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विविध

मई 2019

  • 06 Jun 2019
  • 30 min read

PRS की प्रमुख हाइलाइट्स

शिक्षा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा जारी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे (Draft National Education Policy) हेतु गठित समिति (अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन) ने 31 मई, 2019 को अपनी रिपोर्ट जारी की। समिति का गठन जून 2017 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत किया गया था। यह रिपोर्ट एक ऐसी शिक्षा नीति को प्रस्तावित करती है जो निम्नलिखित चुनौतियों से निपटने का प्रयास करती है-

(i) पहुँच (ii) समानता (iii) गुणवत्ता (iv) वहनीय (v) जवाबदेही, जिनका सामना मौजूदा शिक्षा प्रणाली कर रही है। समिति के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:-

  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act, 2009): वर्तमान में RTE अधिनियम 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है। समिति ने सुझाव दिया कि इस एक्ट के दायरे में शुरुआती शिक्षा (प्री-स्कूल एजुकेशन) और माध्यमिक शिक्षा को भी लाया जाए। इससे 3 वर्ष से 18 वर्ष के बच्चे भी इस अधिनियम में शामिल हो जाएंगे।
  • इसके अतिरिक्त समिति ने सुझाव दिया कि नो डिटेंशन की नीति (No Detention Policy) की समीक्षा की जानी चाहिये। यह नीति कहती है कि कक्षा आठ तक के बच्चों को फेल नहीं किया जाना चाहिये। इसके बजाय स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि बच्चों के सीखने का स्तर उनकी आयु के अनुरूप हो।
  • स्कूलों की परीक्षा प्रणाली में सुधार: स्कूलों में बच्चों की प्रगति पर निगरानी रखने के लिये समिति ने कक्षा तीन, पाँच और आठ में स्टेट सेंसस एग्जाम (State Census Exam) का प्रस्ताव दिया। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों के तनाव को कम करने के लिये समिति ने बोर्ड परीक्षाओं के पुनर्गठन का सुझाव दिया। समिति के अनुसार, मुख्य कॉन्सेप्ट्स, दक्षता और उच्च स्तरीय क्षमताओं की जाँच करने वाली परीक्षाएँ होनी चाहिये। इसके लिये बोर्ड की परीक्षाओं के स्थान पर इन-क्लास (In-Class) परीक्षाएँ होनी चाहिये और विद्यार्थियों को प्रत्येक सेमेस्टर के अंत में विभिन्न विषयों पर बोर्ड परीक्षा की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • उच्च शिक्षा: नीति में सुझाव दिया गया है कि तीन प्रकार के उच्च शिक्षण संस्थान होने चाहिये–

(i) शोध विश्वविद्यालय, जो शोध और शिक्षण दोनों पर ध्यान केंद्रित करें।

(ii) शिक्षण विश्वविद्यालय जो शिक्षण पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करें लेकिन महत्त्वपूर्ण शोध भी करे।

(iii) कॉलेज जो केवल अंडर–ग्रेजुएट शिक्षा दें।

  • इसके अतिरिक्त समिति ने राष्ट्रीय उच्च शिक्षा रेगुलेटरी अथॉरिटी (National Higher Education Regulatory Authority) को प्रस्तावित किया। अथॉरिटी उच्च शिक्षा के मौजूदा रेगुलेटर का स्थान लेगी जिसमें प्रोफेशनल शिक्षा भी शामिल है।

श्रम और रोज़गार

व्यापारियों और दुकानदारों के लिये पेंशन योजना को मंज़ूरी

श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने व्यापारियों और दुकानदारों के लिये स्वैच्छिक न्यूनतम पेंशन योजना (Pension Scheme for Traders and Shopkeepers) को मंज़ूरी दी। योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–

