विश्व दुग्ध दिवस
प्रीलिम्स के लियेविश्व दुग्ध दिवस तथा उमंग प्लेटफॉर्म के बारे में तथ्यात्मक जानकारी, डेयरी क्षेत्र से संबंधित विभिन्न पहल, ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) मेन्स के लियेकिसानों की आय दोगुनी करने में डेयरी उद्योग की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
प्रतिवर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है।
- इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने गोपाल रत्न पुरस्कार शुरू करने और उमंग प्लेटफॉर्म के साथ ई-गोपाला एप के एकीकरण की घोषणा की।
उमंग प्लेटफॉर्म
- उमंग (UMANG) का पूर्ण रूप ‘नए युग के शासन के लिये एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन’ (Unified Mobile Application for New-age Governance) है। यह भारत सरकार का ऑल-इन-वन सिंगल, एकीकृत, सुरक्षित, मल्टी-चैनल, मल्टी-प्लेटफॉर्म, बहुभाषी, मल्टी सर्विस मोबाइल एप है जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) द्वारा नागरिकों तक एक ही मोबाइल एप के माध्यम से प्रमुख सरकारी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था।
- यह एक एकीकृत एप्लीकेशन है जिसका उपयोग कई अखिल भारतीय ई-सरकारी सेवाओं जैसे: आयकर दाखिल करना, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सेवाएँ, आधार, पेंशन, ई-पाठशाला, ई-भूमि रिकॉर्ड, फसल बीमा आदि का लाभ उठाने के लिये किया जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
विश्व दुग्ध दिवस के बारे में:
- विश्व दुग्ध दिवस वर्ष 2001 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिन का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित करने का अवसर प्रदान करना है।
- FAO संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है जो भुखमरी को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करता है।
वर्ष 2021 की थीम:
- इसकी थीम पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-आर्थिक के संदेशों के साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर केंद्रित होगी।
- ऐसा करने से यह विश्व में डेयरी फार्मिंग को फिर से पेश करेगा।
गोपाल रत्न पुरस्कार:
- केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने डेयरी क्षेत्र के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, गोपाल रत्न पुरस्कार (Gopal Ratna Awards) शुरू करने की घोषणा की। जिसकी तीन श्रेणियाँ हैं:
- सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान।
- सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)।
- सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/दुग्ध उत्पादक कंपनी/किसान उत्पादक संगठन।
ई-गोपाला (उत्पादक पशुधन के माध्यम से धन का सृजन) एप:
- यह किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है।
- यह निम्नलिखित पहलुओं पर समाधान प्रदान करता है:
- देश में पशुधन के सभी रूपों (वीर्य, भ्रूण आदि) में रोग मुक्त जीवाणु (जर्मप्लाज़्म) को खरीदना और बेचना।
- गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता (कृत्रिम गर्भाधान, पशु प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार आदि) और पशु पोषण के लिये किसानों का मार्गदर्शन करना।
डेयरी क्षेत्र से संबंधित अन्य पहलें:
- डेयरी विकास पर राष्ट्रीय कार्य योजना 2022: यह दूध उत्पादन बढ़ाने और डेयरी किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास करता है।
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इसे देश में पशुओं में खुरपका-मुँहपका रोग (Foot & Mouth Disease- FMD) और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने तथा समाप्त करने के लिये शुरू किया गया था।
- पशु-आधार: यह पशुओं के लिये एक UID या पशु-आधार (Pashu Aadhaar) जारी करता है।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इसे वर्ष 2019 में एकीकृत पशुधन विकास केंद्रों के रूप में 21 गोकुल ग्राम स्थापित करने के लिये लॉन्च किया गया था।
ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति)
श्वेत क्रांति के बारे में:
- भारत में श्वेत क्रांति डॉ वर्गीज़ कुरियन (Dr Verghese Kurein) के दिमाग की उपज थी। उनके अधीन गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) जैसे कई महत्त्वपूर्ण संस्थान स्थापित किये गए थे।
- श्वेत क्रांति NDDB द्वारा 1970 के दशक में शुरू की गई थी और ऑपरेशन फ्लड की आधारशिला ग्राम दुग्ध उत्पादकों की सहकारी समितियाँ हैं।
क्रांति के चरण:
- चरण I:
- यह वर्ष 1970 से शुरू हुआ और 10 वर्ष यानी वर्ष 1980 तक चला। इस चरण को विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से यूरोपीय संघ द्वारा दान किये गए बटर ऑयल और स्किम्ड मिल्क पाउडर की बिक्री से वित्तपोषित किया गया था।
- चरण II:
- यह वर्ष 1981 से वर्ष 1985 तक पाँच वर्ष चला। इस चरण के दौरान दूध केंद्रों की संख्या 18 से बढ़कर 136 हो गई, दूध 290 नगरों के बाज़ारों में उपलब्ध होने लगा, वर्ष 1985 के अंत तक 43,000 आत्मनिर्भर ग्राम दुग्ध सहकारी समितियों की व्यवस्था की जा चुकी थी, जिसमें 42.50 लाख दूध उत्पादक शामिल थे।
- चरण III:
- यह भी लगभग 10 वर्ष यानी वर्ष 1985-1996 तक चला। इस चरण ने डेयरी सहकारी समितियों को विस्तार करने में सक्षम बनाया और कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। इसने दूध की बढ़ती मात्रा की खरीद और बाज़ार के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे को भी मज़बूत किया।
उद्देश्य:
- दूध उत्पादन में वृद्धि।
- ग्रामीण क्षेत्र की आय में वृद्धि।
- उपभोक्ताओं को उचित दाम पर दूध उपलब्ध कराना
महत्त्व:
- इसने डेयरी किसानों को अपने स्वयं के हाथों बनाए गए संसाधनों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने स्वयं के विकास को निर्देशित करने में मदद की।
- इसने वर्ष 2016-17 में भारत को विश्व में सबसे बड़ा दूध का उत्पादक बनने में मदद की है।
- वर्तमान में भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है, जिसका वैश्विक उत्पादन 22% है।