डायरिया रोको अभियान
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग 1 जुलाई, 2024 को ‘डायरिया रोको’ अभियान शुरू करने जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्षा ऋतु में दूषित जल के जमा होने से वायरल, बैक्टीरियल और परजीवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- ऐसी स्थिति में बच्चों को डायरिया हो सकता है जिससे निर्जलीकरण (Dehydration) की समस्या बढ़ जाती है। यह बीमारी संदूषित भोजन और जल के माध्यम से फैलती है।
- आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर डायरिया से पीड़ित बच्चों के परिवारों को ORS घोल बनाने की विधि सिखाएंगी
- वे ORS और ज़िंक के उपयोग के लाभों के साथ-साथ साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में भी जानकारी देंगे।
- शहरी मलिन बस्तियों, दूर-दराज़ के क्षेत्रों, खानाबदोशों, निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों के परिवारों और ईंट भट्टों पर रहने वाले परिवारों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
डायरिया रोग
- डायरिया को प्रतिदिन तीन या अधिक बार पतला या तरल मल त्यागने (या किसी व्यक्ति के लिये सामान्य से अधिक बार मल त्यागने) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- डायरिया से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण (Dehydration) है।
- डायरिया के दौरान, जल और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट) तरल मल, उल्टी, पसीने, मूत्र तथा श्वास के माध्यम से नष्ट हो जाते हैं।
- जब इन क्षतियों की पूर्ति नहीं की जाती तो निर्जलीकरण हो जाता है।