जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये भारत का पहला राज्य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक
चर्चा में क्यों?
जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency -BEE) ने देश का पहला राज्य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक (State Energy Efficiency Preparedness Index) तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह सूचकांक देश के सभी राज्यों में ऊर्जा उत्सर्जन के प्रबंधन में होने वाली प्रगति को ट्रैक करने, राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने और कार्यक्रम कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करेगा।
- ऊर्जा दक्षता सूचकांक इमारतों, उद्योग, नगर पालिकाओं, परिवहन, कृषि और बिजली वितरण कंपनियों (discoms) जैसे क्षेत्रों के 63 संकेतकों पर आधारित है।
- ये संकेतक नीति और विनियमन, वित्तपोषण तंत्र, संस्थागत क्षमता, ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने और ऊर्जा बचत प्राप्त करने जैसे मानकों पर आधारित हैं।
- BEE के अनुसार, ऊर्जा दक्षता भारत को 500 बिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत में मदद कर सकती है और 2030 तक 100 गीगावाट (GW) बिजली क्षमता की आवश्यकता को कम कर सकती है।
- इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 557 मिलियन टन की कमी हो सकती है।
- इसके अन्य मापकों में विद्युत वाहनों (EVs) के माध्यम से भारत के विकास की गतिशीलता को फिर से परिभाषित करना तथा विद्युत उपकरणों, मोटरों, कृषि पंपों तथा ट्रैक्टरों और यहाँ तक कि भवनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार लाना शामिल है।
सूचकांक का महत्त्व
- इस प्रकार का सूचकांक एक ऐसे देश के लिये बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है जो अमेरिका और चीन के बाद ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है और जलवायु परिवर्तन से होने वाले परिणामों का सामना करने के लिये सबसे कमज़ोर देशों में से एक है।
उर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)
- भारत सरकार ने, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना की।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढाँचे के अंदर स्व-विनियम और बाजार सिद्धांतों पर महत्त्व देते हुए ऐसी नीतियों और रणनीतियों का विकास करने में सहायता प्रदान करना है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है।