सूर्य के वायुमंडल का तापमान
प्रीलिम्स के लिये
स्पीक्यूल्स, कोरोना, फोटोस्फीयर क्या है?
मेन्स के लिये
सौर कोरोना के तापमान वृद्धि में स्पीक्यूल्स की भूमिका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने सूर्य के वायुमंडल का इसकी सतह से अधिक गर्म होने के कारणों का पता लगाया।
मुख्य बिंदु:
- खगोल भौतिकी के विषय में अभी तक यह एक पहेली है कि सूर्य का वायुमंडल इसके सतह से अधिक गर्म क्यों है? वैज्ञानिकों ने इसका हल निकालने का दावा किया है तथा इससे संबंधित शोध के तथ्यों को ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित किया है।
- ध्यातव्य है कि सूर्य के केंद्र (Core) का तापमान लगभग 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस है, जबकि इसकी सतह, जिसे फोटोस्फीयर (Photosphere) कहते हैं, का तापमान मात्र 5,700 डिग्री सेल्सियस है।
- सूर्य के चारों ओर उपस्थित इसका वायुमंडल, जिसे कोरोना (Corona) कहते हैं, का तापमान इसकी सतह से बहुत अधिक है। सूर्य के वायुमंडल का तापमान बढ़कर अधिकतम 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है।
- सामान्य तौर पर जब हम किसी गर्म पिंड से दूर जाते हैं, तब ऊष्मा का कोई अन्य स्रोत न होने की वजह से तापमान लगातार घटता है।
- किंतु सूर्य के मामले में यह ठीक उल्टा है जहाँ सतह से दूर जाने पर तापमान में वृद्धि होती है तथा तापमान में यह वृद्धि सतह से लाखों किलोमीटर दूर तक होती रहती है।
- इसका तात्पर्य है कि सूर्य के वायुमंडल में ऊष्मा का कोई अन्य स्रोत भी मौजूद है।
सौर स्पीक्यूल्स
सौर स्पीक्यूल्स (Solar Spicules):
- सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का इसकी सतह से अधिक गर्म होने का मुख्य कारण स्पीक्यूल्स का होना है।
- यह सूर्य की सतह पर गेसर जैसी संरचना वाले जेट हैं जो कि कोरोना तथा फोटोस्फीयर के मिलने से उत्सर्जित होते हैं।
- ये किसी एक समय में सूर्य की सतह पर लाखों की संख्या में हो सकते हैं तथा पाँच से दस मिनट के अंदर समाप्त हो जाते हैं।
- देखने में ये बाल (Hair) जैसी संरचना प्रतीत होते हैं लेकिन इनकी लंबाई 5,000 किलोमीटर तथा व्यास 500 किलोमीटर तक होता है।
- अभी तक यह अनुमान लगाया जाता था कि ये स्पीक्यूल्स एक नलिका की तरह कार्य करते हैं जिसके द्वारा सूर्य के केंद्र से द्रव्यमान तथा उर्जा, फोटोस्फीयर को पार करते हुए कोरोना तक पहुँच जाती है।
- अध्ययन से पता चला कि स्पीक्यूल्स का निर्माण धन तथा ऋण आवेशित इलेक्ट्रानों के मिलने से बने प्लाज़्मा से होता है तथा ऊपर की तरफ बढ़ते हुए इनके तापमान में वृद्धि होती है।
- वैज्ञानिकों की टीम ने इसका अध्ययन करने के लिये अमेरिका स्थित 1.6 मीटर गूड सोलर टेलीस्कोप (1.6 meter Goode Solar Telescope) का प्रयोग किया जो विश्व का सबसे बड़ा सौर टेलीस्कोप है।
- इसके अलावा नासा (NASA) का सोलर डायनामिक ऑब्ज़र्वेटरी एयरक्राफ्ट (Solar Dynamic Observatory Aircraft) का प्रयोग किया गया।