिंग एक अनुदान है, यह उन परियोजनाओं को समर्थन देता है जो आर्थिक रूप से न्यायसंगत तो हैं लेकिन व्यवहार्य नहीं हैं।
- योजना का उद्देश्य उपरोक्त स्रोतों के माध्यम से इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करना है और इस प्रकार इथेनॉल की आपूर्ति में वृद्धि करना है।
- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol- EBP) कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण की स्थिति प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।
- योजना के लाभार्थियों द्वारा उत्पादित इथेनॉल की आपूर्ति अनिवार्य रूप से तेल विपणन कंपनियों को की जाएगी ताकि वे सम्मिश्रण प्रतिशत बढ़ा सकें।
ऊर्जा
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम- KUSUM) को मंज़ूरी
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM) के शुभारंभ को मंज़ूरी दी।
- इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 25,750 मेगावाट की सौर क्षमता को जोड़ना है।
प्रस्तावित योजना में तीन घटक शामिल हैं:
- घटक-A: भूमि के ऊपर निर्मित 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिड को नवीकरणीय बिजली संयंत्र से जोड़ना।
- इस घटक के अंतर्गत 500 किलोवाट से 2 मेगावाट क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को किसानों/सहकारी समितियों/पंचायतों/किसान उत्पादक संगठनों द्वारा उनकी बंजर या खेती योग्य भूमि पर स्थापित किया जाएगा।
- उत्पादित बिजली को वितरण कंपनियों द्वारा खरीदा जाएगा।
- घटक-B: 17.5 लाख स्व-कार्यसक्षम (Standalone) सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों की स्थापना।
- इस घटक के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP क्षमता तक के स्व-कार्यसक्षम सौर पंप स्थापित करने के लिये सहायता दी जाएगी।
- घटक-C: ग्रिड से जुड़े 10 सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण (सोलराइज़ेशन)।
- इस घटक के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP क्षमता के पंपों के सौरीकरण के लिये सहायता दी जाएगी।
विदेशी मामले
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा
- इन देशों के साथ हस्ताक्षरित प्रमुख समझौते निम्नलिखित हैं:
- अर्जेंटीना: भारत और अर्जेंटीना ने रक्षा, पर्यटन, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- सऊदी अरब: भारत और सऊदी अरब ने पर्यटन, आवास, द्विपक्षीय निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिये पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
भारत के प्रधानमंत्री का कोरिया गणराज्य का दौरा
- दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें प्रमुख हैं: स्टार्टअप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग और सड़क एवं परिवहन के क्षेत्र में ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा।