भारत में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन (All India Council for Robotics and Automation- AICRA) ने एक नई पहल 'टेक स्टार्टअप प्रोग्राम' (Tech Startup Program) शुरू करने की घोषणा की है। यह भारत में रोबोटिक्स एवं रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) पर कार्यरत स्टार्टअप्स (Startups) एवं अन्य आरंभिक चरण के अडॉप्टर (Adopters) निकायों के लिये संपोषक वातावरण के रूप में कार्य करेगा।
- RPA एक प्रौद्योगिकी क्षमता है जिसके द्वारा उद्यमों में परिचालन को सुव्यवस्थित किया जाता है। यह उपयोगकर्त्ताओं को अपने नीरस और दुरूह प्रक्रियाओं को स्वचालित करने की अनुमति भी देता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को उच्च मूल्यवर्द्धक कार्यों के माध्यम से अपनी उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है।
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन
- यह गैर-लाभकारी (नॉट-फॉर-प्रॉफिट) संस्था है जिसकी स्थापना 2014 में की गई।
- यह रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन और शिक्षा उद्योग में मानक निर्धारित करता है, संगठनों और पेशेवरों को कठिन तकनीकी समस्याओं के समाधान में मदद करता है, जबकि साथ ही उनके नेतृत्व और व्यक्तिगत कैरियर क्षमताओं में वृद्धि लाता है।
- यह विभिन्न गतिविधियों में संलग्न है और इसने भारत में रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और उसके निर्माण के लिये कई कार्यक्रम शुरू किये हैं।
‘टेक स्टार्टअप प्रोग्राम’ के प्रमुख बिंदु
- हाल ही में Technoxian 2019 में अपने एक B2C (बिज़नेस-टू-कंज़्यूमर) आयोजन में AICRA ने ‘टेक स्टार्टअप प्रोग्राम’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सभी नई कंपनियों और तकनीकी नवाचारों के लिये इच्छुक नए लोगों को सहयोग व लाभ देना है।
- टेक स्टार्टअप प्रोग्राम स्टार्टअप के लिये निम्नलिखित बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सहायता प्रदान करता है-
- प्रशासनिक सहयोग: इसके अंतर्गत एक प्रणाली का निर्माण किया गया है जिसमें विभिन्न ऊर्ध्वाधर स्तरों पर कॉर्पोरेट सदस्य, शिक्षाविद सदस्य, B2C सदस्य जैसे बहुत से सदस्य शामिल हैं जो स्टार्टअप को प्रत्यक्ष लक्ष्य समूह से जुड़ने में सक्षम बनाता है।
- वित्तीय सहयोग: इसके अंतर्गत बहुत से Venture Capitalists के साथ साझेदारी की है ताकि वित्त-संचयन (Fund Raising) में स्टार्टअप कंपनियों को मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त AICRA और कंपनियों के बीच विभिन्न स्तरों पर तालमेल बनाया जा सकता है, जैसे- AICRA किसी कंपनी का शेयरधारक हो सकता है या उसे ऋण दे सकता है और इस प्रकार विभिन्न विकल्पों के मार्ग खुलते हैं।
- प्रौद्योगिकीय सहयोग: यह क्षेत्र विशेषज्ञों और उद्योग क्षेत्र की भागीदार कंपनियों (जो सभी प्रकार के प्रौद्योगिकीय एवं अवसंरचनात्मक ज्ञान और सहायता प्रदान करेंगे) की मदद से स्टार्टअप्स को प्रौद्योगिकीय मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
- यह वित्त-संचयन से पूर्व के कई विषयों में नवोन्मेषकों की सहायता करता है, जैसे-
- गलत धारणाओं को दूर करना और नए उद्यमियों को उनके नवाचार के विचार को साकार करने में मदद देना।
- नए विचारों की क्षमता की पहचान करना।
- प्रौद्योगिकीय, प्रलेखन या नियामक आवश्यकताओं की जाँच करना और समाधान ढूँढ़ना।
- उपयोगिता और वाणिज्यीकरण के विचार को साकार करना।
Technoxian
- यह AICRA द्वारा आयोजित किया जाने वाला एक Edutech Expo है।
- यह नवाचार, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन एवं कई अन्य आकर्षक चुनौतियाँ आधारित इंजीनियरिंग प्रतिस्पर्द्धाओं से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने का वैश्विक अवसर प्रदान करता है।
रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) और पारंपरिक ऑटोमेशन में अंतर
- प्रोग्राम्ड मशीनरी बदलते परिवेश के प्रति अनुक्रिया या अनुकूलन प्रदर्शित किये बिना अपरिवर्तित तरीके से कार्य को निष्पादित करती है।
- दूसरी ओर RPA बदलते परिवेश के प्रति अनुकूलन दर्शाता है और अत्यंत कार्य कुशल है; यह उत्पादकता में वृद्धि करता है और इसके साथ कार्य करना सुरक्षित है।
RPA प्रौद्योगिकी
- यह अभी तक कोई परिभाषित प्रणाली नहीं है और इसकी प्रकृति विकसित हो रही है।
- आर्टिफिशियल लर्निंग, डीप लर्निंग और बेहतर ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे नए और उभरते विचारों को प्रगति के कुछ वर्षों बाद इसमें जोड़ा जा सकता है ताकि कार्य निष्पादन और बेहतर ढंग से हो सके।
RPA: लोगों की सहायता या उनके रोज़गार अवसर समाप्त करने के लिये
- नई प्रौद्योगिकियों का प्रवेश और ऑटोमेशन लोगों के लिये नए अवसरों और रोज़गारों का सृजन करता है, न कि रोज़गार की हानि करता है।
- नवाचार समय की आवश्यकता है और यह उत्पादकता में सुधार लाने में मदद करता है, प्रक्रिया को अनुकूलित करता है और सुरक्षित कार्य निष्पादन में भी सहायता करता है।
- रोबोटिक्स और ऑटोमेशन प्रौद्योगिकी की समझ में विविधता लाते हैं, प्रक्रिया आवश्यकताओं में समग्र सुधार के संबंध में एक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- यह बुनियादी ज्ञान के बजाय तकनीकी रूप से उन्नत ज्ञान प्रदान करता है और उसमें वृद्धि करता है।
RPA शिक्षा प्रणाली को कैसे सुव्यवस्थित करेगा?
- यह छात्रों को प्रौद्योगिकी को समझने और फिर उसकी सहायता से शिक्षा प्राप्त करने में सहायक होगा।
- AICRA महाविद्यालयों, विशेष रूप से इंजीनियरी महाविद्यालयों से संबद्ध हो रहा है, एवं छात्रों के लिये प्रयोगशालाएँ बना रहा है जहाँ वे नई प्रौद्योगिकी सीख सकते हैं और कोई उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा का नवाचार कर सकते हैं ताकि कंपनियाँ ऑटोमेशन शुरू करने के बाद प्रशिक्षण के समय और प्रयासों की बचत कर सकें।
- कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पहले से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग एवं डीप साइंस आदि की शिक्षा प्रदान करना शुरू कर दिया है।
- AICRA ने ग्लोबल इनोवेशन सेंटर (GIC) नाम से एक और विकल्प पर अमल शुरू किया है जिसके तहत भारत में पाँच इनोवेशन सेंटर या नवाचार केंद्र स्थापित किये जाएँगे। ऐसा पहला केंद्र बंगलुरूमें स्थापित किया गया है।
- GIC के अंतर्गत महाविद्यालय या विश्वविद्यालय परिसर के अंदर पूर्णरूपेण कार्यरत प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी जिससे छात्रों और शिक्षकों के चयनित समूह नवाचार और नए उत्पादों के निर्माण के लिये साथ मिलकर काम करेंगे। बाद में ऐसे उत्पादों का व्यवसायीकरण भी किया जा सकता है।
- शिक्षाविदों और उद्योगों में तालमेल बनाने के लिये तथा बाज़ार अंतराल को भरने के लिये एक ही मंच पर आना होगा।
वैश्विक नवाचार केंद्र
(Global Innovation Centre- GIC)
- भारतीय वेंचर डेवलपर एवं एग्रीगेटर कंपनी DTF Ventures ने AICRA के साथ भागीदारी की है जहाँ दोनों संयुक्त रूप से भारत में ‘प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार केंद्र’ (Technology Based Innovation Center) के निर्माण, उसके प्रोत्साहन और उसके संवर्द्धन के लिये कार्य करेंगे।
- इस नवाचार केंद्र में इनोवेशन लैब, इनक्यूबेशन सेंटर और एक्सलेरेटर (Accelerator) शामिल होंगे तथा देश के छात्रों एवं उद्यमियों के लिये नैतिक व्यापार प्रबंधन प्रथाओं पर विशेष जोर देने के साथ समावेशी विकास व उद्यमशीलता उत्कृष्टता के लिये एक प्रवर्तक के रूप में नवाचार का उपयोग किया जाएगा।
भारत में RPA के विकास की क्या संभावनाएँ हैं?
