विश्व सिकल सेल दिवस, 2021

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व सिकल सेल दिवस, सिकल सेल रोग

मेन्स के लिये:

सिकल सेल रोग तथा इसके रोकथाम एवं प्रबंधन हेतु भारत सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

19 जून को जनजातीय मामलों के मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs- MOTA) ने विश्व सिकल सेल रोग (World Sickle Cell Disease- SCD) दिवस मनाने के लिये झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी ज़िलों में SCD की स्क्रीनिंग एवं समय पर प्रबंधन को मज़बूत करने हेतु उन्मुक्त परियोजना के तहत मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई।

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने आधिकारिक तौर पर 22 दिसंबर, 2008 को यह घोषणा की थी कि प्रत्येक वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
  • UNGA ने SCD को पहले आनुवंशिक रोगों में से एक के रूप में भी मान्यता दी है।

प्रमुख बिंदु:

सिकल सेल रोग:

  • यह एक वंशानुगत रक्त संबंधी रोग है जो अफ्रीकी, अरब और भारतीय मूल के लोगों में सबसे अधिक प्रचलित है।
  • यह विकारों का एक समूह है जो हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं का एक अणु है जो पूरे शरीर में कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है।
  • इस रोग से पीड़ितों में हीमोग्लोबिन एस नामक असामान्य हीमोग्लोबिन अणु पाए जाते हैं, जो लाल रक्त कोशिकाओं को अर्धचंद्राकार आकार में विकृत कर सकते हैं।
    • ये रक्त के प्रवाह और ऑक्सीजन को शरीर के सभी हिस्सों तक पहुँचने से रोकते हैं।

Cell-Disease

लक्षण

  • यह गंभीर दर्द पैदा कर सकता है, जिसे सिकल सेल क्राइसिस (Sickle Cell Crises) कहा जाता है।
  • समय के साथ सिकल सेल रोग वाले लोगों के यकृत, गुर्दे, फेफड़े, हृदय और प्लीहा सहित अन्य अंगों को नुकसान पहुँच सकता है।  इस विकार की जटिलताओं के कारण मृत्यु भी हो सकती है।

उपचार 

  • औषधि, रक्त आधान और कभी-कभी अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण इसका उपचार है।

संबंधित आँकड़े:

  • अकेले भारत में SCD के लगभग 1,50,000 रोगी हैं और एशिया में लगभग 88 प्रतिशत मामले सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia- SCA) के हैं।
  • भारत में यह रोग मुख्य रूप से पूर्वी गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी ओडिशा और उत्तरी तमिलनाडु तथा केरल में नीलगिरि पहाड़ियों के क्षेत्रों में व्याप्त है।
  • यह रोग आदिवासी समुदायों (बच्चों सहित) के बीच फैल रहा है।
    • मंत्रालय के अनुसार, SCD महिलाओं और बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है तथा SCD पीड़ित लगभग 20% आदिवासी बच्चों की दो वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है एवं 30% बच्चों की मृत्यु वयस्क होने से पहले ही हो जाती है।

चुनौतियाँ: 

  • जनजातीय आबादी के बीच सामाजिक कलंक और प्रसार (जहाँ SCD की देखभाल तक पहुँच सीमित है) आदि इस रोग से निपटने हेतु चुनौतियाँ हैं।
  • स्कूल छूट जाना:
    • सिकल सेल रोग से पीड़ित बच्चों को प्रायः स्कूल छोड़ना पड़ जाता है।
  • नीति संबंधी मुद्दे: 
    • हीमोग्लोबिनोपैथी (Haemoglobinopathies) पर 2018 मसौदा नीति का विलंबित कार्यान्वयन।
      • इस नीति का उद्देश्य रोगियों को साक्ष्य-आधारित उपचार प्रदान करना और सिकल सेल एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम, स्क्रीनिंग तथा प्रसव पूर्व निदान जैसी पहलों के माध्यम से सिकल सेल रोग वाले नवजात बच्चों की संख्या कम करना है।

भारत की पहल:

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा पहल:
    • SCD सपोर्ट कॉर्नर- SCD सपोर्ट कॉर्नर की परिकल्पना भारत के जनजातीय क्षेत्रों में SCD से संबंधित सूचना के साथ वन स्टॉप पोर्टल के रूप में की गई। यह पोर्टल डैशबोर्ड, ऑनलाइन स्व-पंजीकरण सुविधा के माध्यम से प्रत्येक आगंतुक को वास्तविक समय डेटा तक पहुँच प्रदान करेगा और रोग तथा विभिन्न सरकारी पहलों के बारे में जानकारी के साथ एक ज्ञान भंडार के रूप में कार्य करेगा।
    • एक 'एक्शन रिसर्च' परियोजना जिसके तहत इस बीमारी से पीड़ित रोगी में जटिलताओं को कम करने के लिये योग पर निर्भर जीवन शैली को बढ़ावा दिया जाता है।
  • विस्तारित स्क्रीनिंग:
    • छत्तीसगढ़ और गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने अपने स्क्रीनिंग कार्यक्रमों को अस्पताल से लेकर स्कूल-आधारित स्क्रीनिंग तक विस्तारित कर दिया है।
    • इस तरह के स्क्रीनिंग प्रयासों और कार्यान्वयन रणनीतियों को अन्य राज्यों में लागू करने से रोग की व्यापकता का पता लगाने में मदद मिलेगी।
  • दिव्यांगता प्रमाण पत्र:
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने SCD  रोगियों के लिये दिव्यांगता प्रमाण पत्र की वैधता 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दी है।

स्रोत: पी.आई.बी