  • न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन (Minimum Assured Pension): इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को 60 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 3,000 रुपए प्रतिमाह की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन प्राप्त होगी। इसमें केंद्र सरकार भी लाभार्थी के बराबर योगदान देगी।
  • पात्रता: यह योजना उन दुकानदारों, स्व–रोज़गार प्राप्त व्यक्तियों और खुदरा व्यापारियों पर लागू होगी जिनका जीएसटी टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए से कम है और जो 18 से 40 वर्ष के बीच की आयु वाले हैं। इस योजना में नामांकन के लिये सबस्क्राइबर का बैंक खाता और आधार नंबर होना चाहिये। इच्छुक व्यक्ति देश के किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Centre) में खुद का नामांकन करा सकते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर अनिवार्य पब्लिक यूटिलिटी सर्विसेज़ (Public Utility Services), समाज कल्याण की योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, वित्तीय या शैक्षणिक सेवाओं की डिलीवरी के लिये एक्सेस प्वाइंट होते हैं।

आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) ने आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (Periodic Labour-force Survey Released) की पहली वार्षिक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर रोज़गार और बेरोज़गारी के विभिन्न पहलुओं से संबंधित वार्षिक अनुमान दिये गए हैं। रिपोर्ट में जुलाई 2017 से जून 2018 के दौरान 1,02,113 परिवारों से एकत्र किये गए आँकड़े हैं। सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं–

  • श्रम बल की भागीदारी दर (Labour force Participation Rate-LFPR): 15-59 वर्ष की आयु के लिये LFPR 53% थी। इसमें पुरुषों की LFPR 80.2% और महिलाओं के लिये 25.3% थी। LFPR उन लोगों का प्रतिशत होता है जो काम कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं।
  • श्रमिक संख्या अनुपात (Workers Population Ratio-WPR): 15-59 वर्ष की आयु के लिये डब्ल्यूपीआर 49.5% था। इसमें से पुरुषों के लिये डब्ल्यूपीआर 74.9% और महिलाओं के लिये 23.8% था। WPR कुल जनसंख्या में कार्यरत लोगों का प्रतिशत होता है।
  • रोज़गार के स्रोत: रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय स्तर पर 52.2% लोगों की आय का मुख्य स्रोत स्वरोज़गार था। इसके अतिरिक्त 24.9% का मुख्य स्रोत कैज़ुअल लेबर (Casual labour) और 22.8% की दिहाड़ी मज़दूरी/वेतन थी।
  • बेरोज़गारी दर (Unemployment Rate): अखिल भारतीय बेरोज़गारी दर 6.1% थी। पुरुषों की बेरोज़गारी दर 6.2% और महिलाओं की 5.7% थी। शहरी श्रम बल में बेरोज़गारी दर ग्रामीण श्रम बल की अपेक्षा अधिक थी।

कृषि

छोटे और सीमांत किसानों के लिये PM किसान पेंशन योजना को मंज़ूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने छोटे और सीमांत किसानों के लिये PM किसान पेंशन योजना (Pradhanmantri Kisan Pension Yojana for Small and Marginal Farmers) को मंज़ूरी दी।

  • यह योजना किसानों को 60 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 3,000 रुपए प्रतिमाह की न्यूनतम नियत पेंशन प्रदान करेगी।
  • यह एक स्वैच्छिक योजना है जिसमें किसान के योगदान की राशि के बराबर की राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी।
  • इस योजना में शामिल होने के लिये किसान की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिये।
  • लाभार्थी की मृत्यु होने पर (60 वर्ष के बाद) उसके जीवनसाथी को पेंशन का पचास प्रतिशत प्राप्त करने का अधिकार होगा, बशर्ते वह इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी न हो।
  • 60 वर्ष से पहले लाभार्थी की मृत्यु होने पर (जब वह योगदान दे रहा हो) उसका जीवनसाथी इस योजना में नियमित योगदान करने का विकल्प चुन सकता है।
  • योजना के अंतर्गत किसान यह विकल्प चुन सकता है कि उसके मासिक योगदान की राशि को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM किसान) योजना के अंतर्गत प्रदत्त राशि से सीधा काट लिया जाए। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस सेवाएँ प्रदान करने के लिये गठित कॉमन सर्विस सेंटर्स में भी किसान मासिक योगदान की राशि जमा कर सकते हैं।
  • यह योजना केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित है और तीन वर्ष की अवधि में इसकी अनुमानित लागत 10,774 करोड़ रुपए है।