- भारत ने अभी RPA को अपनाना शुरू ही किया है। कुछ विनिर्माण उद्योग, मोटर वाहन उद्योग और दवा कंपनियों ने ऑटोमेशन को अपनाया है।
- बाज़ार की आवश्यकता की पूर्ति के लिये कंपनियों को उनके विनिर्माण स्थलों पर उच्च गतिमान और अनुकूलित प्रक्रियाओं की आवश्यकता है।
- RPA विनिर्माण इकाइयों के श्रमबल में कटौती किये बिना उनकी उत्पादकता को लगभग 30-40% तक बढ़ाने में मदद करता है। श्रमिक यहाँ स्वचालित प्रक्रियाओं के साथ काम करने के लिये प्रशिक्षित होते हैं।
- ऑटोमेशन की सहायता से भारत में फास्ट इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग सिस्टम का विकास किया जा रहा है। अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सिस्टम बहुत धीमी गति से काम करते हैं और दो-पहिया व तीन-पहिया वाहनों तक ही सीमित हैं जिस कारन फ़िलहाल इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग कम है।
उदाहरण:
- टाटा और महिंद्रा ने फास्ट चार्जिंग फोर व्हीलर पेश किये हैं लेकिन उन्हें भी चार्ज करने में 3-4 घंटे का समय लगता है। इसे ग्राहकों के लिये आकर्षक और उपयोगी बनाने हेतु चार्जिंग समय को 30-40 मिनट तक कम करना होगा।
- संपूर्ण चार्जिंग सिस्टम को स्वचालित कर दिया गया है। भारतीय तकनीशियनों ने बैटरी के लिये पेटेंटेड सुपर कूलिंग सिस्टम (Patented Super Cooling System) पेश किया है जो बैटरी की कूलिंग और तापमान को महसूस कर लेगा और चार्जिंग की अवधि तथा चार्जिंग करेंट को निर्देशित करेगा। पूरी प्रक्रिया को 60-65 मिनट के पूर्ण चार्जिंग समय के साथ स्वचालित किया गया है। एक प्रोटोटाइप का परीक्षण किया जा रहा है और परीक्षण अवधि के बाद जब यह प्रमाणीकृत कर दिया जाएगा, तब इसका वाणिज्यीकरण किया जाएगा।
वित्तपोषण के स्रोत
- हाल ही में भारत के वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) निधियों का उपयोग इन्क्यूबेशन केंद्रों और वैश्विक नवाचार केंद्रों (GIC) की स्थापना के लिये किया जा सकता है।
- AICRA के पास एक अलग मॉडल है जिसमें वह उन बड़ी कंपनियों के साथ भागीदारी करता है जिनके पास विशाल और अप्रयुक्त स्टॉक उपलब्ध है। भारतीय संस्थान ऐसी कंपनियों से लक्षित उत्पाद खरीद सकते हैं और धन का भुगतान प्रत्यक्ष रूप से करने के बजाय EMIs (उत्पाद आधारित वित्तपोषण) में भुगतान कर सकते हैं।
- इस प्रकार कम लागत वाले मॉडल में CSR निधि और संसाधन-संपन्न कंपनियों के प्रति सहयोगात्मक दृष्टिकोण की सहायता से वैश्विक नवाचार केंद्र एवं ऐसे अन्य विचारों पर कार्य किया जा सकता है।
RPA के साथ चुनौतियाँ
- जागरूकता की कमी: भारत में लोग RPA से अधिक अवगत नहीं हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एवं मशीन लर्निंग (ML) शब्द का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है और जहाँ इनका उपयोग हो भी रहा वहाँ न्यूनतम ज्ञान के साथ अभी आरंभिक चरण ही प्रयोग में है।
