प्रिलिम्स फैक्ट: 18 जनवरी, 2021
तिरुवल्लुवर दिवस
Thiruvalluvar Day
प्रधानमंत्री ने 15 जनवरी, 2021 को तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर को उनकी जयंती ‘तिरुवल्लुवर दिवस’ (Thiruvalluvar Day ) के अवसर पर याद किया।
प्रमुख बिंदु:
तिरुवल्लुवर दिवस के संबंध में:
- यह पहली बार 17-18 मई को वर्ष 1935 में मनाया गया था।
- वर्तमान समय में इसे आमतौर पर तमिलनाडु में 15 या 16 जनवरी को मनाया जाता है और यह पोंगल समारोह का एक हिस्सा है।
तिरुवल्लुवर के संबंध में:
- तिरुवल्लुवर जिन्हें वल्लुवर भी कहा जाता है, एक तमिल कवि-संत थे।
- धार्मिक पहचान के कारण उनकी कालावधि के संबंध में विरोधाभास है सामान्यतः उन्हें तीसरी-चौथी या आठवीं-नौवीं शताब्दी का माना जाता है।
- सामान्यतः उन्हें जैन धर्म से संबंधित माना जाता है। हालाँकि हिंदुओं का दावा है कि तिरुवल्लुवर हिंदू धर्म से संबंधित थे।
- द्रविड़ समूहों (Dravidian Groups) ने उन्हें एक संत माना क्योंकि वे जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे।
- उनके द्वारा संगम साहित्य में तिरुक्कुरल या 'कुराल' (Tirukkural or ‘Kural') की रचना की गई थी।
- इस रचना को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
- अराम- Aram (सदगुण- Virtue)।
- पोरुल- Porul (सरकार और समाज)।
- कामम- Kamam (प्रेम)।
तिरुवल्लुवर का सामाजिक महत्त्व:
- वर्ष 2009 में बंगलूरू के पास उलसूर में प्रसिद्ध तमिल कवि की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया। लंदन के रसेल स्क्वायर में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ के बाहर भी वल्लुवर की एक प्रतिमा लगाई गई है।
- तिरुवल्लुवर की 133 फुट ऊँची प्रतिमा कन्याकुमारी में भी है।
- अक्तूबर 2002 में तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले में तमिलनाडु सरकार द्वारा तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
- वर्ष 1976 में वल्लुवर कोटम नामक एक मंदिर-स्मारक चेन्नई में बनाया गया जो एशिया में सबसे बड़े सभागारों में से एक है।
- 16वीं शताब्दी की शुरुआत में चेन्नई के मायलापुर में एकमबेश्वरेश्वर मंदिर परिसर में तिरुवल्लुवर को समर्पित एक मंदिर बनाया गया था।
नागी-नकटी पक्षी अभयारण्य
Nagi-Nakti Bird Sanctuaries
हाल ही में बिहार के जमुई ज़िले के नागी-नकटी पक्षी अभयारण्य (Nagi-Nakti Bird Sanctuary) में पहले राज्य-स्तरीय पक्षी उत्सव 'कलरव' (Kalrav) का आयोजन किया गया।
- इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन पूरे देश के विशेषज्ञों और पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से किया गया।
प्रमुख बिंदु:
अभयारण्य के संबंध में:
- नागी बाँध और नकटी बाँध दो अलग अभयारण्य हैं परंतु एक-दूसरे के नज़दीक होने के कारण इन्हें एक ही पक्षी क्षेत्र के रूप में माना जा सकता है।
- नागी-नकटी पक्षी अभयारण्य विविध प्रकार के पक्षियों और प्रवासी पक्षियों का विस्तृत निवास क्षेत्र है, जो यूरेशिया, मध्य एशिया, आर्कटिक सर्कल, रूस तथा उत्तरी चीन आदि स्थानों से शीत ऋतु के दौरान यहाँ आते हैं।