सभी किसान परिवारों को शामिल करने के लिये PM किसान योजना का दायरा बढ़ाया गया

केंद्रीय कैबिनेट ने सभी किसान परिवारों को शामिल करने के लिये PM किसान (PM-KISAN) योजना का दायरा बढ़ाने की मंज़ूरी दी है, भले ही उनकी जोत का आकार कुछ भी हो।

  • इससे पूर्व केवल छोटे और सीमांत किसान परिवार यानी दो हेक्टेयर से कम जोत वाले किसान ही योजना के अंतर्गत 6,000 रुपए प्रतिवर्ष की सहायता हासिल करने के पात्र थे। हालाँकि योजना के अंतर्गत कुछ अपवर्जन (Exclusion) जारी रहेंगे। अच्छी आर्थिक स्थिति वाले किसान परिवार इस योजना के पात्र नहीं होंगे, जैसे–

(i) जिनके पास संस्थागत भूमि स्वामित्व है।

(ii) जिन परिवारों के एक या उससे अधिक सदस्य सरकारी कर्मचारी हैं।

(iii) जिन परिवारों के एक या उससे अधिक सदस्य आयकर भरते हैं।

  • संशोधित योजना में लगभग दो करोड़ किसान और शामिल हो जाएंगे तथा लाभार्थियों की संख्या लगभग 14.5 करोड़ हो जाएगी। कवरेज बढ़ने से वर्ष 2019-20 में योजना का व्यय 75,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 87,218 करोड़ रुपए हो जाएगा।

कैबिनेट ने पशुओं में बीमारियों को काबू करने के लिये कार्यक्रम को मंज़ूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने देश में पशुओं में होने वाली कुछ बीमारियों को काबू करने के लिये कार्यक्रम को मंज़ूरी दी।

  • इन बीमारियों में पैरों और मुँह की बीमारी (Foot and Mouth disease) और ब्रूसेलोसिस (Brucellosis) शामिल हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में इन बीमारियों पर काबू पाना और धीरे-धीरे इन्हें समाप्त करना है।
  • पैरों और मुँह की बीमारी एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जिसके कारण बुखार, मुँह के अंदर और पैरों पर छाले हो जाते हैं। इससे पशु लंगड़ाकर चलता है।
  • ब्रूसेलोसिस के कारण पशुओं में गर्भपात और बांझपन (Infertility) जैसी समस्याएँ होती हैं तथा वे अपने जीवन-काल में 30% तक कम दूध देती हैं। इस संक्रमण से मनुष्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
  • मुँह और पैरों के संक्रमण को रोकने के लिये 30 करोड़ गोवंश (गाय, बैल और भैंसों), 20 करोड़ भेड़ों और बकरियों एवं एक करोड़ सुअरों को छह महीने के अंतराल में टीके लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त गोवंश के बछड़ों को शुरुआती टीके लगाए जाएंगे।
  • ब्रूसेलोसिस पर काबू पाने के लिये 3.6 करोड़ मादा बछड़ों को 100% टीकाकरण कवरेज प्रदान किया जाएगा। इस कार्यक्रम का वित्तपोषण पूर्ण रूप से केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके लिये 13,343 करोड़ रुपए के परिव्यय को मंज़ूरी दी गई है।

वित्त

भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियों पर RBI का विज़न डॉक्यूमेंट

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियाँ: विज़न 2019-2021’ (Payment and Settlement System in India: Vision 2019 - 2021) नामक डॉक्यूमेंट जारी किया।

  • इसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को ऐसे ई-पेमेंट विकल्पों की सुविधा प्रदान कर सशक्त करना है जो सुरक्षित, सुविधाजनक, तीव्र और सस्ते हों।
  • विज़न डॉक्यूमेंट के उद्देश्य इस प्रकार से हैं-

