अनियमित जमा योजना विधेयक, 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद में अनियमित जमा योजना विधेयक, 2019 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कम आय वाले निवेशकों को पोंज़ी स्कीमों से बचाना है।
प्रमुख बिंदु:
- सरकार ने मौजूदा कानून में खामियों की जाँच के लिये एक अंतर-मंत्री समूह का गठन किया था। इस समूह ने अनियमित जमा योजनाओं से निपटने के लिये एक नए केंद्रीय कानून की सिफारिश की थी।
- विधेयक में कहा गया है कि जब्त किये गए धन पर पहला अधिकार जमाकर्त्ताओं का होगा।
- विधेयक में यह भी कहा गया है कि रिश्तेदारों से प्राप्त ऋण और साझेदारी फर्म में भागीदारों द्वारा पूंजी योगदान को पोंज़ी स्कीम के तहत जमा नहीं माना जाएगा।
- विधेयक में केंद्र और राज्य- दोनों सरकारों को नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। पोंज़ी स्कीम के अभी तक 978 मामलों की पहचान की गई है जिसमें से सर्वाधिक 326 मामले पश्चिम बंगाल के हैं।
पोंज़ी स्कीम
- पोंज़ी स्कीम धोखाधड़ी युक्त निवेश घोटाला है जिसमें निवेशकों को कम जोखिम के साथ अधिक धन वापसी का वादा किया जाता है।
- पोंज़ी योजना में नए निवेशकों के धन से पहले के निवेशकों को लाभ दिया जाता है। कुछ दिन ऐसा करने के बाद पर्याप्त पूँजी इकट्ठा होने पर पोंज़ी कंपनियां लोगों का पैसा लेकर भाग जाती हैं।
- पोंज़ी स्कीम, पिरामिड स्कीम के समान है; दोनों में नये निवेश से पुराने निवेशकों को लाभ दिया जाता है।
- इन दोनों स्कीमों में मुख्य अंतर यह है कि जहाँ पोंज़ी स्कीम में निवेशकों को यह भरोसा होता है कि उनका रिटर्न किसी परिसंपत्ति से प्राप्त हो रहा है, वहीं पिरामिड स्कीम में निवेशक को यह भली-भाँति पता रहता है कि उसका रिटर्न किसी नए निवेशक के निवेश से आएगा।
- पिरामिड स्कीम, प्राइस चिट और मनी सर्कुलेशन स्कीम (बैनिंग) एक्ट, 1978 (The Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act, 1978) के तहत प्रतिबंधित है।
पोंज़ी स्कीम से संबंधित मुद्दे
- पोंज़ी स्कीम से शैडो बैंकिंग ( Shadow Banking) की समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि इस प्रकार की बचत और निवेश का समावेश प्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था में नही हो पाता।
- इस प्रकार की योजनाओं में मुख्यतया कम आय वर्ग के लोगों द्वारा निवेश किया जाता है तथा पैसा डूबने की स्थिति में उनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित होती है।
- इस प्रकार की योजनाओं के असफल होने से शेयर बाजार भी प्रभावित होता है क्योंकि लोगों के मन में अपने निवेश को लेकर आशंका उत्पन्न हो जाती है।
- इस प्रकार के निवेश से GDP पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।