प्रीलिम्स फैक्ट्स: 01 सितंबर, 2020
राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार-2020
Rashtriya Khel Protsahan Puruskar-2020
हाल ही में ‘एयर फोर्स स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड’ (Air Force Sports Control Board- AFSCB) को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार-2020 (Rashtriya Khel Protsahan Puruskar-2020) से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- ‘एयर फोर्स स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड’ को यह पुरस्कार खिलाड़ियों को अपने संबंधित खेल क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने एवं खेल कल्याण उपायों को लागू करने में उत्कृष्ट योगदान देने के लिये प्रदान किया गया है।
- कॉरपोरेट संस्थाओं (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में) और उन व्यक्तियों को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाता है जिन्होंने खेलों के प्रोत्साहन और विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
‘एयर फोर्स स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड’ (Air Force Sports Control Board):
- यह भारतीय वायुसेना के अंतर्गत अंतर सेवा स्तर पर खेल गतिविधियों की योजना एवं संचालन के लिये सर्वोच्च निकाय है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना, खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करना तथा युवा एयर वारियर्स को खेल गतिविधियों को जीवन के एक हिस्से के रूप में शामिल करने के लिये प्रेरित करना है।
- भारतीय वायुसेना की खेल टीमों के मानकों में सुधार लाने और भारतीय वायुसेना में खिलाड़ियों के रूप में कैरियर की प्रगति में उनका मार्गदर्शन करने के लिये ‘एयर फोर्स स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड’ लगातार प्रयास कर रहा है।
आंध्रप्रदेश में दुर्लभ शिलालेख
Rare Inscription in Andhra Pradesh
हाल ही में आंध्रप्रदेश के कुडप्पा (Kadapa) ज़िले में खुदाई के दौरान रेनाटी चोल युग (Renati Chola Era) के एक दुर्लभ शिलालेख (Rare Inscription) की प्राप्ति हुई है।
प्रमुख बिंदु:
- यह दुर्लभ शिलालेख डोलोमाइट चट्टान का एक टुकड़ा है। जिस पर तेलुगू भाषा में उत्कीर्ण किया गया है।
- 25 पंक्तियों में उत्कीर्ण इस शिलालेख को पुरातन तेलुगू भाषा में लिखा गया था, चट्टान के एक तरफ 11 पंक्तियों को तथा 14 पंक्तियों को दूसरी तरफ उत्कीर्ण किया गया था।
- यह शिलालेख 8वीं शताब्दी के आसपास का बताया जाता है जब यह क्षेत्र (कडप्पा ज़िले के आसपास का क्षेत्र ) रेनाडू (Renadu) के चोल महाराजा के अधीन था।
- शिक्षाविद् बताते हैं कि यह शिलालेख सिद्यामायु (Sidyamayu) नामक एक व्यक्ति को उपहार में दी गई छह मार्टटस [Marttus- एक प्रकार की भूमि मापने की इकाई) भूमि के रिकॉर्ड से संबंधित है।
- सिद्यामायु (Sidyamayu), पिडुकुला गाँव में मंदिर की सेवा करने वाले ब्राह्मणों में से एक ब्राह्मण था।
रेनाटी चोल युग (Renati Chola Era):
- 500 से 1100 ईस्वी तक रेनाटी चोल (इन्हें रेनाडू क्षेत्र के तेलुगू चोल भी कहा जाता है) राजवंश ने रेनाडू क्षेत्र (आधुनिक कडप्पा ज़िले) पर शासन किया।
- तेलुगू चोल शासक ‘एरिकल मुत्तुराजु धनंजय वर्मा’ (Erikal Mutturaju Dhananjaya Varma) के तेलुगू शिलालेख जिसे एर्रागुडीपाडु सासानाम (Erragudipadu Sasanam) के रूप में जाना जाता है, को वर्तमान कुडप्पा ज़िले में 575 ईस्वी में उत्कीर्ण किया गया था। यह तेलुगू भाषा में उत्कीर्ण सबसे पहला शिलालेख रिकॉर्ड है।
मंगल ग्रह पर ड्रैगन जैसा पैटर्न
Dragon like pattern on Mars
4 जुलाई, 2007 को मंगल टोही ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) पर लगे हाईराइज़ (HiRISE) कैमरा ने मंगल ग्रह पर ड्रैगन जैसी दिखने वाली एक छवि को कैप्चर किया था।
