प्रिलिम्स फैक्ट्स : 20 मार्च, 2021
अनंगपाल द्वितीय : तोमर राजवंश
Anangpal II: Tomar Dynasty
हाल ही में एक सेमिनार के दौरान तोमर वंश के राजा अनंगपाल द्वितीय की विरासत पर प्रकाश डाला गया।
अनंगपाल द्वितीय के विषय में:
- अनंगपाल द्वितीय तोमर राजवंश से संबंधित थे। इन्हें अनंगपाल तोमर के रूप में में भी जाना जाता है।
- उन्होंने ढिल्लिका पुरी की स्थापना की थी जिसे आगे चलकर दिल्ली के रूप में जाना गया।
- कुतुब मीनार के निकट स्थित मस्जिद कुव्वतुल इस्लाम के लौह स्तंभ पर दिल्ली के प्रारंभिक इतिहास के बारे में साक्ष्य अंकित हैं।
- विभिन्न शिलालेखों और सिक्कों से यह पता चलता है कि अनंगपाल तोमर 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच वर्तमान दिल्ली और हरियाणा के शासक थे।
- उन्होंने शहर का निर्माण खंडहरों से किया तथा उनकी निगरानी में ही अनंग ताल बावली और लाल कोट का निर्माण किया गया।
- अनंगपाल द्वितीय के बाद उनका पोता पृथ्वीराज चौहान शासक बना।
- 1192 में तराइन (वर्तमान हरियाणा) के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद गोरी की सेना द्वारा दिल्ली सल्तनत की स्थापना की गई।
तोमर राजवंश के विषय में:
- तोमर वंश उत्तरी भारत के प्रारंभिक मध्य युग के लघु शासक वंशों में से एक है। चारण परंपरा (Bardic Tradition) के अनुसार, यह वंश 36 राजपूत वर्गों में से एक था।
- इस वंश का उल्लेख अनंगपाल (जिसने 11वीं शताब्दी में दिल्ली की स्थापना की) के शासन और 1164 में चौहान (चाहमान) साम्राज्य में दिल्ली के विलय तक की अवधि के बीच मिलता है।
- हालाँकि बाद में दिल्ली निर्णायक रूप से चौहान साम्राज्य का एक हिस्सा बन गई लेकिन प्राचीन सिक्कों के अध्ययन एवं साहित्यिक साक्ष्य यह इंगित करते हैं कि तोंगपाल और मदनपाल जैसे राजाओं ने संभवतः 1192-93 में मुसलमानों द्वारा दिल्ली पर अंतिम विजय प्राप्त करने तक सामंतों के रूप में शासन जारी रखा।