एवियन जीव:
- इन अभयारण्यों में पक्षियों की 136 से अधिक प्रजातियों को देखा गया है।
- बार-हेडेड गीज़: वेटलैंड्स इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1,600 बार-हेडेड गीज़ (Bar-headed Geese), जो कि इस किस्म की वैश्विक आबादी के लगभग 3% हैं, को यहाँ देखा गया है। इससे प्रभावित होकर बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा पक्षियों की आबादी के संरक्षण के लिये नागी बाँध पक्षी अभयारण्य को वैश्विक रूप से महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया।
- बार-हेडेड गीज़:
- वेटलैंड इंटरनेशनल, वेटलैंड के संरक्षण और उद्धार के लिये समर्पित एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है।
- बर्डलाइफ इंटरनेशनल विभिन्न संरक्षण संगठनों की एक वैश्विक भागीदारी है, जो पक्षियों, उनके निवास स्थान और विश्व में जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रयासरत है। यह प्राकृतिक संसाधनों के न्यायोचित इस्तेमाल की वकालत करता है।
- अन्य प्रमुख पक्षी: इंडियन कोर्सर (Indian Courser), इंडियन सैंडग्राउज़ (Sandgrouse), येलो-वॉटल्ड लैपविंग (Yellow-wattled Lapwing) और इंडियन रॉबिन (Robin)।
- अभयारण्यों की जैव विविधता के लिये बड़े खतरे: कृषि अपवाह; सिंचाई और वन विभागों के बीच भूमि विवाद; इन क्षेत्रों में मछली पकड़ना।
बिहार के अन्य पक्षी अभयारण्य:
- गौतम बुद्ध पक्षी अभयारण्य, गया
- कावर झील पक्षी विहार, बेगूसराय
- कुशेश्वर आस्थान पक्षी अभयारण्य, दरभंगा
भारतीय सेना द्वारा UAV की खरीद
UAV Procurement by Indian Army
हाल ही में भारतीय सेना द्वारा आइडियाफोर्ज़ (Idea Forge) के साथ 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ‘हाई अल्टीट्यूड ड्रोन्स’ (High-Altitude Drones) की खरीद हेतु अनुबंध किया गया है।
- आइडियाफोर्ज़ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित किया गया एक स्टार्ट-अप है।
- यह अनुबंध ‘स्विच यूएवी’ (SWITCH UAV) ड्रोन के उच्च ऊँचाई वाले संस्करण की खरीद से संबंधित है, जो पूर्णत: एक स्वदेशी प्रणाली है और जिसका उपयोग निगरानी कार्यों में किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
अनुबंध का महत्व:
- यह भारतीय रक्षा खरीद प्रक्रिया में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीतिक प्रक्रिया का प्रतीक है।
- यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस प्रकार सरकार द्वारा वित्तपोषित स्टार्ट-अप देश के विकास में मदद कर सकता है।
- किसी भी भारतीय उपकरण निर्माता द्वारा ड्रोन की खरीद हेतु किये गए अनुबंध मूल्य के संदर्भ में यह इस प्रकार का सबसे बड़ा आदेश है।
सेना के लिये UAV का महत्त्व:
- आर्मी ने SWITCH UAV के उच्च ऊँचाई वाले एक ऊर्ध्वाधर टेक-ऑफ और लैंडिंग ड्रोन के उन्नत संस्करण की खरीद हेतु आदेश दिया है । यह एक फिक्स्ड-विंग हाइब्रिड ( Fixed-Wing Hybrid ) मानवरहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle- UAV) है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं:
- 15 किमी. रेंज के साथ उड़ान का अधिक समय।
- यह लगभग 2.6 मीटर लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा है जिसका वज़न 6.5 किलोग्राम से कम है।
- उच्च सुरक्षा और सरल क्रियान्वयन।
- इसका उपयोग खुफिया, निगरानी और टोही (Surveillance and Reconnaissance- ISR) मिशन हेतु दिन-रात किसी भी समय निगरानी करने के लिये कठिन वातावरण में लंबी अवधि तक संचालन हेतु किया जाता है।
- फोटोग्रामेट्री (Photogrammetry) में उपयोग: फोटोग्राफिक चित्रों और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएंट इमेजरी के पैटर्न की रिकॉर्डिंग, मापन एवं उनके विवरण के माध्यम से भौतिक वस्तुओं और पर्यावरण के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने की तकनीक के रूप में उपयोगी।
- अन्य अनुप्रयोग: भीड़ की निगरानी, आपदा प्रबंधन, कृषि तथा खनन गतिविधियों के सटीक निर्धारण इत्यादि में।
गवि गंगाधरेश्वर मंदिर: कर्नाटक
Gavi Gangadhareshwara Temple: Karnataka
आसमान में बादल घिरे होने के कारण गवि गंगाधरेश्वर मंदिर (कर्नाटक) में इस वर्ष ‘सूर्य मज्जना’ नामक वार्षिक घटना प्रभावित हुई है।
प्रमुख बिंदु:
- अवस्थिति: यह मंदिर कर्नाटक के बंगलूरू में स्थित है।
- नाम का अर्थ:
- इस मंदिर का नाम इसकी स्थलाकृतिक विशेषताओं और पौराणिक कथाओं के संयोजन के आधार पर रखा गया है: गवि (गुफा) और गंगाधरेश्वर (शिव) का अर्थ है ऐसे भगवान जो गंगा को धारण करते हैं।
- स्थापना:
- ऐसा माना जाता है कि इसके वर्तमान स्वरूप का निर्माण केम्पेगौड़ा प्रथम ने करवाया था।
वास्तु विशेषताएँ:
- खगोल आधारित वास्तुकला: विजयनगर शैली में निर्मित इस मंदिर में अद्वितीय खगोलीय रॉक कट वास्तुकला का उपयोग किया गया है, जिसके कारण हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर यहाँ सूर्य महायज्ञ का आयोजन होता है।
- सूर्य मज्जना:
- हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य की किरणें गुफा (गेवि) में स्थित शिवलिंग पर गिरती हैं, जिससकी वजह से शिवलिंग दस मिनट तक चमकता रहता है।
- दो एकाश्म संरचनाएँ:
- प्रांगण के अग्रभाग में सूर्योपासना और चंद्रपाना नाम की दो अखंड संरचनाएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक विशाल खंभा है तथा एक सहायक खंभा भी है।
- उनके पास गोलाकार संरचनाओं पर एक-दूसरे के सामने बैठे हुए बैलों की नक्काशी की गई है।
- शिव का प्रतीक चिह्न:
- मंदिर परिसर शिव की प्रतिमा से जुड़ी अखंड संरचनाओं से सुशोभित है, जैसे- त्रिशूल और डमरू (घंटे के आकार का दो सिर वाले डमरू)।
- दो संरचनाओं के बीच में एक पीतल का ध्वजस्तंभ और एक छोटा शावक आवास है जिसमें नंदी (शिव का वाहक) की प्रतिमा है।
केम्पेगौडा प्रथम:
- केम्पेगौड़ा प्रथम विजयनगर साम्राज्य के अधीन एक सामंती राजा था।
- उसने वर्ष 1537 में बंगलूरू शहर की स्थापना की और इसका नाम अपने परिवार के देवता केमपम्मा के नाम पर रखा।
- उसे पीने के पानी और सिंचाई जैसे उद्देश्यों के लिये कई झीलों या केरों (Keres) के निर्माण का श्रेय भी दिया जाता है। जैसे-धर्मबुद्धि झील।
कर्नाटक के अन्य स्थल:
- बसवकल्याण
- हंपी (विश्व विरासत स्थल)
- बादामी
- ऐहोल आदि