(i) उपभोक्ताओं के अनुभवों को बढ़ाना

(ii) डिजिटल पेमेंट ऑपरेटरों और सेवा प्रदाताओं को सशक्त करना।

(iii) डिजिटल पेमेंट इको-सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर (Digital Payment Eco-system and Infrastrecture) को संभव बनाना।

(iv) एक दूरदर्शी नियम तैयार करना।

  • इसके लिये विज़न डॉक्यूमेंट में प्रतिस्पर्द्धा, लागत, सुविधा और आत्मविश्वास के चार लक्ष्यों की परिकल्पना की गई है और प्रत्येक लक्ष्य की प्राप्ति के लिये विशिष्ट पहल को चिन्हित किया गया है। उदाहरण के लिये विज़न डॉक्यूमेंट का उद्देश्य ग्राहकों की सुविधा के लिये ग्राहक जागरूकता सर्वेक्षण कराना है।
  • डॉक्यूमेंट 12 विशिष्ट परिणामों को चिह्नित करता है, जैसे– (i) वर्ष 2021 तक वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिये डिजिटल भुगतान के इस्तेमाल में 35% की वृद्धि हासिल करना (ii) पेमेंट प्रणालियों में टेक्निकल डिकलाइन्स (Declines) को 10% कम करना।
  • विज़न डॉक्यूमेंट का उद्देश्य जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कैश सर्कुलेशन (Cash Circulation) को कम करना है। इसके लिये देश में प्वाइंट ऑफ सेल्स (Point of Sales–POS) इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता में इज़ाफा किया जाएगा।
  • RBI ने जनवरी 2019 में डिजिटल पेमेंट की गहनता पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। इस समिति ने मई 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। आरबीआई समिति के सुझावों पर विचार करेगा और जहाँ ज़रूरी होगा, वहाँ रिपोर्ट के एक्शन प्वाइंट्स को विज़न डॉक्यूमेंट में शामिल करेगा।

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फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) रेगुलेशंस पर वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट

वर्किंग ग्रुप ने फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) रेगुलेशंस, 2014 पर अपने सुझाव सौंपे हैं। इन रेगुलेशंस की समीक्षा करने के लिये सेबी (SEBI) ने वर्किंग ग्रुप का गठन किया था।

वर्किंग ग्रुप के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं–

  • निवेश संबंधी प्रतिबंध: वर्तमान में FPIs को लिस्टेड भारतीय कंपनियों में सामूहिक रूप से 24% तक निवेश करने की अनुमति है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के अनुसार, भारतीय कंपनियों को अपने कार्य क्षेत्र में सेक्टोरल कैप/कानूनी सीलिंग (Sectoral cap/Statutory Ceiling) तक इस सीमा को बढ़ाने की अनुमति है। इसके लिये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मंज़ूरी प्राप्त होनी चाहिये।
  • वर्किंग ग्रुप ने सुझाव दिया कि निवेश की सीमा को सेक्टोरल कैप के बराबर रखा जाए और अगर बोर्ड का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो कंपनियाँ उस सीमा को कम भी कर सकती हैं।
  • KYC और दस्तावेज़ीकरण को सरल बनाना (KYC and Simplification of Documentation): वर्किंग ग्रुप ने सुझाव दिया कि नो योर कस्टमर (KYC) प्रक्रिया की सर्टिफिकेशन और वैरिफिकेशन प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। साथ ही यह भी सुझाव दिया कि सेल्फ-सर्टिफिकेशन की इस प्रक्रिया को वैकल्पिक बनाया जाए।
  • एफपीआई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया: वर्किंग ग्रुप ने इन्वेस्टर्स के एक सेट, जैसे पेंशन फंड्स के लिये रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को फास्ट-ट्रैक बनाने का सुझाव दिया।

रक्षा

रक्षा उत्पादों के सेल्फ-सर्टिफिकेशन (Self-Certification) की योजना

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSUs) और निजी वेंडरों द्वारा निर्मित रक्षा उत्पादों के सेल्फ-सर्टिफिकेशन की अनुमति के लिये एक योजना की शुरुआत की।

