स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2
प्रीलिम्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 मेन्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य और लक्ष्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [Swachh Bharat Mission-Grameen] के दूसरे चरण को वर्ष 2024-25 तक के लिये मंज़ूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु:
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की अवधि के लिये 1,40,881 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ एक मिशन के रूप में कार्यान्वित किया जाएगा।
- केंद्र सरकार द्वारा यह वित्तपोषण विभिन्न विभागों के आपसी तालमेल के माध्यम से किया जाएगा।
कैसे होगा वित्तपोषण?
- इस कार्यक्रम के लिये सरकार द्वारा आवंटित 1,40,881 करोड़ रुपए में से 52,497 करोड़ रुपए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बजट में से आवंटित किये जाएंगे।
- शेष धनराशि को 15वें वित्त आयोग को जारी फंड के माध्यम से तथा मनरेगा और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (Solid and Liquid Waste Management- SLWM) के राजस्व सृजन मॉडलों के तहत जारी किये जाने वाले फंड से जुटाया जाएगा।
कार्यक्रम का क्रियान्वयन:
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत ओडीएफ प्लस पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखा जाएगा तथा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की निगरानी निम्नलिखित चार संकेतकों के आधार पर की जाएगी-
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन
- जैव अपघटित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (जिसमें पशु अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है)
- धूसर जल प्रबंधन
- मलयुक्त कीचड़ प्रबंधन
- इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये मौजूदा मानदंडों के अनुसार नए पात्र परिवारों को 12,000 रुपए की राशि प्रदान करने का प्रावधान जारी रहेगा।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन हेतु वित्तपोषण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है और घरों की संख्या संबंधी प्रावधान को प्रति व्यक्ति आय से बदल दिया गया है।
- ग्राम पंचायतों की ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण के लिये वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 2 लाख से 3 लाख रुपए कर दिया गया है।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत बुनियादी ढाँचों जैसे कि खाद के गड्ढे, सोखने वाले गड्ढे, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, शोधन संयंत्र आदि का भी निर्माण किया जाएगा।
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के इस चरण में घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से रोज़गार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करना जारी रहेगा।
कार्यान्वयन में केंद्र और राज्यों का हिस्सा:
- इस कार्यक्रम का परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा केंद्र के साथ संयुक्त रूप से किया जाएगा।
- केंद्र और राज्यों के बीच सभी घटकों के लिये फंड शेयरिंग का अनुपात पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 60:40 और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100:0 होगा।
मिशन का उद्देश्य तथा पृष्ठभूमि:
- भारत में 2 अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
- इस मिशन के अंतर्गत 10 करोड़ से ज़्यादा व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया जिसके परिमाणस्वरूप सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने स्वयं को 2 अक्तूबर 2019 को ओडीएफ घोषित कर दिया।
- पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने सभी राज्यों को यह सलाह दी है कि वे इस बात की पुनः पुष्टि कर लें कि ऐसा कोई ग्रामीण घर न हो, जो शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहा हो और यह सुनिश्चित करने के दौरान अगर ऐसे किसी घर की पहचान होती हो तो उसको व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण के लिये ज़रूरी सहायता प्रदान की जाए ताकि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कोई भी घर न छूटे।
आगे की राह:
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-2 के लिये मंत्रिमंडल का अनुमोदन प्राप्त होने से ग्रामीण भारत को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती का प्रभावी रूप से सामना करने और देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायता मिलेगी।