उच्च शिक्षा में सुधार के लिये नवाचार

प्रीलिम्स के लिये:

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

मेन्स के लिये:

भारतीय उच्च शिक्षा में सुधार संबंधी नवाचार तथा उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) द्वारा उच्च शिक्षा में मूल्यों और नैतिकता के संदर्भ में दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पाँच नए कार्यक्रम संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
  • ये पाँच दस्तावेज़ उच्च शिक्षा में मूल्यांकन सुधार, पर्यावरण के अनुकूल और सतत् विश्वविद्यालय परिसरों का निर्माण, मानवीय मूल्यों एवं पेशेवर नैतिकता, शिक्षक प्रेरण तथा शैक्षिक शोध में सुधार को समाहित करते हैं।
  • ये दिशा-निर्देश उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों में महत्त्वपूर्ण कौशल, ज्ञान और नैतिकता विकसित करने में सहायता करेंगे।

UGC द्वारा उच्च शिक्षा में सुधार संबंधी निम्नलिखित पाँच नवाचारों की चर्चा की गई है-

मूल्य प्रवाह

(MulyaPravah):

  • उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से UGC ने मूल्य प्रवाह नाम से दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों में छात्र संघों को वैध तरीके से कानूनी मुद्दों को उठाने तथा सही समय पर निर्णय लेने के लिये प्रशासन का समर्थन करने की सलाह दी गई है।
  • इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से छात्रों को अपने समग्र व्यवहार में विनम्रता का पालन करने के लिये कहा गया है।
  • छात्रों को अच्छी सेहत बनाए रखने तथा किसी भी तरह के नशे से परहेज करने के लिये कहा गया है।
  • उच्च शिक्षण संस्थानों में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, समुदाय, जाति, धर्म या क्षेत्र से संबंधित छात्रों के बीच सामंजस्य बनाए रखने से संबंधी निर्देश भी दिये गए हैं।
  • ये दिशा-निर्देश ऐसे समय में आए हैं, जब विभिन्न विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है तथा राजनीतिक मुद्दों में छात्रों की भागीदारी जाँच के दायरे में आ गई है।
  • दिशा-निर्देशों की यह रूपरेखा उच्च शिक्षा संस्थानों में ऐसी चर्चा और प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिये प्रोत्साहित करती है जो शैक्षिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और नैतिकता की संस्कृति को समाहित करने में सहायता करती है।

सतत्

(SATAT):

  • उच्च शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण के अनुकूल तथा टिकाऊ परिसर के विकास के लिये सतत् कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
  • यह कार्यक्रम विश्वविद्यालयों को अपने परिसर की पर्यावरणीय गुणवत्ता को बढ़ाने और अपने भविष्य में सतत् और हरित तरीकों को अपनाने के लिये चिंतनशील नीतियों एवं प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।

गुरु-दक्षता

(Guru-Dakshta):

  • यह कार्यक्रम उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक प्रेरण कार्यक्रम (Faculty Induction Programme) के तौर पर प्रारंभ किया गया है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों में सीखने से संबंधित दृष्टिकोण विकसित करने के लिये उन्हें जागरूक करना, शिक्षण के लिये नए दृष्टिकोण अपनाना तथा उच्च शिक्षा में नए मूल्यांकन उपकरणों को अपनाना है।

UGC-केयर (कंसोर्टियम फॉर एकेडमिक एंड रिसर्च एथिक्स):

(Consortium for Academic and Research Ethics-CARE):

  • UGC- CARE कार्यक्रम 28 नवंबर 2018 को UGC की एक अधिसूचना द्वारा प्रारंभ किया गया एक कार्यक्रम है, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
    • उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध गुणवत्ता और प्रकाशन की नैतिकता को बढ़ावा देना।
    • प्रतिष्ठित जर्नल्स (Journals) में उच्च गुणवत्ता वाले प्रकाशनों को बढ़ावा देना ताकि उच्च वैश्विक रैंक प्राप्त करने में सहायता मिल सके।
    • अच्छी गुणवत्ता वाले जर्नल्स की पहचान के लिये दृष्टिकोण और पद्धति विकसित करना।
    • संदिग्ध और उप-मानक के जर्नल्स का प्रकाशन रोकना, क्योंकि ये भारतीय उच्च शिक्षा की प्रतिकूल छवि प्रतिबिंबित करते हैं तथा उसकी छवि को धूमिल करते हैं।
    • सभी शैक्षणिक उद्देश्यों के लिये गुणवत्तापूर्ण जर्नल्स की सूची जारी करना।

भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में मूल्यांकन सुधार कार्यक्रम

(Evaluation Reforms in Higher Educational Institutions in India):

  • इस कार्यक्रम के तहत छात्रों के मूल्यांकन को अधिक सार्थक और प्रभावी बनाया जाएगा तथा मूल्यांकन को ‘लर्निंग आउटकम’ (Learning Outcomes) से जोड़ा जाएगा।
  • छात्रों का उचित मूल्यांकन देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

UGC द्वारा उठाए गए इन क़दमों से शिक्षण संस्थाओं की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि होगी तथा उनके अनुसंधान, शिक्षण और सीखने के तरीकों में भी सुधार आएगा। इन नवाचारों के माध्यम से संस्थानों में अनुसंधान सहयोग को बढ़ाने के लिये ज्ञान एवं सूचनाओं को साझा करने की सुविधा भी प्राप्त होगी।

स्रोत- पीआईबी, द हिंदू