तापीय ऊर्जा संयंत्र और जल संसाधन
चर्चा में क्यों?
तापीय ऊर्जा संयंत्र, विद्युत उत्पादन प्रक्रिया के दौरान पानी की महत्त्वपूर्ण मात्रा का उपभोग करते हैं। भारत के अधिकांश तापीय ऊर्जा संयंत्र पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं इसलिये यह लगातार चिंता का विषय बना हुआ हैं।
जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति:
- मानसून की धीमी प्रगति के साथ ही उद्योगों और कृषि में जल के अत्यधिक उपभोग के कारण भारत में जल संकट की स्थिति बन गई है।
- सर्वविदित है कि भारत के पास विश्व के जल संसाधनों का केवल 4% हिस्सा उपलब्ध है जिसको कुल जनसंख्या का लगभग 18% उपभोग करता है।
- भारत को 100% विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये देश की स्थापित विद्युत क्षमता को दोगुना करना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि के बावजूद भी कोयला वर्ष 2030 तक विद्युत उत्पादन हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण माध्यम है।
- पानी की कमी से जूझ रहे देश में विद्युत ज़रूरतों को प्रबंधित करना एक चुनौती है।
तापीय ऊर्जा संयंत्रों में जल संरक्षण के प्रयास:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2015 में तापीय ऊर्जा संयंत्रों द्वारा पानी उपयोग की एक सीमा निर्धारित की गई थी। हालांँकि जून 2018 में संशोधित पर्यावरण संरक्षण नियमों में इस सीमा को समाप्त कर दिया गया था।
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority-CEA) ने हाल ही में तापीय ऊर्जा संयंत्रों हेतु वार्षिक जल खपत के मानक के लिये प्रारूप जारी किया है।
- प्रारूप में ऊर्जा संयंत्रों के मीटर्ड और अन-मीटर्ड दोनों प्रकार के उपयोग को निर्दिष्ट करने के लिये कहा गया है साथ ही जल मानदंडों के विचलन, इसके कारणों और सुधारात्मक उपायों का भी उल्लेख करने को कहा गया है।
जल संरक्षण के प्रयासों में कमी:
- अब तक तापीय ऊर्जा संयंत्रों द्वारा पिछले वर्षों में प्रयुक्त पानी की मात्रा की समीक्षा नहीं की गई है। सर्वप्रथम जल उपयोग की मात्रा का अध्ययन करके इसके उपयोग की एक सीमा तय की जानी चाहिए।
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority-CEA) की वेबसाइट पर पारदर्शिता को बढ़ावा नही दिया गया, पारदर्शिता को बढ़ाकर जनसहभागिता के माध्यम से बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority-CEA) के डेटा को लोगों के लिये सुलभ नहीं बनाया गया है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण
(Central Electricity Authority- CEA):
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 की धारा 3(1) तथा बाद में विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 70 के तहत प्रतिस्थापित किया गया था।
- इसकी स्थापना वर्ष 1951 में एक अंशकालिक निकाय के रूप में की गई थी जिसको बाद में वर्ष 1975 में एक पूर्णकालिक निकाय के रूप में स्थापित कर दिया गया था।
- यह विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
आगे की राह:
- तापीय ऊर्जा संयंत्रों में होने वाले जल संसाधनों की खपत को नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से कम किया जाना चाहिये।
- नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग बढ़ने से भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारत को जल संसाधनों के सीमित उपयोग के साथ अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों को संतुलित करना चाहिये।
इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के साथ ही तापीय ऊर्जा संयंत्रों में पानी के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु मानकों को बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया जाना चाहिये।