महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा

चर्चा में क्यों            

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक दिन विश्व की 3 में से 1 महिला किसी न किसी प्रकार की शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती है। महिलाओं पर इस प्रकार की हिंसा उनके अंतरंग मित्र, जीवन साथी या अज्ञात व्यक्ति द्वारा की जाती रही है। महिलाओं के विरुद्ध की जाने वाली हिंसा मानव अधिकार के उल्लंघन की श्रेणी में आती है।

महत्त्वपूर्ण आँकड़ें

  • वैश्विक स्तर पर तकरीबन 38% महिलाओं की हत्या उनके अंतरंग साथी (Intimate Partner) द्वारा की जाती हैं। भारत जैसे देश में स्थिति इससे भी बदतर है क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में अंतरंग साथी द्वारा महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा के आँकड़े 37.7% के साथ  विश्व में सबसे अधिक हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, हिंसा की स्थिति उच्च आय वाले देशों में 23.2%, विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्वी भूमध्य क्षेत्र के सदस्य देशों में 24.6%जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के सदस्य देशों में ये आँकड़े 37% तक है।
  • महिलाओं के साथ हिंसा, विशेष रूप से अंतरंग साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा / यौन हिंसा धीरे-धीरे एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है का रूप ले रही है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) और अन्य साझेदारों के  साथ मिलकर महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिये एक रूपरेखा तैयार की है जिसे सम्मान (Respect) कहा जाता है।
  • यौन हिंसा विशेषकर बाल्यावस्था में हुई यौन हिंसा महिलाओं को धूम्रपान, मदिरा एवं ड्रग्स सेवन और ऐसे यौन व्यवहार की ओर ले जा सकता है जो उनके लिये जोखिम पूर्ण हो सकता है।
  • 42% महिलाएँ अपने अंतरंग साथी के हिंसक व्यवहार के कारण किसी न किसी प्रकार की चोट का शिकार होती है।
  • जो महिलायें शारीरिक और यौन हिंसा का शिकार हुई हैं उनमें यौन संक्रमण का खतरा उन महिलाओं से कहीं अधिक (1.5 times more) होता है जो आमतौर पर हिंसा की शिकार नहीं हुई होती हैं। किसी-किसी क्षेत्र में तो HIV जैसे संक्रमण फैलने का भी खतरा रहता है।
  • महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक रोगों जैसे- अवसाद (Depression), दुश्चिंता (Anxiety), पोस्ट ट्रौमैटिक डिसऑर्डर (Post Traumatic Disorder), अनिद्रा (Sleep Disorder), एवं आत्महत्या (Sucide Attempt) इत्यादि जैसी बहुत - सी प्रवृत्तियों को आमंत्रित कर सकती है। इसके अलावा गंभीर रोग जैसे- सरदर्द (Headaches), पीठ दर्द (Back Pain), पेट दर्द (Abdominal Pain) इत्यादि के साथ संपूर्ण स्वास्थ्य को दुष्प्रभावित कर सकती हैं।

महिलाओं पर हिंसा का प्रभाव

  • कुछ स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों के अनुसार, हिंसा एक महिला के शारीरिक, मानसिक, यौन और प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, और कुछ मामलों में एचआईवी से ग्रसित होने के जोखिम को भी बढ़ा सकती हैं।  
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लैंगिक हिंसा का कारण पुरुषों में उचित शिक्षा का अभाव, कुपोषण से पीड़ित होना, बाल्यावस्था में माता को घरेलू हिंसा का शिकार होते देखना, शराब/मदिरा का सेवन, लिंग-विभेद जिसमें ऐसे वातावरण का निर्माण करना  जो महिलाओं के विरूद्ध हिंसा को एवं महिलाओं पर पुरूषों के अजेय अधिकार होने को सामाजिक मान्यता आदि को माना गया है।
  • वैसी महिलाओं पर हिंसा की संभावना और अधिक बढ़ जाती है जो अशिक्षित हैं, जिन्होनें अपनी माँ अथवा अन्य महिलाओं के साथ हिंसा होते देखी है, बाल्यावस्था में किसी प्रकार के शोषण का शिकार रही हैं, साथ ही हिंसा को सहन करती हैं करने की प्रवृत्ति, और पितृसत्ता का अनुपालन करने वाले पुरूषों के अधीनस्थ होने की मान्यता को स्वीकार करती हैं।
  • महिलाओं के साथ की जाने वाली हिंसा कई प्रकार की दीर्घ एवं अल्पकालीन समस्याओं को जन्म दे सकती हैं जो उनके लिये गंभीर पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक संकट को उत्पन्न कर सकती हैं।
  • यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकने के लिये कानूनी सुविधा, सशक्तिकरण हेतु परामर्श, साथ ही घर -घर  तक पहुँच बनाने (ताकि विश्व की प्रत्येक महिला को इसके विषय में जागरूक किया जा सके आदि) की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

निष्कर्ष

बदलते समय में महिलाओं ने स्वयं को अपनी पारंपरिक घरेलू भूमिका से बाहर शैक्षणिक, सामजिक, राजनितिक, आर्थिक, प्रबंधकीय आदि भूमिकाओं में स्थापित किया है। जो न केवल पितृसत्तात्मक विचारधारा को चुनौती देती है बल्कि समानता, सम्मान, उत्तरदायित्व, एवं साझेदारी जैसे पक्षों का भी प्रतिनिधित्व करती  हैं। ऐसे में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के बढ़ते आँकड़े जहाँ एक और समाज की संकीर्ण, अशिक्षित, असभ्य एवं अमानवीय सोच को प्रकट करते हैं वहीं अपने अधिकारों एवं शक्तियों से अनिभिज्ञ महिलाओं की स्थिति और इस संदर्भ में किये जाने वाले प्रयासों को भी दर्शाते हैं। महिलाओं के लिए नीति बनाने के क्रम में उक्त सभी पक्षों पर विचार किये जाने की आवश्यकता है ताकि भावी पीढ़ी के लिये एक सुरक्षित, सभ्य एवं हिंसामुक्त समाज सुनिश्चित किया जा सके।

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