  • सेल्फ-सर्टिफिकेशन का अर्थ है कि उत्पाद की गुणवत्ता को प्रमाणित करने की जिम्मेदारी वेंडर की है।
  • वर्तमान में रक्षा उत्पादों के क्वालिटी एश्योरेंस का काम डायरोक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (Directorate General of Quality Assurance-DGQA) का है जो कि रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत आता है।
  • एमओडी के अनुसार, योजना का उद्देश्य वेंडरों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करना है कि वे उत्पाद के टिकाऊपन और गुणवत्ता में सुधार के लिये सीधे जीम्मेदार हों।
  • सेल्फ-सर्टिफिकेशन का स्टेटस हासिल करने के इच्छुक वेंडर डीजीक्यूए या सर्विस हेडक्वार्टर में स्थित अथॉरिटी को आवेदन कर सकते हैं।
  • अगर यूज़र को ऐसा लगता है कि उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में कमी है तो सेल्फ-सर्टिफिकेशन का स्टेटस रद्द किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अगर किसी भी समय उत्पाद की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं पाई जाती है तो डीजीक्यूए (DGQA) इस स्टेटस को रद्द कर सकता है।

राष्ट्रीय रक्षा कोष के अंतर्गत स्कॉलरशिप योजना में परिवर्तन

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रक्षा कोष के अंतर्गत स्कॉलरशिप योजना (Scholarship Scheme under the National Defence Fund) में कुछ परिवर्तनों को मंज़ूरी दी।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु चंदे के उपयोग के लिये राष्ट्रीय रक्षा कोष की स्थापना की गई थी।
  • स्कॉलरशिप योजना एक ऐसी योजना है जो राष्ट्रीय रक्षा कोष के अंतर्गत लागू की जाती है।
  • यह योजना सशस्त्र बलों, अर्द्ध–सैनिक बलों और रेलवे सुरक्षा बल के शहीद सैनिकों/पूर्व सैनिकों की बीवी और बच्चों को तकनीकी और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा देने का प्रयास करती है।
  • स्कॉलरशिप की राशि को लड़कों के लिये प्रतिमाह 2,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 रुपए और लड़कियों के लिये प्रतिमाह 2,250 रुपए से बढ़ाकर 3,000 रुपए किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त योजना के दायरे में नक्सल और आतंकवादी हमलों में मारे गए राज्य पुलिस अधिकारियों के बच्चों को भी शामिल किया गया है। ऐसे मामलों में गृह मंत्रालय नोडल मंत्रालय है।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस

डीज़ल में सम्मिश्रण के लिये बायोडीज़ल की बिक्री हेतु दिशा–निर्देश

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने डीज़ल में सम्मिश्रण (Blending) के लिये बायोडीज़ल की बिक्री हेतु दिशा–निर्देशों को अधिसूचित किया है।

  • बायोडीज़ल का उत्पादन गैर–खाद्य वनस्पति तेलों, एसिड ऑयल, इस्तेमाल किये गए कुकिंग ऑयल या पशु चर्बी से होता है और इसे वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • बायोडीज़ल को बनाने के लिये जेट्रोफा, मेथेनॉल और सोडियम हाइड्रॉक्साइड की ज़रूरत होती है।
  • पेट्रोलियम में इथेनॉल के सम्मिश्रण से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है और इससे पेट्रोलियम के आयात का दबाव कम होता है।
  • जैव-ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 ने वर्ष 2030 तक डीज़ल में बायोडीज़ल के 5% सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि वैकल्पिक एवं पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले।

