माराकेस में संपन्न पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता
चर्चा में क्यों?
अमेरिका के नेतृत्व को लेकर आपत्तियों के बावजूद 164 देशों के बीच लोगों के माइग्रेशन पर पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता संपन्न हुआ।
प्रमुख बिंदु
- संयुक्त राष्ट्र के इस वैश्विक ऐतिहासिक समझौते जोकि सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित माइग्रेशन पर आधारित है, के लिये माराकेस में हस्ताक्षर किये गए।
- इस गैर-बाध्यकारी वैश्विक समझौते का उद्देश्य दुनिया भर में माइग्रेशन पर कार्रवाई हेतु समन्वय स्थापित करना है।
- उल्लेखनीय है कि 18 महीने तक चली बहस और वार्ताओं के बाद 164 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा इस समझौते को अनुमोदित किया गया था।
- एक साल पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया था और तभी से ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, चिली, चेक गणराज्य, इटली, हंगरी, पोलैंड, लातविया, स्लोवाकिया और डोमिनिकन गणराज्य भी इस समझौते से बाहर हो गए थे।
समझौते का उदेश्य
- दरअसल, इस समझौते का मुख्य उद्देश्य राज्यों के सहयोग के लिये एक राजनीतिक मंच उपलब्ध कराना था।
- इस वैश्विक समझौते में कानूनी रूप से प्रवास को स्पष्ट करने और अवैध सीमा पार को हतोत्साहित करने के लिये 23 उद्देश्यों को शामिल किया गया है।
- यह समझौता संबंधित देशों को एक प्रतिक्रियाशील मोड में मार्गदर्शित कर सकता है। यह सहयोग के लिये एक नया मंच प्रदान कर सकता है और लोगों के अधिकारों तथा राज्यों की संप्रभुता के बीच सही संतुलन खोजने में एक संसाधन भी साबित हो सकता है।
- यूनिसेफ ने इस समझौते को बच्चों और राज्यों के लिये समान रूप से ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ बताया।
समझौते की आवश्यकता क्यों?
- दुनिया भर में 250 मिलियन से अधिक प्रवासियों की संख्या है जो दुनिया की पूरी आबादी का 3% है, लेकिन वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन में इनका योगदान केवल 10% है। उल्लेखनीय है कि प्रवासियों द्वारा प्रेषित धन उनके मूल देश विकास में बड़ा योगदान देता है।
प्रवासन हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Oorganistion for Migration)
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो मानवीय व्यवस्थित प्रवास सुनिश्चित करती है तथा प्रवासियों को पुनर्वास अवसरों की खोज में सहायता प्रदान करती है।
- इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
उद्देश्य
- IOM का उद्देश्य प्रवासियों (जिनमें शरणार्थी, विस्थापित तथा गृह प्रदेश से बलात् निष्कासित व्यक्ति शामिल हैं) के संगठित विस्थापन में सहायता देना और आप्रवासी एवं उत्प्रवासी दोनों देशों की ज़रूरतों को पूरा करना तथा प्रवासियों को पुनर्वास सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।