राज्यों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति : रिज़र्व बैंक ने जताई चिंता
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक ने राज्यों की आर्थिक स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। वेतन तथा पेंशन के बढ़ते बोझ, आय के स्रोतों में कमी तथा इन सबके साथ किसानों की कर्ज़ माफी और वस्तु एवं सेवा कर (GST) आदि सभी तथ्यों को जोड़ते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी राज्यों की आर्थिक स्थिति के बारे में जो तस्वीर पेश की है, वह बहुत ही आकर्षक नहीं कही जा सकती। इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड सहित कई पूर्वोत्तर राज्य आने वाले दिनों में राजकोषीय संतुलन की केंद्र की कोशिशों पर भी पानी फेर सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
- हर साल सभी राज्यों के बजटीय प्रपत्रों का आकलन करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।
- RBI की इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017-18 में राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद (SGDP) की तुलना में उनका राजकोषीय घाटा 2.7 प्रतिशत के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 3.1 प्रतिशत रहा है।
- पिछले वित्त वर्ष के दौरान राज्यों द्वारा किसानों की माफ़ की गई राशि उनके कुल GDP का 0.32 प्रतिशत रही है, जबकि पहले, इसके 0.27 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
- जैसे कि वर्ष 2011-12 के बाद से राजकोषीय संतुलन की जिन कोशिशों का असर राज्यों के बजट पर दिखाई देने लगा था, वे पिछले तीन वित्त वर्षों से अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं।
- पिछले तीन वर्षों से लगातार राज्य समग्र तौर पर राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने में असफल रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में क्या होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि कई राज्यों में किसानों के कर्ज़ की माफी का फैसला किया जा रहा है।
- पिछले वित्त वर्ष के अंत में उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने इस प्रकार की घोषणाएँ की थीं। इन सभी का असर वर्ष 2018-19 के वित्त वर्ष के बजट पर पड़ रहा है।
- इस वर्ष भी कम-से-कम दस राज्यों में चुनाव होने हैं। इन सभी राज्यों पर इसका असर होगा।
कर्ज़ माफ़ी पर रिज़र्व बैंक ने उठाए सवाल
- राज्य सरकारों द्वारा किसानों के क़र्ज़ की माफ़ी पर सवाल उठाते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा है कि अभी तक कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं मिला है कि क़र्ज़ माफ़ी के कारण कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई हो।
- रिज़र्व बैंक के अनुसार, कर्ज़ माफ़ी से महँगाई बढ़ने का भी खतरा रहता है।
- यह भी देखा गया है कि जिन राज्यों में किसानों के कर्ज को माफ कर दिया गया है, उनके पूंजीगत राजस्व में कमी आई है जिसके कारण राज्यों की विकास दर कम हुई है।
- सरकारों द्वारा कर्ज़ माफ़ी मिलने से कर्ज़ लेने वाले लोगों में यह संदेश जाता है कि यदि वे कर्ज़ की अदायगी नहीं भी करेंगे तो भविष्य में उनका कर्ज़ माफ़ हो सकता है और इसका असर बैंकों की सामान्य गतिविधियों पर पड़ता है।
आगे की राह
- इस वर्ष वस्तु एवं सेवा कर (GST) में स्थिरता आने के कारण राज्यों का राजस्व संग्रह बढ़ने की संभावना है।
- सरकार द्वारा प्रत्यक्ष कर आधार को बढ़ाने का प्रयास किया गया है सरकार के इस कदम से भी कर संग्रह बढ़ेगा जिसमें राज्यों को ज़्यादा हिस्सा मिलने की भी संभावना है।
- इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ने राज्यों से कहा है कि वे राजस्व बढ़ाने के नए संसाधनों पर अधिक ध्यान दें और खर्चों को लेकर ज़्यादा सतर्क रहें।