मंत्रालय द्वारा अधिसूचित दिशा–निर्देश निम्नलिखित हैं-

  • अनुमति सिर्फ बायोडीज़ल (बी-100) की बिक्री के लिये दी गई है, न कि किसी भी प्रतिशत वाले मिश्रण के लिये।
  • सिर्फ देशी स्तर पर ही उत्पादित बायोडीज़ल की बिक्री की अनुमति है।
  • बायोडीज़ल के रिटेल आउटलेट्स पर अलग-अलग बोर्ड्स होने चाहिये। इन बोर्ड्स में विभिन्न भाषाओं में यह लिखा होना चाहिये कि डीज़ल में कितनी मात्रा में बायोडीज़ल मिलाया गया है। बोर्ड में इस बात की स्पष्ट चेतावनी भी होनी चाहिये कि विनिर्दिष्ट मात्रा से अधिक मात्रा में बायोडीज़ल मिलाने से इंजन को नुकसान हो सकता है।
  • बायोडीज़ल विनिर्माताओं, आपूर्तिकर्त्ताओं और बिक्रीकर्त्ताओं के लिये रजिस्ट्रेशन प्रणाली को राज्य स्तर पर तैयार किया जाएगा।
  • राज्य सरकार की अथॉरिटीज़ को बायोडीज़ल के रिटेल आउटलेट्स के नियमित निरीक्षण का अधिकार होना चाहिये।

आयात पर निर्भरता कम करने के लिये उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें

सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिये कार्ययोजना तैयार करने से जुड़े मुद्दों की जाँच करने; कर मामलों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (Goods And Services Tax-GST) से लाभ प्राप्त करने के तरीकों के संबंध में सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।

  • इस उच्च स्तरीय समिति में प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोदकर (अध्यक्ष) और वित्तीय एवं कर मामलों के विशेषज्ञ सिद्धार्थ प्रधान शामिल थे।
  • समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों तथा संयुक्त उद्यमों के विलय, अधिग्रहण एवं एकीकरण; तेल सेवाएँ प्रदान करने वाली नई कंपनी के गठन; दुनिया भर में तेल तथा गैस क्षेत्र के लिये सक्षम मानवशक्ति उपलब्ध कराने की आवश्यकता एवं संभावना का अध्ययन किया।
  • समिति की सिफारिशों के अनुसार तेल एवं गैस के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिये अल्पावधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि की रणनीतियाँ तैयार करने की आवश्यकता है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय में सीएसओ और एनएसएसओ के विलय को मंज़ूरी

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO) और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office-NSSO) के विलय को मंज़ूरी दे दी है, जिसे अब राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistics Office-NSO) कहा जाएगा।

  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Program Implementation- MoSPI) का सचिव NSO का प्रमुख होगा।
  • वर्तमान में CSO मंत्रालय के साथ संबद्ध कार्यालय है, जो देश की सांख्यिकी गतिविधियों का समन्वय करता है और सांख्यिकी संबंधी मानदंड तैयार करता है। NSSO मंत्रालय का अधीनस्थ कार्यालय (फील्ड एजेंसी) है। यह कार्यालय अखिल भारतीय स्तर पर विविध क्षेत्रों में बड़े स्तर पर नमूना सर्वेक्षण करता है और इसके निष्कर्षों को प्रकाशित करता है।

ऊर्जा

ग्रिड के साथ पुराने सोलर ऑफ ग्रिड प्लांट्स के कनेक्शन को मंज़ूरी

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रिड के साथ पुराने सोलर ऑफ ग्रिड प्लांट्स को जोड़ने की मंज़ूरी दे दी है।

  • यह कनेक्शन उन क्षेत्रों में किया जाएगा जहाँ अब ग्रिड सप्लाई नेट-मीटरिंग के प्रावधान के साथ उपलब्ध है।
  • नेट-मीटरिंग ऐसा बिलिंग प्रावधान है जिसमें सोलर एनर्जी सिस्टम (या प्लांट) के मालिक (Owners) को ग्रिड में बिजली जोड़ने के लिये क्रेडिट मिलेगा।
  • यह कनेक्शन विनियामक प्रावधानों का विषय होगा। इसके अतिरिक्त इस कनेक्शन की लागत को संबंधित राज्य सरकार या लाभार्थी विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।
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एसएमएस अलर्ट
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