रिज़र्व बैंक ने ECB नियमों को शिथिल किया
चर्चा में क्यों?
बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing-ECB) के तंत्र को अधिक उदार बनाने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने कार्यशील पूँजी की आवश्यकता, सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों तथा ऋणों के पुनर्भुगतान आदि के लिये ECB से संबंधित नियमों को और अधिक शिथिल कर दिया है।
प्रमुख बिंदु :
- इसका उद्देश्य कॉर्पोरेट सेक्टर, मुख्यतः गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों को सस्ते और लंबी अवधि के ऋण दिलवाना है।
- RBI ने वाजिब उधारकर्त्ताओं को भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं और विदेशी सहायक कंपनियों को छोड़कर अन्य मान्यता प्राप्त उधारदाताओं से 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि के साथ ECB जुटाने की अनुमति दी है।
- 10 वर्षों की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि वाले ECB का प्रयोग कार्यशील पूंजीगत उद्देश्यों और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिये आगे ऋण देने (On-Lending) के उद्देश्य से भी उधार लेने की अनुमति मिल गई है।
- पूंजीगत व्यय के अलावा अन्य प्रयोजनों के लिये लिया गया ECB न्यूनतम 10 वर्षों की औसत परिपक्वता अवधि के लिये लिया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त पूंजीगत व्यय के लिये लिया गया ECB न्यूनतम 7 वर्षों की औसत परिपक्वता अवधि के लिये लिया जा सकता है।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आगे ऋण देने हेतु लिये गए उधार का भुगतान रुपए में करने की अनुमति भी दी गई है।
बाह्य वाणिज्यिक उधार
- यह किसी अनिवासी ऋणदाता से भारतीय इकाई द्वारा लिया गया ऋण होता है।
- इनमें से अधिकतर ऋण विदेशी वाणिज्यिक बैंक खरीदारों के क्रेडिट, आपूर्तिकर्त्ताओं के क्रेडिट, फ्लोटिंग रेट नोट्स और फिक्स्ड रेट बॉण्ड इत्यादि जैसे सुरक्षित माध्यमों (Instruments) द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
ECB के लाभ
- यह बड़ी मात्रा में धन उधार लेने का अवसर प्रदान करता है।
- इससे प्राप्त धन अपेक्षाकृत लंबी अवधि के लिये होता है।
- घरेलू धन की तुलना में ब्याज दर भी कम होती है।
- यह विदेशी मुद्राओं के रूप में होता है। इसलिये यह मशीनरी के आयात को पूरा करने के लिये कॉर्पोरेट्स को विदेशी मुद्रा रखने में सक्षम बनाता है।