वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट 2021: संयुक्त राष्ट्र
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nation) द्वारा जारी ‘वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट’ (Global Forest Goals Report) 2021 के अनुसार कोविड-19 महामारी ने वनों के प्रबंधन में विभिन्न देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को बढ़ा दिया है।
- इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (Department of Economic and Social Affairs) द्वारा तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट ‘यूनाइटेड नेशन स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर फॉरेस्ट’ (United Nations Strategic Plan for Forests), 2030 में शामिल उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्रगति पर समग्र अवलोकन प्रदान करती है।
प्रमुख बिंदु
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- कोविड-19 से प्रणालीगत भेद्यता और असमानता में बढ़ोतरी:
- कोविड-19 सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट से कहीं अधिक हमारे जीवन और आजीविका, गरीबी, असमानता और खाद्य सुरक्षा आदि विषयों को प्रभावित कर हमारे भविष्य पर खतरा उत्पन्न कर रहा है।
- वैश्विक उत्पादन पर कोविड-19 का प्रभाव:
- यह अनुमान है कि विश्व सकल उत्पाद वर्ष 2020 में लगभग 4.3% तक गिर गया है। यह महामंदी के बाद से वैश्विक उत्पादन में सबसे बड़ी गिरावट है।
- कोविड-19 वनों द्वारा प्रदान लाइफलाइन को नुकसान पहुँचा रहा है:
- लगभग 1.6 बिलियन या वैश्विक आबादी का 25% हिस्सा अपनी जीवन निर्वाह संबंधी आवश्यकताओं, आजीविका, रोज़गार और आय के लिये वनों पर निर्भर है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों में से लगभग 40% वनों और सवाना क्षेत्रों में रहते हैं और वैश्विक आबादी का लगभग 20% हिस्सा, विशेष रूप से महिलाएँ, बच्चे, भूमिहीन किसान तथा समाज के अन्य कमज़ोर वर्ग अपने भोजन एवं आय की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वनों पर निर्भर हैं।
- वन आश्रित जनसंख्या पर कोविड-19 का प्रभाव:
- आर्थिक परिपेक्ष में देखें तो वनों पर आश्रित आबादी की आय में कमी हुई है, इन्हें अपनी नौकरी खोनी पड़ी है और मौसमी रोज़गार में संकुचन आदि चुनौतियों का भी का सामना करना पड़ा है।
- सामाजिक रूप से इनमें से कई आबादी पहले से ही हाशिये पर हैं, जिनमें से अधिकांश सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
- कई वन आश्रित लोगों को विशेष रूप से दूरदराज़ और दुर्गम स्थानों पर निवास करने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवा तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- वनों पर अतिरिक्त दबाव:
- महामारी संचालित स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक परिणामों से वनों पर दबाव बढ़ा है।
- कोविड-19 के जोखिमों से अनेक स्वदेशी और स्थानीय समुदायों के वापस लौटने से भोजन, ईंधन, आश्रय एवं सुरक्षा के लिये वनों निर्भरता में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- जैव विविधता संकट:
- ‘जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच’ (Intergovernmental Science-Policy Platform On Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES) की ‘जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report on Biodiversity and Ecosystem Services) के अनुसार वर्ष 1980 से वर्ष 2000 के बीच लगभग एक मिलियन प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा था और लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय वन खत्म हो गए।
- जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व की वन पारिस्थितिकी प्रणालियों और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की क्षमताओं को खतरे में डाल रहा है।
- यद्यपि वन इन वैश्विक चुनौतियों के प्रकृति समाधान प्रदान करते रहे हैं, लेकिन वे स्वयं कभी भी इतने जोखिम में नहीं रहे हैं।
सुझाव:
- जलवायु और जैव विविधता संकट के साथ-साथ कोविड-19 महामारी से उबरने की राह स्वयं विश्व के जंगलों से जुड़ी हुई है।
- वन और वन-आश्रित लोग इस समाधान का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- सतत् रूप से विकसित और प्रबंधित वन रोज़गार, आपदा जोखिम में कमी करने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं।
- वन जैव विविधता की रक्षा कर सकते हैं और जलवायु शमन तथा अनुकूलन दोनों को आगे बढ़ा सकते हैं।
- जंगलों की सुरक्षा और पुनर्स्थापना पर्यावरणीय कार्यों में से एक है ,जो भविष्य में होने वाली बीमारी के प्रकोप के जोखिम को कम कर सकता है।
- इस रिपोर्ट में भविष्य में कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संकट के खतरे से निपटने हेतु स्थिर, वन प्रधान और समावेशी अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिये आवश्यक कार्यवाही पर ज़ोर दिया गया है।
विश्व वन की स्थिति
- कुल वन क्षेत्र: वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन 2020 (FRA 2020) रिपोर्ट के अनुसार विश्व का कुल वन क्षेत्र 4.06 बिलियन हेक्टेयर है, जो कि कुल भूमि क्षेत्र का तकरीबन 31 प्रतिशत है। ध्यातव्य है कि यह क्षेत्र प्रति व्यक्ति 0.52 हेक्टेयर के समान है।
- फॉरेस्ट कवर में शीर्ष देश- विश्व के 54 प्रतिशत से अधिक वन केवल पाँच देशों (रूस, ब्राज़ील, कनाडा, अमेरिका और चीन) में ही मौजूद हैं।
भारत में वन
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019 के अनुसार देश के भौगोलिक क्षेत्र का कुल वन और वृक्ष कवर 24.56% है।
- भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य: मध्य प्रदेश> अरुणाचल प्रदेश> छत्तीसगढ़> ओडिशा> महाराष्ट्र।
- भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में देश के 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत रखने के लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।
वनों के लिये संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक योजना, 2017-2030
- इस योजना को स्थायी वन प्रबंधन को बढ़ावा देने और सतत् विकास के लिये एजेंडा-2030 (2030 Agenda for Sustainable Development) में वनों और वृक्षों के योगदान को बढ़ाने हेतु बनाया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र फोरम फॉर फॉरेस्ट (UN Forum on Forest) के जनवरी 2017 में आयोजित एक विशेष सत्र में वनों के लिये पहली संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक योजना पर समझौता किया गया था, जो वर्ष 2030 तक वैश्विक वनों पर एक महत्त्वाकांक्षी दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- उद्देश्य और लक्ष्य: इसमें वर्ष 2030 तक प्राप्त होने वाले छः वैश्विक वन लक्ष्यों और 26 संबद्ध लक्ष्यों का एक सेट शामिल है, जो स्वैच्छिक और सार्वभौमिक हैं।
- इसमें वर्ष 2030 तक विश्व भर में वन क्षेत्र को 3% तक बढ़ाने का लक्ष्य शामिल है, अभी तक जिसमें 120 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। यह क्षेत्र फ्राँस के आकार से दोगुना है।
- यह एजेंडा-2030 के लक्ष्य को आगे बढ़ाता है, जिसमें यह माना गया है कि वास्तविक परिवर्तन के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर और बाहर निर्णायक तथा सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है।