दक्षिण एशियाई समुद्री क्षेत्र में तेल तथा रासायनिक प्रदूषण : समझौता एवं उसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दक्षिण एशियाई समुद्री क्षेत्र में तेल तथा रासायनिक प्रदूषण पर सहयोग के लिये भारत और दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (SACEP) के बीच समझौता ज्ञापन को स्‍वीकृति दी है।

क्या है SACEP?

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, प्रबंधन और प्रोत्‍साहन को समर्थन देने के लिये 1982 में श्रीलंका में अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका की सरकारों ने दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (South Asia Cooperative Environment Programme-SACEP) की स्‍थापना की थी।
  • SACEP ने इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (IMO) के साथ संयुक्‍त रूप से ‘क्षेत्रीय तेल बिखराव आपात योजना’ (Regional Oil Spill Contingency Plan) विकसित की है, ताकि बांग्‍लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्‍तान तथा श्रीलंका के आस-पास के समुद्रों में तेल प्रदूषण की किसी बड़ी घटना से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और पारस्‍परिक सहायता को सुनिश्चित किया जा सके।

समझौते का कार्यान्‍वयन

  • भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard-ICG) को समझौते के अंतर्गत ‘क्षेत्रीय तेल बिखराव आपात योजना’ को लागू करने के लिये सक्षम राष्‍ट्रीय प्राधिकरण और संचालन की दृष्टि से परिचालन बिंदु का दर्ज़ा दिया गया है।
  • इसके अलावा ICG भारत सरकार की ओर से तेल और रासायनिक प्रदूषकों के बिखराव की रिपोर्टिंग भी करेगा और समुद्री दुर्घटनाओं के लिये ICG-समुद्री बचाव समन्‍वय केंद्र (Maritime Rescue Coordination Centres-MRCCs) राष्‍ट्रीय आपदा अनुक्रिया केंद्र होंगे।

प्रभाव 

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्‍य भारत और दक्षिण एशियाई समुद्री क्षेत्र के देशों यानी बांग्‍लादेश, मालदीव, पाकिस्‍तान और श्रीलंका के बीच समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा के लिये घनिष्‍ठ सहयोग को प्रोत्‍साहित करना है।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन
International Maritime Organization-IMO

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा और बचाव के लिये उपाय लागू करने और जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिये ज़िम्मेदार है।
  • इसके अलावा, यह देयता और क्षतिपूर्तियों जैसे कानूनी मामलों तथा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात को सुगम बनाने के प्रयासों में भी सलंग्न है।
  • इसे 17 मार्च, 1948 को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में एक सम्मेलन के माध्यम से स्थापित किया गया था और जनवरी 1959 में इसकी पहली बैठक हुई थी।
  • वर्तमान में इसके 173 सदस्य राज्य हैं।