RBI के प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग संबंधी दो महत्त्वपूर्ण निर्णय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने अधिसूचना जारी कर प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को ऋण देने संबंधी प्रावधानों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है। इसका सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा और बैंकों को PSL संबंधी प्रावधानों के अनुपालन में भी आसानी रहेगी।
क्या है प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी (Priority Sector Lending-PSL)?
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र से तात्पर्य उन क्षेत्रों से है जिन्हें भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक देश की मूलभूत ज़रूरतों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हैं और इन क्षेत्रों को अन्य क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- किंतु इन क्षेत्रों को समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण नहीं मिल पाता है। ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा ऐसे क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये बैंकों को अपनी कुल उधारियों का एक निश्चित भाग इन क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से वितरित करने का आदेश दिया गया है। इसे ही प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग कहा जाता है।
- 2016 में जारी आरबीआई परिपत्र के अनुसार, PSL की आठ व्यापक श्रेणियों में कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, सामाजिक अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा और कुछ अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
RBI के महत्त्वपूर्ण निर्णय
- इस बीच भारतीय रिज़र्व बैंक के मुताबिक 20 से अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को वित्तीय वर्ष 2018-19 से छोटे और सीमांत किसानों और सूक्ष्म उद्यमों को उधार देने के उप-लक्ष्यों का अनुपालन करना होगा।
- यह निर्णय विदेशी बैंकों की PSL प्रोफाइल की समीक्षा करने के बाद लिया गया है। इस कदम से सभी बैंकों के बीच निष्पक्ष और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।
- आरबीआई के आँकड़ों के अनुसार मार्च 2017 के अंत तक केवल तीन विदेशी बैंकों की ही भारत में 20 या अधिक शाखाएँ मौजूद थीं।
- इन तीन बैंकों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटीबैंक तथा हॉन्गकॉन्ग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (HSBC) लिमिटेड बैंक शामिल हैं।
- आरबीआई ने कहा कि समायोजित निवल बैंक उधारियों (Adjusted Net Bank Credit-ANBC) का 8% या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र की समतुल्य राशि (Credit Equivalent Amount of Off-Balance Sheet Exposure-CEOBE) में जो भी अधिक हो का उप-लक्ष्य 20 से अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंकों के लिये 2018-19 के वित्तीय वर्ष से लागू होगा।
- वहीं, बैंकों को आंशिक राहत देते हुए RBI ने प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्म / लघु और मध्यम उद्यमों (सेवाओं) के लिये प्रति उधारकर्त्ता ऋण सीमा को हटाने का निर्णय लिया है।
- अब तक सूक्ष्म/लघु और मध्यम उद्यम (सेवा क्षेत्र) को क्रमशः 5 करोड़ और 10 करोड़ तक के ऋण को PSL के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- चूँकि सूक्ष्म/लघु और मध्यम उद्यमों (सेवाओं) के लिये प्रति उधारकर्त्ता ऋण सीमा हटा दी गई है। इसलिये MSMED अधिनियम, 2006 के तहत उपकरण में निवेश के अनुसार परिभाषित सेवाओं को प्रदान कराने में लगे सभी MSMEs को ऋण बिना किसी क्रेडिट कैप के PSL के तहत माना जाएगा।
- सेवा क्षेत्र के बढ़ते महत्त्व को ध्यान में रखते हुए RBI द्वारा लिये गए ये निर्णय बैंकों को इस क्षेत्र में अधिक ऋण देने के लिये प्रोत्साहित करेंगे।