प्रमुख बिंदु:
- ड्रैगन जैसा पैटर्न में दक्षिण-पश्चिम मेलस चस्मा (Southwestern Melas Chasma) घाटी में मार्स मियांडर्स (Mars Meanders) से निर्मित परत एवं चट्टान का एक हिस्सा है।
मेलस चस्मा (Melas Chasma):
- मेलास चस्मा मंगल ग्रह पर अवस्थित एक घाटी है जो वाल्लेस मेरिनेरिस घाटी प्रणाली (Valles Marineris Canyon System) का सबसे बड़ा खंड है।
- मंगल ग्रह पर दक्षिण-पश्चिम मेलस चस्मा क्षेत्र में यह परत एक असामान्य निक्षेप का जमाव है जो गहरे रंग के मैट्रिक्स में लाइट-टोंड ब्लॉकों (Light-toned Block) से निर्मित होता है।
- इन लाइट-टोंड ब्लॉकों की कैमरे द्वारा ली गई छवि का उच्च रिज़ॉल्यूशन केवल कुछ मीटर मोटी परतों को ही प्रकट करता है। ये ब्लॉक लगभग 100 से 500 मीटर व्यास के होते हैं और गोल दिखाई देते हैं जबकि कुछ अन्य कोणीय किनारों से बढ़े हुए प्रतीत होते हैं।
- इन ब्लॉकों की आकृति, तन्य विकृति (Ductile Deformation) को प्रदर्शित करती है जैसे- विस्थापन के बाद प्रवाह या विवर्तनिक व्यवधान।
- कुछ लाइट-टोंड (Light-toned) ब्लॉक पतले प्रतीत होते हैं और केवल स्थानीयकृत जगहों में उजागर होते हैं। कई लाइट-टोंड निक्षेप केवल घाटियों में ही देखे जा सकते हैं, जिनके आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे या तो जमा हो गए होंगे या अपरदन से उजागर हुए होंगे।
हाईराइज़ (HiRISE):
- हाईराइज़ कैमरा ‘बॉल एयरोस्पेस एंड टेक्नोलॉजी कार्पोरेशन’ (Ball Aerospace and Technology Corporation) द्वारा बनाया गया था और एरिज़ोना विश्वविद्यालय (University of Arizona) द्वारा संचालित है।
मंगल टोही ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter):
- राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (Jet Propulsion Laboratory) नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय (Science Mission Directorate) के लिये मंगल टोही आर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) का प्रबंधन करती है।
2400 वर्ष पुरानी मिस्र की ममी
2400-year-old Egyptian Mummy
हाल ही में राजस्थान के जयपुर शहर में अत्यधिक वर्षा के कारण जलभराव होने से ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (Albert Hall Museum) में रखी 2400 वर्ष पुरानी मिस्र की ममी (Egyptian Mummy) को सुरक्षित किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के अधिकारियों के अनुसार, यह ममी ‘टूटू’ (TUTU) मिस्र के टॉलेमिक युग (322 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व) से पहले की है।
- यह ममी मिस्र के पुजारी परिवार की एक महिला सदस्य ‘टूटू’ (TUTU) की है।
- इसे मिस्र के प्राचीन शहर पानोपोलिस (Panopolis) के अखमीन (Akhmin) क्षेत्र में 300 से अधिक वर्षों पहले प्राप्त किया गया था।
- इस ममी (भारत में केवल छह में से एक) को जयपुर के तत्कालीन राजा सवाई ईश्वर सिंह (Sawai Ishwar Singh) को वर्ष 1887 में जयपुर में एक प्रदर्शनी के लिये काहिरा (मिस्र) के संग्रहालय द्वारा उपहार में दिया गया था।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (Albert Hall Museum):
- जयपुर में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है और राजस्थान के राज्य संग्रहालय के रूप में कार्य करता है।
- यह इमारत जयपुर शहर के राम निवास उद्यान (Ram Niwas Garden) में अवस्थित है और इंडो-सारसैनिक वास्तुकला (Indo-Saracenic Architecture) का बेहतरीन नमूना है।
- इंडो-सारासेनिक वास्तुकला को ‘इंडो-गोथिक (Indo-Gothic) वास्तुकला’ भी कहा जाता है।
- इस इमारत को सर सैमुअल स्विंटन जैकब (Sir Samuel Swinton Jacob) द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिनकी मदद मीर तुजुमूल होसिन (Mir Tujumool Hoosein) द्वारा की गई थी और इसे वर्ष 1887 में सार्वजनिक संग्रहालय के रूप में खोला गया था।