प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09 फरवरी, 2019
सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (Generalised System of Preferences-GSP)
यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (US Trade Representative-USTR) भारत के लिये वरीयता व्यवस्था की समीक्षा कर रहा है, जिसमें अमेरिका सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली के तहत कुछ निश्चित निर्यात सीमा पर भारत से कोई शुल्क नहीं लेता है।
- सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली विकसित देशों (वरीयता देने वाले या दाता देश) द्वारा विकासशील देशों (वरीयता प्राप्तकर्त्ता या लाभार्थी देश) के लिये विस्तारित एक अधिमान्य प्रणाली है।
- गौरतलब है कि इस प्रणाली के तहत विकासशील देशों को विकसित देशों के बाज़ार में कुछ शर्तों के साथ न्यूनतम शुल्क या शुल्क मुक्त प्रवेश मिलता है।
- इसके ज़रिये विकसित देश विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
- नामित लाभार्थी विकासशील देशों के लगभग 30-40 प्रतिशत उत्पादों के लिये वरीयता शुल्क मुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। भारत भी एक लाभार्थी विकासशील देश है।
- ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, कनाडा, यूरोपीय संघ, आइसलैंड, जापान, कज़ाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, रूसी संघ, स्विट्ज़रलैंड, तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका GSP वरीयताएँ देते हैं।
मल्टीनेशनल ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ ‘कटलैस एक्सप्रेस’
भारतीय नौसेना ने 27 जनवरी से 06 फरवरी, 2019 तक ‘कटलैस एक्सप्रेस’ (CUTLASS EXPRESS) अभ्यास में भाग लिया।
- कटलैस एक्सप्रेस, यू.एस. अफ्रीका कमांड (U.S. Africa Command-USAFRICOM) द्वारा प्रायोजित और नेवल फोर्सेज़ अफ्रीका (Naval Forces Africa-NAVAF) द्वारा संचालित एक अभ्यास है।
- इसका उद्देश्य समुद्री कानून प्रवर्तन क्षमता का आकलन और उसमें सुधार करना, पूर्वी अफ्रीका में राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना, योजना एवं संचालन को सूचित करना व सुरक्षा बल सहायता (SFA) के प्रयासों को आकार देना है।
- पूर्वी अफ्रीकी देशों के नौसैनिक, तटरक्षक और मरीन पुलिस के जवानों को संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत तथा नीदरलैंड्स के प्रशिक्षकों ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन, संयुक्त समुद्री बल एवं यूरोपीय नौसेना बलों की सहायता से प्रशिक्षित किया।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान (National Deworming Day)
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिला और बाल विकास तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान का 8वाँ चरण शुरू किया है।
- इस अभियान के तहत करोड़ों बच्चों को कृमि से बचाव हेतु सुरक्षित दवा अलबेंडेजौल (Albendazole) दी जाती है एवं आम लोगों को खुले में शौच करने से कृमि संक्रमण के खतरों तथा साफ-सफाई की आदतों के प्रति जागरूक बनाया जाता है।
- ज्ञातव्य है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 14 वर्ष से कम आयु वाले 64 फीसदी आबादी को कृमि संक्रमण का खतरा है।
- अभियान का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के संक्रमण से आंतों में उत्पन्न होने वाले परजीवी कृमि को खत्म करना है।
- कृमि मुक्ति अभियान 2015 में शुरू किया गया था। अब तक इसके सात चरण पूरे हो चुके हैं एवं यह आठवाँ चरण है। इस चरण में 30 राज्यों और संघशासित प्रदेशों में 1-19 वर्ष की आयु वर्ग के 24.44 करोड़ बच्चों और किशोरों को लक्षित किया गया है।
- कृमि मुक्ति दिवस वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को सभी राज्यों और संघशासित प्रदेशों में मनाया जाता है।
वोटर हेल्पलाईन एप, ‘पीडब्ल्यूडी एप’ और VVIP कार्यक्रम
- हाल ही में लोकसभा चुनाव 2019 के संचालन में ‘सूचना और संचार तकनीक के उपयोग’ पर दो दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के दौरान निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिये नागरिकों को उनके नाम, नए पंजीयन, ब्यौरे में बदलाव और मतदाता पहचान पत्र में सुधार के लिये मतदाता पुनरीक्षण और सूचना कार्यक्रम (Voter Verification and Information Programme -VVIP) लॉन्च किया।
- इस अवसर पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को cVIGIL एप के प्रयोग की जानकारी दी गई।
- इस एप के माध्यम से आदर्श चुनाव संहिता के साक्ष्य आधारित सबूत, खर्च सीमा के उल्लंघन पर लाइव फोटो या वीडियो के ज़रिये कोई भी नागरिक शिकायत दर्ज कर सकता है। उल्लंघन कहाँ हुआ है, इसकी जानकारी GPS के ज़रिये स्वत: सम्बंधित अधिकारियों को मिल जाती है।
- निर्वाचन आयोग द्वारा ‘वोटर हेल्पलाईन’ एप (Voter Helpline App) भी लॉन्च किया गया। इस एप की सहायता से नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम ढूंढने, ऑनलाइन फार्म जमा करने, आवेदन की स्थिति जानने और शिकायत दर्ज करने जैसी सुविधाएँ प्राप्त कर सकते है।
- इस दौरान दिव्यांगजनों के लिये विशेष सुविधा प्रदान करते हुए निर्वाचन आयोग ने ‘पीडब्ल्यूडी एप’ (PwD App) भी लॉन्च किया। इस एप की सहायता से दिव्यांगजन अपनी पहचान का पंजीयन कर सकते हैं, पते और अन्य ब्यौरे में बदलाव कर सकते हैं। चुनाव के दौरान दिव्यांगजन व्हिलचेयर की मांग भी कर सकते हैं।