विनियोग विधेयक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने विनियोग विधेयक को मंज़ूरी दी है, इससे केंद्र सरकार भारत की संचित निधि से धनराशि की निकासी कर सकेगी।
प्रमुख बिंदु:
- विनियोग विधेयक सरकार को किसी वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय की पूर्ति के लिये भारत की संचित निधि से धनराशि निकालने की शक्ति देता है।
- संविधान के अनुच्छेद-114 के अनुसार, सरकार संसद से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संचित निधि से धन निकाल सकती है।
- निकाली गई धनराशि का उपयोग वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च को पूरा करने के लिये किया जाता है।
- अनुसरित प्रक्रिया:
- विनियोग विधेयक लोकसभा में बजट प्रस्तावों और अनुदानों की मांगों पर चर्चा के बाद पेश किया जाता है।
- संसदीय वोटिंग में विनियोग विधेयक के पारित न होने से सरकार को इस्तीफा देना होगा तथा आम चुनाव कराना होगा।
- एक बार जब यह लोकसभा द्वारा पारित हो जाता है, तो इसे राज्यसभा में भेज दिया जाता है।
- राज्यसभा की शक्तियाँ:
- राज्यसभा को इस विधेयक में संशोधन की सिफारिश करने की शक्ति प्राप्त है। हालाँकि राज्यसभा की सिफारिशों को स्वीकार करना या अस्वीकार करना लोकसभा का विशेषाधिकार है।
- राज्यसभा की शक्तियाँ:
- राष्ट्रपति से विधेयक को स्वीकृति मिलने के बाद यह विनियोग अधिनियम बन जाता है।
- विनियोग विधेयक की अनूठी विशेषता इसका स्वत: निरसन है, जिससे यह अधिनियम अपने वैधानिक उद्देश्य को पूरा करने के बाद अपने आप निरस्त हो जाता है।
- सरकार विनियोग विधेयक के अधिनियमित होने तक भारत की संचित निधि से धनराशि नहीं निकाल सकती है। हालाँकि इसमें समय लगता है और सरकार को अपनी सामान्य गतिविधियों के संचालन के लिये धन की आवश्यकता होती है। अतः अपने तत्काल व्ययों को पूरा करने के लिये संविधान ने लोकसभा को वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिये अग्रिम रूप से अनुदान प्रदान करने हेतु अधिकृत किया है। इस प्रावधान को 'लेखानुदान' के रूप में जाना जाता है।
- विनियोग विधेयक लोकसभा में बजट प्रस्तावों और अनुदानों की मांगों पर चर्चा के बाद पेश किया जाता है।
लेखानुदान:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 116 के अनुसार, लेखानुदान केंद्र सरकार के लिये अग्रिम अनुदान के रूप में है, इसे भारत की संचित निधि से अल्पकालिक व्यय की आवश्यकता को पूरा करने के लिये प्रदान किया जाता है और आमतौर पर नए वित्तीय वर्ष के कुछ शुरुआती महीनों के लिये जारी किया जाता है।
- आवश्यकता:
- एक चुनावी वर्ष के दौरान सरकार या तो अंतरिम बजट ’या ‘लेखानुदान’ को ही जारी करती है क्योंकि चुनाव के बाद नई सरकार पुरानी सरकार की नीतियों को बदल सकती है।
- संशोधन:
- किसी विनियोग विधेयक की राशि में परिवर्तन करने या अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की राशि में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन, संसद के सदन में प्रख्यापित नहीं किया जा सकता है और ऐसे संशोधन की स्वीकार्यता के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है।
- विनियोग विधेयक बनाम वित्त विधेयक:
- वित्त विधेयक में सरकार के व्यय के वित्तपोषण संबंधी प्रावधान हैं, जबकि एक विनियोग विधेयक में धन निकासी की मात्रा और उद्देश्य को निर्दिष्ट किया गया है।
- विनियोग और वित्त विधेयक दोनों को धन विधेयक के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसे राज्यसभा की स्पष्ट सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। राज्यसभा इस पर केवल चर्चा करके इसे लौटा देती है।
- धन विधेयक:
- एक विधेयक को उस स्थिति में धन विधेयक कहा जाता है यदि इसमें केवल कराधान, सरकार द्वारा धन उधार लेने, भारत की संचित निधि से धनराशि प्राप्त करने से संबंधित प्रावधान हैं।
- वे विधेयक जिनमें केवल ऐसे प्रावधान हैं जो उपर्युक्त मामलों से संबंधित हैं, उन्हें ही धन विधेयक माना जाएगा।
भारत की संचित निधि:
- इसकी स्थापना भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 (1) के तहत की गई थी।
- इसमें समाहित हैं:
- करों के माध्यम से केंद्र को प्राप्त सभी राजस्व (आयकर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और अन्य प्राप्तियाँ) तथा सभी गैर-कर राजस्व।
- सार्वजनिक अधिसूचना, ट्रेज़री बिल (आंतरिक ऋण) और विदेशी सरकारों तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (बाहरी ऋण) के माध्यम से केंद्र द्वारा लिये गए सभी ऋण।
- सभी सरकारी व्यय इसी निधि से पूरे किये जाते हैं (असाधारण मदों को छोड़कर जो लोक लेखा निधि या सार्वजनिक निधि से संबंधित हैं) और संसद के प्राधिकरण के बिना निधि से कोई राशि नहीं निकाली जा सकती।
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) इस निधि का लेखा परीक्षण करते हैं।
संसद में बजट की विभिन्न अवस्थाएँ:
- बजट की प्रस्तुति।
- आम चर्चा।
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच।
- अनुदान की मांगों पर मतदान।
- विनियोग विधेयक पारित करना।
- वित्त विधेयक पारित करना।