शेयर बाज़ार विनियमन

प्रिलिम्स के लिये:

यर बाज़ार विनियमन, सर्वोच्च न्यायालय, सेबी, SCRA, फ्री-मार्केट इकॉनमी, BSE, NSE

मेन्स के लिये:

शेयर बाज़ार विनियमन और धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निवेशकों को शेयर बाज़ार की अस्थिरता से बचाने हेतु भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) तथा सरकार मौजूदा नियामक ढाँचे का निर्माण करें।

शेयर बाज़ार:

  • परिचय: 
    • शेयर बाज़ार सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों में इक्विटी शेयरों के व्यापार हेतु खरीदारों और विक्रेताओं को एक साथ लाते हैं।
    • शेयर बाज़ार एक मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था के घटक हैं क्योंकि वे निवेशक व्यापार और पूंजी के आदान-प्रदान हेतु लोकतांत्रिक पहुँच को सक्षम करते हैं।
      • मुक्त-बाज़ार अर्थव्यवस्था एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें सरकारी विनियमन के हस्तक्षेप के बिना आपूर्ति तथा मांग द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
    • भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज हैं- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange- BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange- NSE)।
    • SEBI भारत में प्रतिभूति बाज़ार का नियामक है। वह कानूनी ढाँचा निर्धारित करता है और बाज़ार संचालन में रुचि रखने वाली सभी संस्थाओं को विनियमित करता है।
      • प्रतिभूति संविदा विनियमन अधिनियम (Securities Contracts Regulation Act- SCRA) ने SEBI को भारत में स्टॉक एक्सचेंजों और फिर कमोडिटी एक्सचेंजों को मान्यता देने तथा विनियमित करने का अधिकार प्रदान किया है; यह कार्य पहले केंद्र सरकार द्वारा किया जाता था।
  • नियमन के लिये कानून: 
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (SEBI अधिनियम): 
      • यह अधिनियम SEBI को निवेशकों के हितों की रक्षा करने और इसे विनियमित करने के अलावा पूंजी/प्रतिभूति बाज़ार के विकास को प्रोत्साहित करने का अधिकार देता है।
      • यह SEBI के कार्यों और शक्तियों का निर्धारण करता है और इसकी संरचना तथा प्रबंधन सुनिश्चित करता है।
    • प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (SCRA)
      • यह कानून भारत में प्रतिभूति अनुबंधों के नियमन के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
      • इसमें प्रतिभूतियों की लिस्टिंग और ट्रेडिंग, स्टॉक ब्रोकर्स एवं सब-ब्रोकर्स का पंजीकरण तथा विनियमन एवं इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक शामिल है।
    • कंपनी अधिनियम, 2013: 
      • यह कानून भारत में कंपनियों के निगमन, प्रबंधन और शासन को नियंत्रित करता है।
      • यह कंपनियों द्वारा जारी किये जाने वाले प्रतिभूतियों और अन्य प्रतिभूतियों के हस्तांतरण के लिये नियम भी निर्धारित करता है।
    • डिपॉज़िटरी अधिनियम, 1996: 
      • यह कानून भारत में डिपॉज़िटरी के नियमन और पर्यवेक्षण का प्रावधान करता है। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में धारित प्रतिभूतियों के अभौतिकीकरण तथा हस्तांतरण के लिये प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।
    • इनसाइडर ट्रेडिंग विनियमन, 2015: 
      • ये नियम भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में इनसाइडर ट्रेडिंग को प्रतिबंधित करते हैं। इस कार्य में शामिल लोगों के लिये आचार संहिता, खुलासे और उल्लंघन के लिये दंड निर्धारित करते हैं।

बाज़ार की अस्थिरता पर अंकुश लगाने में SEBI की भूमिका:

  • SEBI बाज़ार की अस्थिरता को रोकने के लिये हस्तक्षेप नहीं करता है, अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिये एक्सचेंजों में दो सर्किट फिल्टर होते हैं- पहला ऊपरी या अपर सर्किट और दूसरा निचला या लोअर सर्किट।
  • लेकिन सेबी उन लोगों को निर्देश जारी कर सकता है जो बाज़ार से जुड़े हैं और स्टॉक एक्सचेंजों पर व्यापार एवं निपटान (Settlement) को विनियमित करने की शक्ति रखते हैं।
  • इन शक्तियों का उपयोग करते हुए SEBI स्टॉक एक्सचेंजों को पूरी तरह से या चुनिंदा रूप से व्यापार रोकने का निर्देश दे सकता है। 
  • यह संस्थाओं या व्यक्तियों को प्रतिभूतियों को खरीदने, बेचने या व्यवहार करने, बाज़ार से धन जुटाने और बिचौलियों या सूचीबद्ध कंपनियों से जुड़ने पर भी रोक लगा सकता है।

धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षात्मक उपाय: 

  • दो प्रमुख प्रकार की धोखाधड़ी- बाज़ार हेर-फेर तथा इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिये सेबी ने वर्ष 1995 में धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध विनियम एवं वर्ष 1992 में इनसाइडर ट्रेडिंग विनियमों का निषेध जारी किया।
    • ये नियम अंदरूनी सूत्रों से प्राप्त जानकारी को धोखाधड़ी के रूप में  परिभाषित करते हैं और इस तरह की धोखाधड़ी की गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है, साथ ही गलत माध्यम से अर्जित लाभों पर दंड जैसे प्रावधान भी हैं।
    • इन नियमों का उल्लंघन विधेय अपराध हैं जिसे धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के उल्लंघन के रूप में माना जा सकता है।
  • SEBI ने शेयरों के पर्याप्त अधिग्रहण और अधिग्रहण विनियमों को अधिसूचित किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिग्रहण एवं प्रबंधन में परिवर्तन केवल सार्वजनिक शेयरधारकों को कंपनी से बाहर निकलने का अवसर देने के बाद ही किया जाए, यदि वे चाहते हैं।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किया जाता है जो खुद को सीधे पंजीकृत किये बिना भारतीय शेयर बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं? (2019) 

(a) जमा प्रमाणपत्र
(b) वाणिज्यिक पत्र
(c) वचन पत्र
(d) पार्टिसिपेटरी नोट

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू