प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 दिसंबर, 2018
काली गर्दन वाले सारस (Black-necked Crane)
- काली गर्दन वाले सारस जिन्हें 'ट्रंग-ट्रंग कारमो' (Trung-Trung Karmo) के नाम से भी जाना जाता है, हर साल सर्दियों के मौसम में तिब्बत और चीन के शिंजियांग (Xinjiang) प्रांत से भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवास करते हैं।
पश्चिम कामेंग (West Kameng) ज़िले में सांगती घाटी (Sangti Valley) और अरुणाचल प्रदेश में ज़ेमिथांग (Zemithang) ऐसे स्थान हैं जहाँ शीतकाल के दौरान ये पक्षी प्रवास करते हैं। काली गर्दन वाले सारस लद्दाख और भूटान में भी पाए जाते हैं। - पक्षियों को दलाई लामा के एक अवतार (Tsangyang Gyatso) के रूप में मोनपास (अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख संस्कृति वाला बौद्ध समूह) के समुदाय द्वारा परम पूज्यनीय माना जाता है, लेकिन आस-पास की जलविद्युत परियोजना के विकास के कारण यह पक्षी संकट की स्थित में है।
- यह पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (पक्षियों और वन्यजीवन को दी गई उच्चतम कानूनी सुरक्षा) की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित है।
- इसे प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची के अंतर्गत 'सुभेद्य' (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
वानूआतू में ड्रोन से वैक्सीन की प्रथम डिलीवरी
(World’s First Drone-delivered Vaccine in Vanuatu)
- वानूआतू (Vanuatu) में दुनिया के प्रथम वाणिज्यिक ड्रोन द्वारा डिलीवर किये गए वैक्सीन का उपयोग करके महज एक महीने के बच्चे का टीकाकरण किया गया है।
- अब यह उम्मीद की जा रही है कि यह तरीका अन्य दूरदराज के इलाकों में भी जीवनदायी साबित हो सकता है।
- वैक्सीन को किसी दूरस्थ इलाकों में डिलीवर करना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें विशिष्ट तापमान पर रखना आवश्यक होता है।
- ड्रोन की उड़ान के दौरान, वैक्सीन को स्टायरोफोम (Styrofoam) के डब्बे में बर्फ में पैक करके रखा गया था, जिसमें तापमान सेंसर भी लगा हुआ था।
'आईएन एलसीयू एल-55
‘IN LCU L55’
19 दिसंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में ‘IN LCU L55’ को नौसेना में शामिल किया गया। यह इस LCU (Landing Craft Utility) Mk-IV का पाँचवा जहाज़ है जिसे नौसेना में शामिल किया गया है। जहाज़ को भारत में ही मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा बनाया गया है। LCU L55 स्वदेशी डिज़ाइन और जहाज़ निर्माण क्षमता की दिशा में एक और उपलब्धि है।
- यह पोत पानी के साथ-साथ ज़मीन पर भी काम करेगा।
- इसका उपयोग युद्धक टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों, सैनिकों और उपकरणों को जहाज़ से ज़मीन पर पहुंचाने के लिए किया जाता है।
- इसे अंडमान और निकोबार कमान के तहत तैनात किया गया है तथा खोज और बचाव और आपद राहत अभियानों, आपूर्ति और अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- इस जहाज की कमान लेफ्टिनेंट कमांडर अभिषेक कुमार को सौंपी गई है। जहाज पर 5 अधिकारी और 45 नौसैनिक तैनात हैं। इसके अलावा यह 160 सैनिकों को ले जाने में भी सक्षम है।
- यह जहाज टी-72 जैसे भारी टैंक और अन्य वाहन ले जाने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक उपकरण जैसे- एकीकृत ब्रिज सिस्टम (Integrated Bridge System-IBS) और एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (Integrated Platform Management System-IPMS) है।
- इन जहाजों की तैनाती भारत की समुद्री सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई है और इनका निर्माण माननीय प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के अनुरूप है।