- विशेषज्ञों की कमी: प्रौद्योगिकी संस्थानों में उन विशेषज्ञों की कमी है जो प्रौद्योगिकी पर ज्ञान का वितरण कर सकते हैं।
- संस्थागत प्रयासों में कमी: शिक्षा प्रणाली में RPA प्रौद्योगिकी शामिल नहीं हुई है और यहाँ तक कि प्राध्यापक और शिक्षक भी इन प्रणालियों से अधिक अवगत नहीं हैं।
- AICRA ने हाल ही में अग्रणी कंपनी UiPath के साथ करार किया है ताकि भारतीय शिक्षाविदों को पाठ्य सामग्री के निर्माण हेतु प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के तरीकों की तलाश की जा सके और फिर यह सामग्री छात्रों तक वितरित हो ताकि वे RPA क्षेत्र में भविष्य के रोजगारों के लिये तैयार हो सकें।
- रोज़गार कम होने का भय: उद्योगों की विनिर्माण प्रक्रिया में परिवर्तन हमेशा कर्मचारियों के भारी प्रतिरोध का सामना करता है क्योंकि उन्हें भय होता है कि वे रोज़गार से बाहर कर दिये जाएंगे और ऐसा ऐसा कई बार होता भी है।
समाधान
- RPA लागू होने से पहले कंपनियों के प्रौद्योगिकी दलों और अन्य कर्मचारियों को शिक्षित करने के लिये आंतरिक शैक्षणिक कार्यक्रम लागू होना चाहिये।
- कर्मचारियों को विनिर्माण चक्र में उनकी बेहतरी और सुधार के लिये RPA के महत्त्व के बारे में जागरूक करना चाहिये और उन्हें प्रौद्योगिकी से संबंध सहज बनाने की भी आवश्यकता है।
- लोगों की सहायता से ऑटोमेशन के निर्माण की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करके RPA का उपयोग किया जा सकता है। एक बार इसे किसी प्रणाली में लागू करने के बाद अन्य प्रणालियों के व्याप्त अंतराल को भविष्य की आवश्यकताओं के लिये भरा जा सकता है।
- RPA केवल एक विशेष उद्योग तक सीमित नहीं होगा बल्कि इसका उपयोग सभी उद्योगों में किया जा सकता है।
आगे का रास्ता
- विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में दक्षता, उत्पादकता और अनुकूलन को बढ़ावा देने के लिये ऑटोमेशन वर्तमान समय की आवश्यकता है।
- एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना होगा जो ज्ञान और सूचना, वित्तपोषण तथा एक समर्पित टीम के तकनीकी और कानूनी सहायता से समर्थित हो, जो सभी पहलुओं को अपने दायरे में लेता हो, तभी उद्यमशीलता की भावना और स्टार्टअप को आगे के लिये और प्रेरणा प्राप्त होगी।
- चूँकि भारत पहले से ही तकनीकी क्षेत्र में कुछ प्रगति कर रहा है और कई अंतर्राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश और उसके साथ सहयोग की इच्छुक हैं, यह भारत के लिये एक बड़ा अवसर है जिसका तत्परता से लाभ उठाना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये।