मिड डे मील योजना में मोटे अनाज की उपादेयता
हाल ही में अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पोषक तत्त्वों से समृद्ध मोटे अनाजों (Millets) जैसे ज्वार, कँगनी (foxtail), बाजरा आदि को मिड डे मील योजना के तहत वितरित किये जाने वाले भोजन में शामिल किया गया है। वर्तमान में इसे कर्नाटक और तेलंगाना में क्रियान्वित किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इस कदम का उद्देश्य उत्पादकों को लाभ के अलावा सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में छात्रों के पोषक तत्त्वों के सेवन को बढ़ाना है।
- अक्षय पात्र फाउंडेशन ने कर्नाटक सरकार और अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) की भागीदारी में एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है।
- यह पायलट परियोजना बंगलूरू के 10 स्कूलों में 1,622 लाभार्थियों को कवर करेगी, जहाँ छात्रों को मौजूदा चावल आधारित खाद्य पदार्थ के अलावा सप्ताह में दो बार मोटे अनाज आधारित खाद्य पदार्थ भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
- इस महीने की शुरुआत में अक्षय पात्र फाउंडेशन ने तेलंगाना में 1 लाख से अधिक छात्रों को कवर करते हुए मिड डे मील कार्यक्रम के तहत ‘मिलेट स्नैक्स’ (Millet Snacks) की शुरुआत की थी।
- अक्षय पात्र फाउंडेशन एक गैर- सरकारी संगठन है जो मिड डे मिल योजना के क्रियान्वयन में सरकार के प्रमुख भागीदारों में से एक है। यह संगठन 12 राज्यों के लगभग 16.5 लाख छात्रों को दैनिक आधार पर भोजन वितरित करता है।
- इस पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम आने पर कर्नाटक सरकार द्वारा मिड डे मिल योजना में मोटे अनाज वितरित करने के लिये सरकार द्वारा आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जायेगा।
- अक्षय पात्र फाउंडेशन ने अन्य राज्यों, जहाँ यह काम करती है, वहाँ मिड डे मील योजना के मेनू (Menu) में मोटा अनाज को शामिल करने के लिये केंद्र सरकार के साथ वार्ता शुरू की है।
मोटे अनाज के लाभ
- पोषक तत्त्वों से समृद्ध होने के कारण मोटे अनाजों को स्मार्ट भोजन (Smart Food) भी कहा जाता है। मोटा अनाज स्वास्थ्य, सीमांत कृषकों और पर्यावरण के लिये भी लाभकारी है।
- पर्यावरणीय रूप से अधिक टिकाऊ होने के कारण मोटे अनाज को प्रचलन में लाने से ग्रामीण निर्धनता और कुपोषण की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
- मोटा अनाज कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन है अर्थात् ये गैर-संचारी रोगों जैसे-मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर की संभावनाओं में कमी करते हैं।
- यह नए बाज़ारों और व्यावसायिक अवसरों को भी बढ़ावा दे सकता है।
- कर्नाटक राज्य द्वारा मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण इस वर्ष मोटे अनाज के तहत बोए गए क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है।
- विशेषज्ञों के अनुसार पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की तुलना में पोषक तत्त्वों से युक्त मोटे अनाज एक बेहतर विकल्प हैं।
मध्याह्न भोजन योजना
- मिड डे मील कार्यक्रम एक केन्द्रीय प्रवर्तित योजना के रूप में 15 अगस्त 1995 को पूरे देश में लागू की गई थी।
- इसके पश्चात् सितंबर 2004 में कार्यक्रम में व्यापक परिवर्तन करते हुए मेनू आधारित पका हुआ गर्म भोजन देने की व्यवस्था प्रारंभ की गई थी।
- इस योजना के तहत न्यूनतम 200 दिनों के लिये निम्न प्राथमिक स्तर के लिये प्रतिदिन न्यूनतम 300 कैलोरी ऊर्जा एवं 8-12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक स्तर के लिये न्यूनतम 700 कैलोरी ऊर्जा एवं 20 ग्राम प्रोटीन देने का प्रावधान हैं।
- मिड डे मील कार्यक्रम एक बहुद्देशीय कार्यक्रम तथा राष्ट्र की भावी पीढी के पोषण एवं विकास से जुडा हुआ है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
⇒ प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनिकरण को बढावा देना।
⇒ विद्यालयों में छात्रों के नामांकन में वृद्धि तथा छात्रों को स्कूल में आने के लिये प्रोत्साहित करना।
⇒ स्कूल ड्राप-आउट को रोकना।
⇒ बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में वृद्धि तथा सीखने के स्तर को बढावा देना।
अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (International Crops Research Institute for the Semi-Arid Tropics-ICRISAT)
- अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) एक गैर-लाभकारी, गैर-राजनीतिक संगठन है जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में विकास के लिये कृषि अनुसंधान पर कार्य करता है।
- 55 देशों में 65 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले हुए अर्द्ध-शुष्क या सूखे इलाकों में 2 अरब से अधिक आबादी अधिवासित है, जिसमें से 644 मिलियन आबादी अत्यंत गरीब है।
- ICRISAT और उसके सहयोगी इन गरीब लोगों की बेहतर कृषि के ज़रिये गरीबी, भूख और निम्नीकृत पर्यावरण पर काबू पाने में सहायता करते हैं।
- ICRISAT का मुख्यालय हैदराबाद, तेलंगाना राज्य में है और दो क्षेत्रीय केंद्र नैरोबी (केन्या) और बमाको (माली) में हैं।
- ICRISAT पाँच अति पौष्टिक और सूखा प्रतिरोधी फसलों काबुली चना (Chick Pea), कबूतर चना (Pigeon Pea), बाजरा (Pearl Millet), ज्वार(Sorghum) और मूंगफली(Groundnut) पर अनुसंधान करता है।